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इंडो-पैसिफिक पर राजनाथ की China को सलाह, आसियान ने भारत को बताया महाशक्ति

मलेशिया में चीन के डिफेंस मिनिस्टर की मौजूदगी में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साफ कर दिया है कि प्रशांत महासागर में नेविगेशन या फिर आसमान में उड़ान, किसी देश (चीन) के विरोध में नहीं बल्कि क्षेत्र के देशों के साझा हित में है. राजनाथ सिंह ने दो टूक कहा कि रूल ऑफ लॉ या फिर समंदर से जुड़े यूएन कानूनों पर जोर देना भी किसी देश के खिलाफ नहीं है.

साउथ चायना सी में चीन की दादागीरी बर्दाश्त नहीं

प्रशांत महासागर के साउथ चाइना सी में चीनी नौसेना, फिलीपींस, वियतनाम और दूसरे आसियान देशों के जहाज के आने का विरोध करती है. यहां तक की अमेरिका या फिर किसी दूसरे देश के जंगी जहाज या फिर आसमान में विमानों की उड़ान पर भी चीन के नथुने फूल जाते हैं. ऐसे में राजनाथ सिंह का बयान बेहद अहम हो जाता है.

आसियान-प्लस देशों के रक्षा मंत्रियों के शिखर सम्मेलन को संबोधित किया राजनाथ ने

खास बात ये है कि जिस वक्त मलेशिया की राजधानी कुआलालंपुर में राजनाथ ने ये दमदार संबोधन किया, चीन के रक्षा मंत्री एडमिरल डॉन्ग जून करीब बैठे थे. चीन भी एडीएमएम-प्लस संगठन का सदस्य देश है.

कुआलालंपुर में इनदिनों तीन दिवसीय (30 अक्टूबर-1 नवंबर) आसियान डिफेंस मिनिस्टर्स मीटिंग (एडीडीएम)-प्लस का शिखर सम्मेलन चल रहा है. एडीएमएम-प्लस, आसियान देशों (ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओ पीडीआर, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, तिमोर-लेस्ते और वियतनाम) और इसके आठ संवाद साझेदारों (भारत, अमेरिका, चीन, रूस, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड) के लिए सुरक्षा और रक्षा सहयोग को मजबूत करने का एक अहम मंच है.

सम्मेलन के आखिरी दिन राजनाथ सिंह ने एडीएमएम-प्लस के 15 वर्ष पूरे होने और भविष्य की राह पर अपना संबोधन दिया. इस दौरान अमेरिका के रक्षा सचिव पीट हेगसेथ सहित एडीएमएम-प्लस देशों के सभी रक्षा मंत्री मौजूद थे.

राजनाथ ने प्रशांत महासागर में फ्रीडम ऑफ नेविगेशन की करी वकालत

रक्षा मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि “आसियान के साथ भारत का रणनीतिक जुड़ाव लेन-देन संबंधी नहीं, बल्कि दीर्घकालिक और सिद्धांत-आधारित है, और यह इस साझा विश्वास पर आधारित है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र खुला, समावेशी और दबाव से मुक्त रहना चाहिए.”

एडीएमएम-प्लस की अध्यक्षता के लिए मलेशिया को बधाई देते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि सुरक्षा में सभी देशों की भागीदारी इस बात को सुनिश्चित करती है कि क्षेत्रीय (वर्ल्ड) ऑर्डर में सभी छोटे-बड़े देशों की भूमिका है और उसका फायदा सभी को मिलना चाहिए.

रक्षा मंत्री ने आसियान देशों को समझाई पीएम मोदी की महासागर पॉलिसी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक्ट-ईस्ट और महासागर (म्युचअल एंड होलिस्टिक एडवांसमेंट फॉर सिक्योरिटी एंड ग्रोथ एक्रॉस रिजन्स) को विस्तार से समझाते हुए राजनाथ सिंह ने बताया कि जल्द ही भारत और आसियान देशों की सेनाओं की एक साझा मिलिट्री एक्सरसाइज फोर्स-18 का भी जिक्र किया.

मलेशिया, फिलीपींस और कंबोडिया ने बताया भारत को महाशक्ति

एडीएमएम अध्यक्ष के रूप में मलेशिया के रक्षा मंत्री दातो सेरी मोहम्मद खालेद ने राजनाथ सिंह का स्वागत किया और भारत को एक महाशक्ति बताया. दातो ने कहा कि साइबर और डिजिटल रक्षा के साथ-साथ रक्षा उद्योग एवं नवाचार के क्षेत्र में भारत के साथ अपने संबंध को मजबूत करके आसियान को एक समुदाय के रूप में लाभ होगा. उन्होंने एक आत्मनिर्भर रक्षा उद्योग और तकनीकी अनुसंधान प्रणाली स्थापित करने की भारत की क्षमता की सराहना की, जिससे आसियान के सदस्य देशों को लाभ हो सकता है.

फिलीपींस के रक्षा मंत्री ने भी एक महाशक्ति होने के नाते अंतर्राष्ट्रीय कानून और बहुपक्षवाद के प्रति भारत के सम्मान की सराहना की. फिलीपींस के रक्षा मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि-पत्र का पालन करके, भारत ने क्षेत्र के अन्य देशों के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण स्थापित किया है.

कंबोडिया के रक्षा मंत्री ने भी मलेशिया और फिलीपींस की भावनाओं को दोहराते हुए भारत के उदय की सराहना की और संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों और सैन्य चिकित्सा में प्रशिक्षण में इसके योगदान के लिए आभार व्यक्त किया.

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