रूस से लौटे विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत और अमेरिका के रिश्तों पर बेबाकी से बात की है. रूस से तेल खरीदने पर भारत का बचाव करते हुए जयशंकर ने एक बार फिर से अमेरिका और यूरोप को खरी-खरी सुनाई है. कहा है, भारत बिना किसी दबाव के स्वतंत्र निर्णय लेता रहेगा, अगर आपको या किसी को भी भारत से तेल या रिफाइंड प्रोडक्ट खरीदने में दिक्कत है, तो आप मत खरीदो.
जयशंकर के अमेरिका के लिए ये बयान ऐसे वक्त में आया है, जब शुक्रवार को ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने राइट हैंड को भारत में राजदूत नियुक्त किया है. अभी तक व्हाइट हाउस में ट्रंप का काम संभालने वाले सर्जियो गोर को बड़ा ईनाम देते हुए विदेश नीति में हाथ आजमाने को कहा गया है.
रूस से तेल खरीदने पर जयशंकर का सीधा जवाब
राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ बढ़ाए जाने पर दिल्ली-वॉशिंगटन के बीच दूरियां बढ़ गई हैं. ये तल्खी रूस से तेल खरीदने और भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर के लिए ट्रंप को भारत की ओर से क्रेडिट न दिए जाने के कारण है.
दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में जयशंकर ने कहा, “यह हास्यास्पद है कि व्यापार-समर्थक अमेरिकी प्रशासन के लोग दूसरों पर व्यापार करने का आरोप लगा रहे हैं. अगर आपको भारत से तेल या रिफाइंड प्रोडक्ट खरीदने में दिक्कत है, तो मत खरीदो. कोई आपको इसके लिए मजबूर नहीं कर रहा. यूरोप खरीदता है, अमेरिका खरीदता है. अगर आपको नहीं पसंद, न खरीदें.”
राष्ट्रीय और वैश्विक दोनों के हित में है हमारा रूस से तेज खरीदना: जयशंकर
जयशंकर ने कहा, कि साल 2022 में जब तेल की कीमतें बढ़ीं, तो दुनियाभर में चिंता बढ़ गई. उस समय कहा गया था कि अगर भारत रूस से तेल खरीदना चाहता है, तो खरीदने दें. क्योंकि इससे कीमतें स्थिर हो जाएंगी. भारत की खरीदारी का उद्देश्य बाजारों को शांत करना भी है. हम कीमतों को स्थिर रखने के लिए रूस से तेल खरीद रहे हैं. यह राष्ट्रीय और वैश्विक दोनों के हित में है.
राष्ट्रपति ट्रंप की विदेश नीति और काम करने का तरीका अलग: जयशंकर
एस जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि पहले भी विवाद के मुद्दे रहे हैं, लेकिन उन्होंने कहा, बातचीत के माध्यम से विवादों को सुलझाया गया है.
जयशंकर ने कहा कि “अमेरिका और चीन के भारत के संबंधों में सहयोग और विवाद दोनों देखे गए हैं, लेकिन कुल मिलाकर मामला सकारात्मक रहा है. अभी कुछ मुद्दे हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कि हमारे बीच पहले कभी कोई मुद्दे नहीं थे. रिश्ते के अन्य पहलू मजबूत हैं. ओबामा के कार्यकाल में वॉशिंगटन ने चीन के साथ जी 2 फ्रेमवर्क का आइडिया दिया था. लेकिन ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिकी विदेश नीति का नजरिए में बदलाव हुआ है.”
“हमारे पास अब तक ऐसा कोई अमेरिकी राष्ट्रपति नहीं रहा जिसने विदेश नीति को वर्तमान राष्ट्रपति जितना सार्वजनिक रूप से संचालित किया हो. यह अपने आप में एक बदलाव है जो केवल भारत तक सीमित नहीं है. राष्ट्रपति ट्रंप का दुनिया के साथ, यहां तक कि अपने देश के साथ भी व्यवहार करने का तरीका बहुत अलग है.”
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अमेरिका से वैसी बातचीत हुई, जैसे दूसरे देशों के साथ हुई थी: जयशंकर
एस जयशंकर ने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अमेरिका से बातचीत हुई थी. इसके साथ ही अन्य कई देशों से भी बातचीत की गई थी. युद्ध के समय जैसे अन्य देशों से बात होती है वैसे ही अमेरिका के साथ भी हुई थी. उदाहरण के तौर पर जयशंकर ने कहा, जब इजरायल-ईरान के बीच संघर्ष हुआ तो मैंने कॉल किया था. जब रूस-यूक्रेन के बीच जंग शुरु हुई तो भी मैंने कॉल किया. ये एक विदेश नीति है कि एक देश को दूसरे देश के बारे में और वहां की स्थिति के बारे में पता चल सके.”
“अंतर्राष्ट्रीय रिश्ता ऐसा ही होता है कि जब किसी एक देश पर संकट आता है, तो दूसरे लोग बात करते हैं, ऐसा ही भारत के साथ हुआ, कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों के कॉल आए. लेकिन ये सच्चाई है कि संघर्ष तभी थमा जब पाकिस्तान ने गुहार लगाई.”
जयशंकर ने ये भी कहा कि “पाकिस्तान और दोस्ती का इतिहास रहा है. पाकिस्तान अपनी सहूलियत के मुताबिक राजनीति करता रहा है.”
भारत-अमेरिका के व्यापार पर बातचीत जारी, किसानों, छोटे व्यवसायियों के रक्षा के लिए प्रतिबद्ध: जयशंकर
अमेरिका के साथ चल रही व्यापार वार्ता पर जयशंकर ने कहा कि “बातचीत जारी है लेकिन भारत का रुख मजबूत है. बातचीत में कई सीमा रेखाएं हैं और हमें उनके बारे में स्पष्ट होना होगा. हम किसानों और छोटे व्यवसायों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं. हमारे सामने कुछ लाल रेखाएं हैं. बातचीत अभी भी इस मायने में चल रही है कि किसी ने भी यह नहीं कहा कि बातचीत बंद है. लोग एक-दूसरे से बात करते हैं.”