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नीदरलैंड के प्रधानमंत्री बने NATO चीफ, यूक्रेन को बचाना प्राथमिकता

रूस के खिलाफ यूक्रेन को हथियार देने की हिमायती रहे नीदरलैंड के प्रधानमंत्री मार्क रूटे नाटो के नए प्रमुख चुने गए हैं. नीदरलैंड में चुनाव हारने के चलते रुटे जल्द ही अपना पद छोड़ने वाले हैं और अक्टूबर के महीने में नाटो का पदभार संभालेंगे. वे जेन्स स्टोलटेनबर्ग की जगह लेंगे जो पिछले दस सालों से नाटो के सेक्रेटरी जनरल के पद पर आसीन थे.

अमेरिका के नेतृत्व वाले मिलिट्री संगठन नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेशन (नाटो) में कुल 32 देशों की सेनाएं शामिल हैं. यूक्रेन के नाटो में शामिल होने के निर्णय से लेकर हथियार देने तक में रूटे के लिए आगे की डगर काफी मुश्किल भरी होने जा रही है.

वर्ष 2014 से रूटे नीदरलैंड के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर थे. इस दौरान उन पर नीदरलैंड के रक्षा बजट को कम करने के आरोप भी लगे थे. लेकिन यूक्रेन युद्ध शुरु होने के बाद उन्होंने नीदरलैंड का डिफेंस बजट जीडीपी का 2 प्रतिशत कर दिया था. साथ ही यूक्रेन को हथियार भी सप्लाई किए थे. उन्हें कई बार यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के साथ भी देखा गया है. रुटे ने यूक्रेन को अपने एफ-16 तक इस्तेमाल करने के लिए दिए हैं.

रुटे के लिए यूक्रेन में लगातार बढ़त बना रहे रूस को रोकना भी एक टेढ़ी खीर साबित हो सकता है. डोनबास को पूरी तरह रशियन फेडरेशन का हिस्सा बनाने के बाद अब रूसी सेना ने उत्तरी यूक्रेन के खारकीव (खारकोव) इलाके में ग्राउंड ऑपरेशन शुरु कर दिए हैं. रूसी सेना यूक्रेन सीमा के 10-12 किलोमीटर अंदर तक दाखिल हो चुकी है और करीब एक दर्जन गांवों पर भी कब्जा कर लिया है.

शरणार्थियों के प्रति नरम रुख के चलते रूटे को नीदरलैंड के प्रधानमंत्री का पद छोड़ना पड़ा है. उनकी जगह दक्षिणपंथी गिर्ट विल्डर्स अब नीदरलैंड की कमान संभालेंगे जिन्हें इस्लाम और निर्वासित मुस्लिमों के खिलाफ सख्त नीतियों के लिए जाना जाता है.  

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