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साइप्रस की ग्रीन लाइन पहुंचे मोदी, तुर्की को कड़ा संदेश

साइप्रस पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुर्किए को सांकेतिक तौर पर दिया है कड़ा जवाब. पीएम मोदी ने साइप्रस के अहम दौरे का समापन तुर्की से सटे डी-मिलिट्राइज जोन पहुंच कर किया है. तुर्किए ने पहलगाम नरसंहार के बाद पाकिस्तान का खुलकर समर्थन किया था, अब पीएम मोदी ने तुर्किए के कट्टर दुश्मन और पड़ोसी देश साइप्रस पहुंचकर सपोर्ट जताया है.

पीएम मोदी ने साइप्रस में उस सीमा का दौरा किया जो तुर्किए और साइप्रस के बीच विवाद की जड़ है. पिछले 51 सालों से तुर्किए ने साइप्रस का एक बड़ा हिस्सा कब्जा कर रखा है. ऐसे में संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने दोनों देशों के बीच बफर जोन बना रखा है ताकि सैन्य टकराव को रोका जा सके.

साइप्रस के डी-मिलिट्राइज जोन में पीएम, ताकता रहा पाकिस्तान का दोस्त तुर्किए 

पीएम मोदी ने साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलाइड्स के साथ सोमवार की दोपहर इस डी-मिलिट्राइज जोन का दौरा किया, जिसे यूएन प्रोटेक्टेड एरिया (ग्रीन लाइन) भी कहा जाता है. पीएम मोदी ने सीमा पर पहुंचकर राष्ट्रपति निकोस से तुर्की से विवाद और इस बफर जोन को लेकर चर्चा की. राष्ट्रपति निकोस ने इस बफर जोन से पीएम मोदी को तुर्की के कब्जे वाले साइप्रस को दिखाया.

साइप्रस-तुर्किए में क्या विवाद, पहलगाम नरसंहार के बाद तुर्किए ने दिखाया था असली रंग

साइप्रस में ग्रीक और तुर्क अल्पसंख्यक लोग रहते हैं. दोनों समुदायों के बीच लंबे समय से नस्लीय विवाद चला आ रहा है. साल 1974 में ग्रीक समुदाय से जुड़े लड़ाकों ने द्वीप पर तख्तापलट किया था जिसके बाद तुर्की ने तुर्क समुदाय के लोगों की रक्षा का बहाना कर द्वीप पर हमला कर दिया था. इस आक्रमण के बाद साइप्रस दो हिस्सों में बंट गया, जिनमें से एक में ग्रीक-साइप्रस सरकार है और दूसरे पर तुर्क-साइप्रस वासियों का कंट्रोल है.

संयुक्त राष्ट्र सहित दुनिया का कोई भी देश तुर्की के इस क्षेत्र को मान्यता नहीं देता है. ऐसे में पीएम मोदी के बफर जोन का दौरा बेहद अहम हो जाता है.

पहले कश्मीर मुद्दा का अंतरराष्ट्रीय करण करने और अब ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जिस तरह तुर्की ने खुलकर पाकिस्तान का साथ दिया, उसके लिए भारत कभी भी इस्तांबुल को माफ करने वाला नहीं है.

साइप्रस के डी मिलिट्राइेज जोन में यूएन पीसकीपिंग फोर्स ने भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट को बनाया था पहला कमांडर

संयुक्त राष्ट्र के आदेश पर डी-मिलिट्राइेज जोन में यूएन पीसकीपिंग फोर्स तैनात रहती है. खास बात ये है कि तुर्की से हुए सैन्य टकराव के बाद इस पीस कीपिंग फोर्स के पहले कमांडर भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट जनरल दीवान प्रेम चंद बनाए गए थे. अगले महीने यानी 20 जुलाई को तुर्की के हमले के 51 वर्ष पूरे हो रहे हैं.

बफर जोन यानी यूएन प्रोटेक्टेड एरिया बनने से पहले भी भारत के टॉप मिलिट्री कमांडर्स ने साइप्रस की शांति के लिए अपने सेवाएं दी हैं. भारत के चर्चित थलसेना प्रमुख जनरल के एस थिमैया (1957-61) ने रिटायरमेंट के बाद भी साइप्रस में यूएन पीसकीपिंग फोर्स के कमांडर के तौर पर अपनी सेवाएं दी थी. 1965 में साइप्रस में तैनाती के दौरान ही उनका निधन हो गया था. यही वजह है कि साइप्रस ने वर्ष 1966 में जनरल थिमैया की याद में एक पोस्टल स्टैंप जारी किया था.

पीएम मोदी और राष्ट्रपति निकोस के बीच द्विपक्षीय वार्ता, यूएन में भारत की स्थायी सदस्यता का साइप्रस ने किया है समर्थन

पीएम मोदी ने ग्रीन लाइन पहुंचने से पहले ही राष्ट्रपति निकोस के साथ हुई प्रतिनिधिमंडल स्तर की चर्चा में साइप्रस की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के प्रति अपना समर्थन जताया. दोनों देशों के साझा बयान में इस बात का जिक्र किया गया. साथ ही संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के तहत ही साइप्रस विवाद निपटाने का आह्वान किया. 

पीएम मोदी ने अपने साझा बयान में कहा,”भारत, साइप्रस द्विपक्षीय सहयोग को रणनीतिक दिशा प्रदान करने तथा रक्षा सहयोग को मजबूत करने के लिए रोडमैप विकसित करेंगे. हमने पश्चिम एशिया तथा यूरोप में चल रहे संघर्षों पर चिंता व्यक्त की. हमारा मानना ​​है कि यह युद्ध का युग नहीं है. सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन करने के लिए हम साइप्रस के आभारी हैं. इस वर्ष भारत-साइप्रस-ग्रीस साझेदारी शुरू की गई है, भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा इस क्षेत्र में शांति तथा समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करेगा.” 

वहीं साइप्रस के राष्ट्रपति ने कहा कि साइप्रस तुर्की के अवैध कब्जे को खत्म करना चाहता है. उनके और पीएम मोदी के बीच साइप्रस मुद्दे पर भी चर्चा हुई. 

साइप्रस ने पीएम मोदी को दिया सर्वोच्च नागरिक सम्मान

पीएम मोदी को साइप्रस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘ग्रैंड क्रॉस ऑफ द ऑर्डर ऑफ मकारियोस तृतीय’ से सम्मानित किया गया है. ऑर्डर ऑफ मकारियोस तृतीय साइप्रस की ओर से प्रदान किया जाने वाला नाइटहुड सम्मान है, जिसका नाम साइप्रस के प्रथम राष्ट्रपति आर्कबिशप मकारियोस तृतीय के नाम पर रखा गया था. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा, “यह पुरस्कार शांति, सुरक्षा, संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और हमारे लोगों के प्रति हमारी अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक है.”

साइप्रस की सांसद ने पीएम मोदी का पैर छूकर लिया आशीर्वाद

सोमवार को साइप्रस के निकोसिया के ऐतिहासिक केंद्र का पीएम मोदी ने दौरा किया. इस दौरान एक वीडियो ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा. साइप्रस की एक सांसद ने पीएम मोदी के पैर छूकर उनका स्वागत किया है. निकोसिया परिषद की सदस्य माइकेला काइथ्रेओटी म्हाल्पा ने पारंपरिक तरीके से प्रधानमंत्री मोदी के पैर छूकर उनका स्वागत किया. प्रधानमंत्री मोदी ने सांसद के इस अभिवादन को विनम्रतापूर्वक स्वीकार किया और पूछा कि आपको भारतीय परंपरा के बारे में पता है. इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है.

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