July 7, 2024
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कैकेयी विलेन थी या पहली Combat महिला !

75 वें गणतंत्र दिवस समारोह के मौके पर कर्तव्य पथ पर नारी शक्ति का अद्भुत प्रदर्शन हुआ. हमारे देश की आधुनिक सेनाओं में महिला किस तरह पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर ना केवल कदमताल कर रही हैं बल्कि युद्ध के मैदान में भी दुश्मनों के छक्के छुड़ा रही हैं. पिछले एक दशक में सशस्त्र सेनाओं यानी थलसेना, वायुसेना और नौसेना में महिलाओं की भागीदारी काफी बढ़ी है. लेकिन एक लंबे समय तक महिलाओं को देश में कॉम्बैट रोल देने यानी रणभूमि में जाने से वंचित रखा गया था. हालांकि, रामायण के समय से ही महिलाएं रणभूमि में अपने साहस और सूझबूझ का परिचय दे रही हैं. 

रामायण में जिस कैकेयी के चलते भगवान राम को 14 साल का वनवास मिला था, वो एक कुशल योद्धा थी. युद्धभूमि में अपनी सूझबूझ के चलते ही कैकेयी ने भगवान राम के पिता राजा दशरथ से अपनी दो इच्छाएं मनवाई थी. दरअसल, एक बार युद्ध के मैदान में राजा दशरथ दुश्मनों से घिर गए थे. उनके बच निकलने का कोई रास्ता नहीं था. ऐसे में कैकेयी ने रणभूमि में राजा दशरथ के रथ को सकुशल निकाला था जिसके चलते भगवान राम के पिता की जान बच पाई थी. 

कैकेयी के जौहर को देखते हुए ही राजा दशरथ ने उनसे दो अपनी कोई भी दो इच्छाएं पूरी करने का वचन दिया था. ऐसे में जब भगवान राम का राज्याभिषेक होने जा रहा था तब कैकेयी ने चाल चली और राजा दशरथ से अपनी इच्छाएं जताई जो पूरी की जानी थी. ऐसे में कैकेयी ने पहली इच्छा में भगवान राम के लिए वनवास और दूसरी इच्छा में अपने बेटे यानी भगवान राम के सौतेले भाई भरत के लिए अयोध्या राज्य मांग लिया. राजा दशरथ क्योंकि दोनों इच्छाओं को पूरा करने का वचन पहले ही दे चुके थे, ऐसे में वे मजबूर थे. इस वचन के चलते ही भगवान राम को 14 साल तक जंगल में गुजराने पड़े थे. 

लेकिन राजा दशरथ और कैकेयी की कहानी से ये बात साफ हो गई कि भले ही रामायण में महिलाओं को रणभूमि में सीधे दुश्मन से लड़ने का मौका ना मिला हो लेकिन वे कॉम्बेट सपोर्ट रोल में जरुर थी. जैसा कि आधुनिक सेनाओं में एक लंबे समय तक महिलाओं को कॉम्बेट सपोर्ट रोल ही दिए गए थे. लेकिन अब तो थलसेना में इन्फैंट्री और आर्मर्ड यानी टैंक रेजीमेंट के अलावा महिलाओं को सभी कोर में शामिल करने की मंजूरी मिल चुकी हैं. 

महिलाएं आज आर्टिलरी यानी तोपखाने से लेकर कोर ऑफ मिलिट्री पुलिस, इंटेलिजेंस, एजुकेशन, जैग ब्रांच, सिग्नल, मेडिकल और मिलिट्री इंजीनियर्स के रोल में भी दिखाई पड़ सकती हैं. वायुसेना में महिलाएं फाइटर पायलट हैं तो नौसेना में समंदर में युद्धपोत की कमान तक संभाल रही हैं. 

पुलिस और पैरा-मिलिट्री फोर्सेज में तो महिलाएं पिछले कई दशक से अपनी बहादुरी का परिचय दे रही हैं. पाकिस्तान और बांग्लादेश सीमा पर तैनात बीएसएफ में महिला जवान और अधिकारी दोनों पदों पर हैं तो चीन सीमा पर तैनात आईटीबीपी में भी कुछ साल पहले महिलाओं को जवान के रैंक पर भर्ती किया गया है. सीआरपीएफ और उसकी सहायक टुकड़ी आरएएफ में तो महिलाएं रीढ़ की हड्डी की तरह हैं (https://youtu.be/22SwKBdrQDM?si=gMxGRlGfvImAFGAF)

[TFA Spl Series, Part-5]

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