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नक्सल-दंपति का सरेंडर, क्रूर विचारधारा से मोहभंग

हिंसक और क्रूर विचारधारा से मोहभंग होने के साथ जंगल में निराशा भरी जिदंगी को छोड़कर एक नक्सली दंपति ने बीएसएफ के समक्ष आत्मसमर्पण किया है. छत्तीसगढ़ के बेहद घने जंगल अबूझमाड़ में पिछले कई सालों से छिपे नक्सली दंपति पर पांच-पांच लाख का इनाम था.

सरेंडर करने पर पति-पत्नी को बीएसएफ ने 25 हजार रुपये का चेक बतौर प्रोत्साहन प्रदान किया गया एवं नक्सल उन्मूलन नीति के तहत मिलने वाली सभी प्रकार की सुविधाएं दिलाए जाने का भरोसा दिया.

छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में एमएमसी जोन  के अन्तर्गत भैरमदेव एरिया कमेटी में सक्रिय माओवादी दंपति सुदेन कोर्राम उर्फ जनकू कोर्राम एवं पत्नी सरिता पोटावी उर्फ करिश्मा ने बीएसएफ के क्षेत्रीय डीआईजी हरिंदर पाल सिंह सोही और दूसरे वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में अपने हथियार डालकर मुख्यधारा में शामिल होने का प्रण लिया.

बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (बीएसएफ) के मुताबिक, नक्सलियों की क्रूर विचारधारा से तंग आकर दंपति ने आत्मसमर्पण किया है.

अबूझमाड़ जंगल में हो रहा जीवन स्तर में सुधार

सीमा सुरक्षा बल द्वारा अबूझमाड़ के अंदरुनी क्षेत्रों में लगातार स्थापित किए जा रहे कैम्प और आम नागरिकों के जीवन स्तर में सुधार के प्रयासों के फलस्वरूप माओवादी आत्मसमर्पित होकर समाज की मुख्यधारा से जुड़कर स्वच्छंद रूप से सामान्य जीवन जीना चाहते है.

अबूझमांड जंगल, हाल के सालों तक नक्सलियों की विशेष पनाहगार था. लेकिन सुरक्षाबलों ने जंगल को नक्सली मुक्त करने के साथ ही विकास कार्यो को भी शुरु कर दिया गया है.

सरेंडर से नक्सलियों का बड़ा झटका

बीएसएफ के मुताबिक, माओवादियों के आत्मसमर्पण के पीछे माड़ और नारायणपुर जिले में चलाये जा रहे विकास कार्य एवं सुरक्षा बलों द्वारा स्थानीय लोगों के दिलों में जगाया गया विश्वास बड़ा कारण रहा, तेजी से बनती सड़के गांव तक पहुंचती विभिन्न सुविधाओं ने इन्हें प्रभावित किया है.

छत्तीसगढ़ के आत्मसमर्पण नीति व जिला नारायणपुर क्षेत्र में चलाये जा रहे ‘‘माड़ बचाओ अभियान” एवं सुरक्षा बलों के सघन प्रयासों से प्रभावित माओवादियों के हो रहे आत्मसमर्पण से नक्सलियों को एक बड़ा झटका है.

आने वाले समय में बढ़ेंगे सरेंडर

बीएसएफ के प्रवक्ता ने बताया कि आने वाले समय में और भी नक्सलियों के संगठन छोड़कर आत्मसमर्पण करने की गोपनीय सूचना है. आत्मसमर्पण कराने में बीएसएफ का विशेष योगदान है. इस प्रकार नक्सलियों का आत्मसमर्पण से शीर्ष माओवादी कैडर के लिए बड़ा नुकसान हुआ है। नक्सल मुक्त माड़ बचाव अभियान की कल्पना साकार रूप ले रहा है.

सरेंडर करने पर मिलता है पुनर्वास नीति का फायदा

सरकार की पुनर्वास नीति के फायदे घर, नौकरी ने माओवादियों को आकर्षित किया है.

बीएसएफ के मुताबिक, माओवादी की विचारधारा में भटके नक्सलियों को उनके घर वाले भी वापस लाना चाहते है. ऐसे में हम सभी नक्सली भाई-बहनों से अपील करते हैं कि उनका बाहरी लोगों की भ्रामक बातों और विचारधारा से बाहर निकलने का समय आ गया है. अब समय माड़ को वापस उसके मूलवासियों सौंप देने का है जहाँ वे निर्भीक रूप से सामान्य जीवन व्यतीत कर सके.