July 5, 2024
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संकल्प दिवस: मां भारती का मुकुट अधूरा है !

By Gaurav Aggarwal
जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद शांति और स्थिरता का माहौल है. पिछले पांच सालों में सेना, सरकार और सुरक्षाबलों के दृढ संकल्प, सख्त नीतियों और विकास के अथक प्रयास से जम्मू-कश्मीर आज मुख्यधारा में शामिल होने के लिए पूरी तरह तैयार है. लेकिन एक बड़ा ‘संकल्प’ अभी भी बाकी है. वो संकल्प जो आज से ठीक 30 साल पहले आज ही के दिन भारत की संसद ने लिया था. 

22 फरवरी को ‘संकल्प दिवस’ के तौर पर भी मनाया जाता है. क्योंकि इसी दिन 1994 में तत्कालीन पी वी नरसिम्हा राव की सरकार के नेतृत्व में संसद ने एकमत होकर पूरे जम्मू कश्मीर जिसमें पाकिस्तान के कब्जे वाला पाकिस्तान (पीओके), लद्दाख और अक्साई चिन को भारत का अभिन्न अंग घोषित किया गया था. 

भारत मां का ‘मुकुट’, जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख पौराणिक काल से ही भारत का महत्वपूर्ण भू-भाग रहा है. लगभग 2,22,000 वर्ग किमी वाले इस क्षेत्र का बड़ा हिस्सा पाकिस्तान (78000 वर्ग किमी) और चीन (38000 वर्ग किमी) के अवैध कब्जे में है. अवैध कब्जे वाला यह क्षेत्र प्राकृतिक सम्पदाओं से भरा हुआ है. स्वर्ण खनिज, अनेक बहुमूल्य रत्न, थोरियम-यूरेनियम जैसे परमाणु खनिजों और प्रचुर जल संसाधनों से परिपूर्ण ये भूमि आर्थिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है. 

पश्चिम देशों को पूर्व से जोड़ने वाला प्राचीन भू-मार्ग ‘सिल्क रूट’ इसी क्षेत्र से होकर निकलता है. कश्यप ऋषि की यह भूमि भारत की शिक्षा, अध्यात्म और संस्कृति का केंद्र भी रही है. माँ सरस्वती की प्राकट्य स्थली शारदा पीठ एवं प्राचीन विश्वविद्यालय की भूमि भी यही क्षेत्र है. वर्तमान में, अफगानिस्तान, पाकिस्तान, चीन और नेपाल से इस क्षेत्र की सीमाएं लगती हैं. दक्षिण एवं मध्य एशिया में सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र से पूरे एशिया को नियंत्रित किया जा सकता है, इस क्षेत्र पर विश्व के शक्तिशाली देशों की नजर गढ़ी रहती है.

1990 के आरम्भ में कश्मीर में पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवादियों की घुसपैठ और भारत विरोधी आतंकवाद चरम पर था. पाकिस्तान ने इन आतंकवादियों के द्वारा एक परोक्ष ‘छद्म युद्ध’ छेड़ रखा था. पाकिस्तान प्रायोजित इन कट्टरपंथी आतंकियों ने 19-20 जनवरी 1990 को कश्मीरी पंडितों को कश्मीर छोड़ देने या धर्मांतरण कर लेने को कहा और मानवता को शर्मसार कर देने वाला दुर्दांत नृशंस नरसंहार कर डाला. बड़ी संख्या में कश्मीरी हिंदू मार दिए गए और लगभग 3,00,000 कश्मीरी हिंदू कश्मीर से बेदखल कर दिए गए.

कट्टरपंथ को आधार बनाकर कश्मीर को भारत से अलग कर देने का षड्यंत्र रचकर अब तक परोक्ष रूप से भारत पर युद्ध छेड़ने वाले पाकिस्तान की तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो ने खुलकर आतंकवादियों और अलगाववादियों का समर्थन करना शुरू कर दिया. कश्मीरी हिंदुओं के नरसंहार एवं दुर्भाग्यपूर्ण पलायन के कालखंड में ही 5 फरवरी 1990 को ‘कश्मीर सॉलिडैरिटी डे’ की घोषणा कर दी और एक रेजोल्यूशन पास करके इसके पांच दिन बाद ही पाकिस्तानी सरकार ने कश्मीर को भारत का अभिन्न हिस्सा होने के सच को झुठलाते हुए संयुक्त राष्ट्र से दखल की मांग कर डाली.

