दुनियाभर के गृह-युद्ध और संघर्षों में तैनात यूएन पीसकीपिंग फोर्स में महिला-सैनिकों की भूमिका को मजबूत करने के लिए भारतीय सेना ने विदेश मंत्रालय और संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के साथ मिलकर राजधानी दिल्ली में दो दिवसीय (24-25 फरवरी) सम्मेलन का आयोजन किया है.
ग्लोबल साउथ—शांति सेना में महिलाएं नाम के इस सम्मेलन में पीस मिशन में महिलाओं की उभरती भूमिका का पता लगाने और इन महत्वपूर्ण मिशन में उनकी भागीदारी बढ़ाने की रणनीतियों पर चर्चा करने के लिए 35 देशों की महिला शांति सैनिकों को एक साथ लाया गया है.
भारतीय महिला-सैनिकों ने निभाई अहम भूमिका: जयशंकर
उद्घाटन समारोह को वर्चुयल संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया कि भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल है जिसकी महिला, सैन्य और पुलिस, दोनों तरह की भूमिका में यूएन मिशन में तैनात हैं. वर्ष 2007 में पहली बार भारतीय महिला पुलिस बल का एक दस्ता अफ्रीकी देश लाईबेरिया में तैनात हुआ था. जयशंकर के मुताबिक, इस तैनाती के बाद, लाईबेरिया की सुरक्षा में स्थानीय महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है.
विदेश मंत्री जयशंकर ने यूएन पीसकीपिंग मिशन में भारत के योगदान को याद दिलाया. जयशंकर ने कहा कि एक ऐसी ही मिशन में कांगो में भारतीय सेना के मेजर गुरबचन सिंह सलारिया को मरणोपरांत देश का सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार, परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था. (https://x.com/MEAIndia/status/1893990500665041364)
महिला शांति-सैनिकों ने रूढ़िवादिता को तोड़ा: भारतीय सेना
अपने आरंभिक भाषण में सह-सेना प्रमुख (वाइस चीफ) लेफ्टिनेंट जनरल एनएस राजा सुब्रमणि ने महिला शांति सैनिकों की असाधारण सेवा और वैश्विक शांति एवं सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता की गहरी सराहना की. उन्होंने कहा कि “महिला शांति सैनिकों ने रूढ़िवादिता को तोड़ा है, बाधाओं को तोड़ा है और चुनौतियों से ऊपर उठकर अपने राष्ट्र और उन समुदायों की नेता और रक्षक बनी हैं, जहां वे शांति स्थापना के लिए कार्यरत हैं.”
जनरल सुब्रमणि ने आगे कहा कि, “ग्लोबल साउथ में एक प्रमुख भागीदार के रूप में, भारत अपने अनुभव, संसाधनों और विशेषज्ञता का खजाना लेकर आता है, जो विकासशील देशों के सामूहिक प्रयास में योगदान देता है.” उन्होंने कहा, “हम, ग्लोबल साउथ के प्रतिनिधियों के रूप में, वैश्विक शांति के लिए ताकत, लचीलेपन और अटूट प्रतिबद्धता के साथ एक साथ खड़े हैं.”
मेजबान देशों में किया महिला सशक्तिकरण
अपने संबोधन में, उप सेना प्रमुख (आईएसएंडसी) लेफ्टिनेंट जनरल राकेश कपूर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून कई चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिससे शांति सैनिकों का काम और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है. उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि महिला शांति सैनिक अपनी उपस्थिति के साथ महिला सशक्तिकरण की आदर्श हैं और मेजबान देश की महिलाओं को अपने समाज के उत्थान में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित करती हैं.