उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया के बीच तनाव, जुबानी जंग और पर्चा-कूड़ा फेंकने से कहीं अधिक बढ़ चुका है. दक्षिण कोरिया ने उत्तर कोरिया पर बहुत बड़ा आरोप लगाया है. आरोप ये कि उत्तर कोरिया अब उपयोग में नहीं लाई जा रही अंतर कोरियाई सड़कों और रेलवे ट्रैक के हिस्सों को नष्ट करने की तैयारी कर रहा है. ये आरोप ऐसे वक्त में लगाए गए हैं जब उत्तर कोरिया का तानाशाह दक्षिण कोरिया के ड्रोन भेजने पर बौखलाया हुआ है.
दक्षिण कोरिया की सेना की बड़ी आशंका, सड़कें ध्वस्त करेगा तानाशाह!
पिछले कुछ महीनों में उत्तर कोरिया के सैनिकों की दक्षिण कोरिया में आने घुसपैठ की घटनाओं में इजाफा हुआ है. घुसपैठ को देखते हुए सीमा पर दक्षिण कोरिया ने चौकसी बढ़ा दी है. इस बीच दक्षिण कोरिया ने निगरानी के दौरान आशंका जाहिर की, कि उत्तर कोरिया कई सड़कों को ध्वस्त करने की तैयारी कर रहा है. ये सड़क उत्तर कोरिया की सीमा में है जो दक्षिण कोरिया को जोड़ती हैं. लेकिन पिछले कई सालों से दोनों देशों के बीच चल रही तनातनी के चलते आवाजाही पूरी तरह बंद है.
दक्षिण कोरिया के ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ के प्रवक्ता ली सुंग जून ने बयान जारी करते हुए कहा कि” उत्तर कोरिया विस्फोटों की तैयारी के लिए सड़कों पर कवर लगा रहा है. उत्तर कोरिया ने सड़क को कवर से ढक दिया है और कवर के पीछे काम कर रहा है.
उत्तर कोरिया उकसाएगा तो हम एक्शन लेंगे: साउथ कोरिया
दरअसल उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया ग्योंगुई लाइन के जरिए सड़कों और रेलमार्गों से जुड़े हुए हैं. ये दक्षिण के पश्चिमी सीमावर्ती शहर पाजू को उत्तर के केसोंग से और पूर्वी तट को डोंगहे लाइन से जोड़ता है. ये रेल लाइन दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल को उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग से जोड़ती है.
कोरियाई युद्ध (1950-53) से पहले तक दोनों सुदूर-पूर्व एशिया के दोनों देश एक ही थे. ऐसे में दोनों देशों के बीच आवाजाही के लिए सड़क और रेलमार्ग दोनों ही थे. कोरियाई युद्ध में सीमावर्ती इलाकों के पुल, सड़क-मार्ग और रेलवे लाइन को बड़ा नुकसान पहुंचा था. कई दशक बाद जब दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार हुआ तो यातायात मार्गों की मरम्मत की गई या फिर नई कनेक्टिविटी तैयारी की गई. दोनों देश इस आस में थे कि निकट-भविष्य में पूरा कोरियाई प्रायद्वीप एक हो जाएगा.
उत्तर और दक्षिण कोरिया की सीमा यानी डिमिलिट्राइज जोन (डीएमजेड) में अभी भी वो ब्रिज (पुल) मौजूद है जहां युद्धविराम के बाद युद्धबंदियों की अदला-बदली हुई थी. अदला-बदली के बाद सैनिक वापस नहीं लौट सकते थे, ऐसे में उस पुल को आज भी ‘ब्रिज ऑफ नो रिटर्न’ के नाम से जाना जाता है.
किम जोंग-उन ने लेकिन, पिछले साल कोरिया को ‘दुश्मन देश’ करार दे दिया था, जिसके बाद इंटर कोरियन एक्सचेंज और सहयोग के प्रतीक के रूप में देखे जाने वाले मार्गों को तानाशाह खत्म करने पर आमादा है. दोनों कोरियाई देशों ने अपने-अपने यूनिफिकेशन मंत्रालयों तक को खत्म कर दिया था. क्योंकि दोनों देश मान रहे हैं कि शांतिपूर्ण तरीके से उत्तर और दक्षिण कोरिया का कभी एकीकरण नहीं हो पाएगा.
उत्तर कोरिया ने तब से स्ट्रीट लैंप को हटा दिया है और ग्योंगगुई और डोंगहे सड़कों के किनारे लैंड-माइंस बिछा दी हैं. साथ ही संदिग्ध एंटी-टैंक बैरियर बनाने और दोनों कोरिया को अलग करने वाले डिमिलिटराइज्ड ज़ोन के उत्तर की ओर कंटीले तारों को लगा सैनिक तैनात कर दिए हैं.
दक्षिण कोरिया के ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ ने उत्तर कोरिया को धमकाते हुए कहा है कि “अगर उत्तर कोरिया उकसावे की कार्रवाई करता है, तो हम आत्मरक्षा के अधिकार के तहत जवाबी कार्रवाई करेंगे. हम बॉर्डर पर ऐसी गतिविधियों पर बारीकी से नजर रख रहे हैं. हम अपने सैनिकों और अपने लोगों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं. हमें नुकसान पहुंचा तो उत्तर कोरिया का शासन खत्म हो जाएगा. “
बॉर्डर पर उत्तर कोरियाई सैनिक क्यों हैं तैयार?
उत्तर कोरिया के रक्षा मंत्रालय ने दक्षिण कोरिया की सीमा के पास अपनी तोपखाना इकाइयों को गोलीबारी के लिए तैयार रहने का आदेश दिया है. कोरियाई रक्षा मंत्रालय के आदेश में रविवार को रात 8 बजे तक ‘पूरी तरह से युद्धकालीन ताकत के साथ 8 तोपखाना ब्रिगेड को गोलीबारी करने के लिए तैयार रहने को कहा गया था. उत्तर कोरिया ने दावा किया था कि “दक्षिण कोरिया ने 3 अक्टूबर और फिर पिछले सप्ताह में बुधवार और गुरुवार को प्रोपेगेंडा फैलाने वाले पर्चे ले जाने वाले ड्रोन भेजे थे. प्योंगयांग ने कहा था कि हमारे इलाके में ड्रोन उड़ाना ‘सैन्य हमला माना जा सकता है’ प्योंगयांग ने “मानव रहित ड्रोन को एक गंभीर सैन्य उकसावा’ बताया था.”