जम्मू में उस वक्त हड़कंप मच गया जब अलगाववादी विचारधारा रखने वाले अखबार कश्मीर टाइम्स पर एसआईए यानी स्टेट इन्वेटिगेशन एजेंसी ने छापेमारी की. एजेंसी उस वक्त हैरान रह गई जब अखबार के दफ्तर से अखबार के दफ्तर से एके सीरीज़ राइफल्स के कारतूस, पिस्तौल की गोलियां और हैंड ग्रेनेड के पिन बरामद किए गए. आरोप है कि पत्रकारिता की आड़ में अखबार देश विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा था.
अखबार के खिलाफ दर्ज एफआईआर, प्रमोटर्स से पूछताछ
कश्मीर टाइम्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. अखबार और उसके प्रमोटर्स के खिलाफ देश-विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा देने के आरोप में केस रजिस्टर किया गया था. एफआईआर के मुताबिक कश्मीर टाइम्स के खिलाफ कथित तौर पर नाराजगी फैलाने, अलगाववाद का महिमामंडन करने और भारत और केंद्र शासित प्रदेश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को खतरा पहुंचाने का आरोप लगाया गया गया है. के लिए एक फर्स्ट इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट (FIR) भी दर्ज की गई थी.
एफआईआर में कश्मीर टाइम्स की एग्जीक्यूटिव एडिटर अनुराधा भसीन का भी नाम शामिल है.उसी एफआईआर के सिलसिले में एसआईए के अधिकारियों ने छापा मारा.
दफ्तर की जांच के दौरान हैंड ग्रेनेड पिन और कारतूस जैसे संवेदनशील सामान पाए जाने से एजेंसियां और चौकन्नी हो गई हैं.
कश्मीर टाइम्स ने की छापे की निंदा, जांच अधिकारियों ने क्या कहा
अधिकारियों के मुताबिक, अखबार के लिंक और गतिविधियों की जांच की गहनता से जांच पड़ताल की जा रही है, जो भारत की संप्रभुता को खतरा पहुंचाती हैं.
संयुक्त बयान में संपादक अनुराधा भसीन जामवाल और प्रबोध जामवाल ने छापे की कड़ी निंदा करते हुए इसे स्वतंत्र पत्रकारिता को चुप कराने की सुनियोजित कोशिश बताया है. कश्मीर टाइम्स की ओर से कहा गया, “सरकार की आलोचना करना देश-विरोधी होना नहीं है. एक मजबूत और सवाल उठाने वाली प्रेस स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अनिवार्य है. हमारे खिलाफ लगाए जा रहे आरोप डराने के लिए और खामोश करने के लिए हैं, लेकिन हम चुप नहीं बैठेंगे.”
आपको बता दें कि कश्मीर टाइम्स जम्मू और कश्मीर के सबसे पुराने और सबसे प्रमुख अखबारों में से एक है. इसे वेद भसीन ने शुरू किया था और 1954 में यह एक वीकली न्यूज़पेपर के तौर पर निकलता था, और 1964 में इसे डेली बना दिया गया.