इसके तुरंत बाद 13 मार्च को जम्मू-कश्मीर के मुजफ्फराबाद (पीओजेके) में एक रैली कर आतंकवादियों और अलगाववादियों को अपना समर्थन जारी रखने का वादा कर दिया. इसके बाद नवाज शरीफ ने भी ऐसा ही किया.

मई 1993 में अमेरिकी से अमेरिकी सरकार के नुमाइंदे जौन मलोट और रॉबिन राफेल का भारत आना हुआ और बातचीत के दौरान उन्होंने भारत में ‘कश्मीर समस्या’ को भारत और पाकिस्तान के बीच ‘कश्मीर विवाद’ कह दिया. जब, सितंबर 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के संबोधन में, तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने भी “कश्मीर समस्या” को “कश्मीर विवाद” कह दिया तब भारत की आंखें खुली और कश्मीर से भारत सरकार को बेदखल करने ही हो अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र का आभास हुआ.

भारत के विरुद्ध षड्यंत्र करते हुए पाकिस्तानी सरकार ने कश्मीर घाटी में कश्मीरी मुसलमानों पर भारतीय अत्याचार का प्रोपेगेंडा और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आलाप शुरू कर दिया. इसके साथ ही मुस्लिम देशों की संस्था ओआईसी यानी ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कंट्रीज ने कश्मीर मामले में एक प्रतिनिधिमंडल भेजने हेतु भारत से वीजा मांगना आरम्भ कर दिया.

कश्मीर को भारत से अलग कर देने के इस अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र को विफल करते हुए तत्कालीन भारतीय संसद ने 22 फरवरी 1994 को एकमत होकर कश्मीर पर संकल्प लेते हुए ‘संकल्प पत्र’ (रेजोल्यूशन) पारित कर दिया. इस रेजोल्यूशन के तहत भारत ने घोषणा की:

1. जम्मू- कश्मीर राज्य भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा और भारत से अलग करने के किन्हीं भी प्रयासों को हर प्रकार के आवश्यक साधनों का उपयोग कर रोका जाएगा.

2. भारत के पास अपनी एकता, अखण्डता और देश की संप्रभुता के विरुद्ध हो रहे किन्हीं भी षड्यंत्रों को विफल करने की इच्छा शक्ति और शक्ति है.

और मांग करता है कि-

3. पाकिस्तान, भारत के जम्मू-कश्मीर राज्य के वह हिस्से जो कि आक्रामकता द्वारा कब्जा रखे हैं, खाली करे

और संकल्प लेता है कि-

4. भारत के आंतरिक मामलों में दखलअंदाजी करने के सभी प्रयासों को सख्ती से निपटा जाएगा

इस संकल्प पत्र के पारित हो जाने से पाकिस्तान तिलमिला गया. भारतीय सूझबूझ और दृढ़ता के आगे पाकिस्तान को घुटने टेकने पड़े और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग से शिकायत वापस लेनी पड़ी.

ऐसे में 30 साल बाद हम सभी देशवासी, भारत सरकार को भारतीय संसद द्वारा लिए गए संकल्प को याद दिलाने के साथ ही भारत सरकार से विनम्रता पूर्ण अनुरोध करते हैं कि, पाकिस्तान और चीन द्वारा बलपूर्वक और अवैध रूप से कब्जाई हुई भारत की भूमि को किसी भी प्रकार के साधनों -संसाधनों का उपयोग कर शीघ्र अतिशीघ्र मुक्त कराए. इस शुभ कार्य हेतु, संपूर्ण भारत आपको शक्ति देता है और आपके साथ खड़ा है.

(लेखक गौरव अग्रवाल, मूल रूप से उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के निवासी हैं और ‘लद्दाख एवं जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र’ के रुहेलखण्ड विश्वविद्यालय परिक्षेत्र के समन्वयक हैं. आप उन्हें इस ईमेल के जरिए संपर्क कर सकते हैं: jkscmbd@gmail.com)

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