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यूएन में फिलिस्तीन के साथ भारत, स्वतंत्र राज्य के पक्ष में की वोटिंग

संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत ने इजरायल और फिलिस्तीन के बीच टू स्टेट सॉल्यूशन के पक्ष में वोट किया है. तकरीबन 23 महीने से चल रही जंग को शांत करने के लिए भारत ने इस बात का समर्थन किया है कि फिलिस्तीन टू स्टेट सॉल्यूशन ही समस्या का समाधान है. 

यूएन में शुक्रवार को फिलिस्तीन को लेकर महत्वपूर्ण प्रस्ताव पास हुआ है, जिसमें भारत का वोट फिलिस्तीन के पक्ष में गया है.भारत समेत कुल 142 देशों ने अपना समर्थन देकर प्रस्ताव को पारित किया. ये प्रस्ताव फ्रांस की ओर से आया था, जिसमें फ्रांस ने मांग की थी कि फिलिस्तीन को स्वतंत्र राज्य (देश) का दर्जा मिलना चाहिए.

यूएन में फिलिस्तीन के पक्ष में भारत, स्वतंत्र राष्ट्र की मांग को सही बताया

संयुक्त राष्ट्र महासभा में शुक्रवार को ‘न्यूयॉर्क घोषणा’ पर ऐतिहासिक मतदान हुआ. भारत ने फिलिस्तीन के स्वतंत्र राष्ट्र की मांग के पक्ष में समर्थन दिया है. इस प्रस्ताव के पक्ष में 142 देशों ने वोट दिया, जबकि 10 ने विरोध किया और 12 देशों ने मतदान नहीं किया. 

यूएन महासभा में लाए गए एक प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करते हुए भारत ने कहा, वह दो अलग-अलग देशों को मान्यता देकर इस विवाद का शांतिपूर्ण समाधान करने के पक्ष में है और हमेशा से फिलिस्तीन को स्वतंत्र राष्ट्र मान्यता दिलाने की कोशिशों के साथ खड़ा रहा है. स्थायी शांति तभी संभव है, जब फिलिस्तीन को स्वतंत्र राज्य का दर्जा मिले.

न्यूयॉर्क घोषणा पत्र में क्या है, जानिए

न्यूयॉर्क घोषणा ऑन द पीसफुल सेटलमेंट ऑफ द क्वेश्चन ऑफ फिलिस्तीन एंड द इंप्लीमेंटेशन ऑफ द टू-स्टेट सॉल्यूशन’ नामक इस प्रस्ताव को फ्रांस और सऊदी अरब ने पेश किया. इस घोषणा पत्र में कहा गया है कि गाजा युद्ध खत्म करने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हैं और एक न्यायपूर्ण, स्थायी समाधान केवल दो-राष्ट्र फार्मूले से ही संभव है.

घोषणा में पहली बार संयुक्त राष्ट्र महासभा ने साफ शब्दों में 7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा इजरायल में किए गए हमलों की निंदा की है. इसमें मांग की गई कि हमास सभी बंधकों को रिहा करे और गाजा से सत्ता छोड़कर अपने हथियार फिलिस्तीनी प्राधिकरण को सौंप दे. 

प्रस्ताव में गाजा में इजरायल की जवाबी कार्रवाई की भी आलोचना की गई है, जिसमें नागरिक बर्बादी, इंफ्रास्ट्रक्चर की तबाही, नाकेबंदी और भुखमरी के कारण उत्पन्न मानवीय संकट को गंभीर बताया गया है.

फ्रांसीसी राष्ट्रपति ने फिलिस्तीन को लेकर क्या कहा, जिसपर भड़के हुए हैं नेतन्याहू

फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने घोषणा की है कि 22 सितंबर को न्यूयॉर्क में होने वाले संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन में वह औपचारिक रूप से फिलिस्तीन राज्य को मान्यता देगा. कई अन्य यूरोपीय नेताओं ने भी फ्रांस का साथ दिया है.

फ्रांस के इस ऐलान से इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू भड़के हुए हैं. नेतन्याहू ने कहा है कि वह फिलिस्तीन को अलग देश के तौर पर मान्यता नहीं देंगे. क्योंकि ये फिलिस्तीन को मान्यता देने का मतलब है हमास और आतंकवादियों को बढ़ावा देना. 

अमेरिका ने किया बड़ा खेल, फिलिस्तीन राष्ट्रपति समेत 80 का वीजा रद्द

22 सितंबर में होने वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा से पहले अमेरिका ने बड़ा खेल कर दिया गै. अमेरिका ने फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास और 80 अन्य अधिकारियों के वीजा रद्द कर दिए हैं. साथ ही नए वीजा को खारिज कर दिया है. 

फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास न्यूयॉर्क को होने वाली एक उच्च-स्तरीय बैठक में  हिस्सा लेने वाले थे, जिसे फ्रांस और सऊदी अरब की सह-अध्यक्षता में आयोजित किया गया है. यह बैठक इजरायल और एक स्वतंत्र फिलिस्तीन के साथ-साथ रहने वाले दो-राज्य समाधान के लिए बुलाई गई थी.

फिलीस्तीन ने वीजा वापसी को संयुक्त राष्ट्र के मेजबान देश के रूप में अमेरिकी प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन बताया है. विदेश विभाग से अपने फैसले को वापस लेने का आग्रह किया. लेकिन अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने अपने ताजा बयान में कहा है, कि महमूद अब्बास को वीज़ा नहीं दिया जाएगा.

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