भारत के पूर्वोत्तर राज्यों मिजोरम व मणिपुर में रह रहे बेनी मेनशे यहूदी समुदाय के सभी 5,800 लोगों को इजरायल लाया जाएगा. इजराइल सरकार ने भारत के मणिपुर और मिजोरम में रहने वाले यहूदियों को ले जाने का प्रस्ताव मंजूर किया है. फैसले के मुताबिक ज्यूइश एजेंसी पूरी इमिग्रेशन प्रक्रिया संभालेगी, साल 2030 सभी लोगों को उत्तरी इजरायल (वेस्ट बैंक) में बसाया जाएगा. प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि यह कदम इजरायल के उत्तर क्षेत्र को मजबूत करेगा.
भारत से इजरायल में बसेंगे पूर्वोत्तर राज्यों के यहूदी, ज्यूइश एजेंसी संभालेगी प्रक्रिया
इजरायल ने अपने वेस्ट बैंक के इलाके को मजबूत करने के लिए भारत के मणिपुर और मिजोरम में रहने वाले यहूदियों को बसाने का फैसला किया है.
इजराइली सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए बताया है कि “भारत के उत्तर-पूर्व (मणिपुर और मिजोरम) में रहने वाले 5,800 यहूदियों को अगले 5 साल में इजरायल लाने की मंजूरी दी है. भारत में रहने वाले इस समुदाय को बेनेई मेनशे कहा जाता है. 240 करोड़ के बजट वाली इस योजना के तहत ज्यूइश एजेंसी पूरी इमिग्रेशन प्रक्रिया संभालेगी.”
2030 तक कुल 5,800 लोग इजराइल पहुंच जाएंगे. इनमें से 1,200 लोगों की इमिग्रेशन प्रक्रिया पहले से ही 2026 के लिए मंजूर हो चुकी है.
भारत आने वाली है रब्बियों की बड़ी टीम
बताया जा रहा है आने वाले दिनों में रब्बियों का सबसे बड़ा दल भारत भेजा जाएगा, जो करीब 3,000 लोगों के इंटरव्यू करेगा. ये टीम उन लोगों से बात करेगी, जिनके रिश्तेदार पहले से इजरायल में रहते हैं.
इजराइल की धार्मिक संस्था चीफ रब्बिनेट इन लोगों का इंटरव्यू लेगी, कन्वर्जन अथॉरिटी, जनसंख्या और इमिग्रेशन अथॉरिटी से सभी औपचारिकताएं पूरी कराई जाएगी. पात्र लोगों के लिए उड़ानों की व्यवस्था, इजरायल पहुंचने पर रहने की जगह, हिब्रू भाषा की कक्षाएं और अन्य जरूरी सुविधाओं की व्यवस्था की जाएगी.
यह समुदाय खुद को प्राचीन इजराइल की मेनशे जनजाति का वंशज बताता है, जिसे करीब 2,700 साल पहले असीरियों (प्राचीन मेसोपोटामिया की एक प्रमुख सभ्यता) ने देश से बाहर निकाल दिया था.
बेनेई मेनाशे के युवाओं की इजरायली सेना में भरमार
तकरीबन 2500 बेनई मेनाशे जाति के लोग इजरायल में रह रहे हैं, जिनमें से अधिकतर आईडीएफ में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इस समुदाय के ज्यादातर युवा इजरायल डिफेंस फोर्सेज (आईडीएफ) में काम कर रहे हैं.
नेतन्याहू सरकार के इस प्रस्ताव से हजारों सदस्यों घर लौटने का अवसर मिलेगा और यह इजरायल के उत्तरी क्षेत्र को रक्षा के नजरिए से मजबूत करेगा. साथ ही आईडीएफ को भी बल मिलेगा.
शुरुआत में इस समुदाय को वेस्ट बैंक में बसाया गया था. बताया जा रहा है कि मणिपुर-मिजोरम से जिन लोगों को लाया जाएगा उन्हें नाजरेथ शहर के बेहद करीब यहूदी-अरब मिश्रित शहर में बसाया जाएगा.
बेनेई मेनशे के बारे में जानिए
ऐसा कहा जाता है कि बेनेई मेनशे 2,700 वर्ष पूर्व निर्वासित मेनशे जनजाति के वंशज हैं, जिसे इजरायल की खोई हुई जनजातियों में माना जाता है. यहूदी धर्म अपनाने व इजरायल के चीफ रब्बी से पहचान मिलने से पहले ये लोग खुद को ईसाई धर्म का मानते थे. साल 2005 में सेफारदी समुदाय के चीफ रब्बी ने इन्हें इजरायल के वंशज के तौर पर मान्यता दे दी.

