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नक्सलियों का सामूहिक सरेंडर, 210 ने छोड़े हथियार

देश में नक्सलवाद खत्म करने की डेडलाइन यानी 31 मार्च 2026 से पहले छत्तीसगढ़ में नक्सलियों ने सामूहिक सरेंडर किया है. शुक्रवार को छत्तीसगढ़ में कुल 210 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जिनके पास से 153 हथियार बरामद हुए हैं. 

नक्सलियों का ये सामूहिक सरेंडर अब तक का सबसे बड़ा आत्मसमर्पण माना जा रहा है. पिछले कुछ महीनों में छत्तीसगढ़ में कई बड़े नक्सलियों को मारा जा चुका है. आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने हाथ में संविधान की पुस्तक लेकर हथियार छोड़ने की कसम खाई.

बस्तर में नक्सलियों का सामूहिक सरेंडर

छत्तीसगढ़ के बस्तर में सबसे बड़ा नक्सली सरेंडर हुआ है.बस्तर में 210 नक्सलियों ने एक साथ सरेंडर कर हथियार प्रशासन को सौंप दिए हैं. जिन नक्सलियों ने सरेंडर किया है उनमें कई नक्सली नेता भी हैं. राज्य सरकार की तरफ से ‘नक्सल उन्मूलन नीति’ के तहत अब तक का सबसे बड़ा आत्मसमर्पण कार्यक्रम आयोजित किया गया था.

रिजर्व पुलिस लाइन में आयोजित समारोह में करीब 210 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया. नक्सलियों के पास से कुल 153 हथियार बरामद किए गए हैं, जिनमें एके-47, एसएलआर,इंसास राइफल,एसएलआर, एलएमजी,कार्बाइन, बीजीएल लॉन्च शामिल हैं.

नक्सलियों की परेड, संविधान मानने की खाई कसम

समर्पण करने वाले नक्सली अबूझमाड़ इलाके से जगदलपुर पहुंचे. सरेंडर से पहले नक्सलियों ने परेड निकाली और हाथों में संविधान की कॉपी लिए देखे गए. 

बस्तर के आईजी सुंदरराज पट्टिलिंगम ने बताया- “माओवादी कैडर हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में शामिल होने के इरादे से आगे आए. समाज और हम सभी ने उन्हें स्वीकार किया. उन्हें हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी. यह एक ऐतिहासिक घटना है. इतनी बड़ी संख्या में माओवादी कैडर पहले कभी नहीं थे. हिंसा छोड़ एक ही दिन में मुख्यधारा में शामिल हो गए. हमें उम्मीद है कि भविष्य में अन्य नक्सली भी, जो अभी भी जंगलों में हैं, मुख्यधारा में शामिल होंगे.”

पूरे देश के लिए ऐतिहासिक दिन: सीएम विष्णुदेव साय

नक्सलियों के सरेंडर पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा, “आज का दिन सिर्फ छत्तीसगढ़ के लिए नहीं, पूरे देश के लिए ऐतिहासिक है, जब इतने बड़े पैमाने पर नक्सली हिंसा छोड़कर संविधान और विकास के रास्ते पर लौट रहे हैं.”

बीजेपी नेता अमित मालवीय ने इसे ऐतिहासिक दिन बताया. उन्होंने कहा, “अबूझमाड़ नक्सलमुक्त हो गया है. उत्तर बस्तर से लाल आतंक का सफाया हो चुका है. अब केवल दक्षिण बस्तर बचा है. यह बस्तर के लिए नई सुबह है.”

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