हिंद महासागर में सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण चागोस का मालिकाना हक अब मॉरीशस के हाथ में आ गया है. ब्रिटेन और मॉरीशस के बीच चागोस द्वीप को लेकर दशकों पुराना विवाद खत्म हो गया है. हालांकि द्वीप को लेकर समझौते में साफ तौर पर कहा गया है कि यहां मौजूद डिएगो गार्सिया मिलिट्री बेस को अमेरिका और ब्रिटेन पहले की तरह ही इस्तेमाल करते रहेंगे.
दरअसल हिंद महासागर की निगहबानी के लिए ये द्वीप रणनीतिक तौर पर अमेरिका और ब्रिटेन दोनों के लिए अहम है. चागोस को लेकर भारत हमेशा से मॉरीशस के पक्ष में रहता है, क्योंकि चागोस द्वीप भारत के लक्षद्वीप के करीब है.
चागोस, हिंद महासागर में 60 से अधिक द्वीपों का एक द्वीपसमूह है. चागोस द्वीपसमूह, मॉरीशस के मुख्य द्वीप से लगभग 2200 किलोमीटर उत्तर पूर्व में और तिरुवनंतपुरम से लगभग 1700 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में स्थित है. गलवान झड़प (2020) के दौरान डिएगो गार्सिया से ही अमेरिका ने चीन को डराने के लिए अपने स्ट्रैटेजिक बॉम्बर भेजे थे.
चागोस द्वीप पर विवाद खत्म, हिंद महासागर में क्या बदलेगा
ब्रिटेन और मॉरीशस के बीच चागोस द्वीप को लेकर समझौता कर लिया गया है. गुरुवार को ब्रिटेन चागोस द्वीप को मॉरीशस को सौंपने के लिए सहमत हो गया है. ब्रिटेन के पीएम और मॉरीशस के पीएम ने एक संयुक्त बयान जारी किया है. ब्रिटेन की सरकार ने कहा कि इस समझौते पर अंतर्राष्ट्रीय सहमति शामिल है. ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी ने कहा, इस सरकार को ऐसी स्थिति विरासत में मिली थी. लंबे समय से डिएगो गार्सिया मिलिट्री बेस का सिक्योरिटी ऑपरेशन खतरे में था. (https://x.com/USPacificFleet/status/1841249594719506522)
मॉरीशस के विदेश मंत्री ने गुरुवार का दिन एक यादगार दिन करार दिया. मॉरीशस के विदेश मंत्री मनीष गोबिन ने कहा की चागोस द्वीप मॉरीशस के लिए संप्रभुता का प्रतीक है. ब्रिटेन में सत्ता परिवर्तन के बाद लेबर पार्टी चागोस विवाद को सुलझाना चाहती थी. लिहाजा पिछले महीने ही लेबर पार्टी ने पूर्व पीएम टोनी ब्लेयर को वार्ताकार नियुक्त किया था.
ब्रिटेन ने 200 साल पहले किया था चागोस पर कब्जा
चागोस द्वीप के इतिहास में अगर जाएं तो साल 1814 में ब्रिटिश ने चागोस के साथ-साथ मॉरीशस पर भी कब्जा कर लिया. मॉरीशस को 1967 में ब्रिटेन से आजादी मिल गई पर चागोस पर कब्जा ब्रिटेन का ही रहा. चागोस के निवासियों को हटाकर ब्रिटेन ने चागोस द्वीप समूह के डिएगो गार्सिया को अमेरिका को किराए पर दे दिया और अमेरिका ने रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण इस द्वीप का इस्तेमाल नौसेना के लिए किया. अमेरिका ने सैन्य अड्डा बनाया हुआ है.
हम ब्रिटेन और मॉरीशस के फैसले का स्वागत करते हैं: भारत
भारत के विदेश मंत्रालय ने ब्रिटेन और मॉरीशस के साथ हुए समझौते का स्वागत किया है. भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि पिछले दो वर्षों से बातचीत के बाद चागोस द्वीप समूह पर समझौता हुआ है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने और हिंद महासागर क्षेत्र में शांति और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए मॉरीशस और दूसरे समान विचारधारा वाले साझेदारों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है.
चागोस विवाद पर भारत ने हमेशा मॉरीशस के दावे का समर्थन किया है, जो उपनिवेश मुक्त होने के सिद्धांतों और देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के अनुरूप है.
गलवान झड़प के दौरान अमेरिका ने यहीं से की थी भारत की मदद
वर्ष 2020 में गलवान घाटी झड़प के बाद चीन को धमकाने के लिए अमेरिका ने इसी द्वीप से अपने स्ट्रेटेजिक बॉम्बर को भारत की सीमा में भेजा था. हालांकि, भारत ने इस बॉम्बर की मांग नहीं की थी. लेकिन अमेरिका ने भारत से सामरिक-संबंधों के चलते स्ट्रेटेजिक बॉम्बर को भेजा था कि जरूरत पड़ने पर डिएगो गार्सिया से जरूरी मदद भेजी जा सकती है.