22 जून को ऑपरेशन मिडनाइट हैमर के दौरान अमेरिका ने एक बार फिर दिखा दिया कि क्यों अमेरिकी सेना को कहा जाता है सुपर पावर. ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले की प्लानिंग और अटैक के दौरान दौरान किसी भी देश और इंटेलिजेंस एजेंसी को भनक तक नहीं लगी, कि अमेरिका कब, कैसे और कहां अटैक किया जाएगा. बी 2 बॉम्बर 18 घंटे की उड़ान भरकर हजारों किलोमीटर दूर ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए पहुंच गए, लेकिन किसी भी देश को सुराग तक नहीं लगा.
अमेरिका ने सिर्फ ईरान ही नहीं कई देशों को दिया चकमा
ईरान सहित पूरी दुनिया को चकमा देने के लिए यूएस सेंट्रल कमांड ने एक डिकॉय पैकेज का इस्तेमाल भी किया. इसके लिए अमेरिका ने बी2 स्पिरिट बॉम्बर के एक पूरे पैकेज को गुआम एयरबेस भेज दिया. इस पैकेज में भी सात (07) स्टील्थ बी2 बॉम्बर थे, जिन्हें शुक्रवार-शनिवार की रात को मिसूरी एयरबेस से रवाना किया गया. इन बॉम्बर्स के सभी सेंसर और ट्रांसपोंडर्स ऑन थे ताकि पूरी दुनिया को इनकी रवानगी की जानकारी मिल जाए.
2 सप्ताह में अटैक की बात कहकर चक्रव्यूह में फंसाया
इसी दौरान ही व्हाइट हाउस की प्रवक्ता का बयान सामने आया कि अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, ईरान पर हमले का फैसला दो हफ्ते बाद लेंगे. ऐसे में ईरान सहित अमेरिका के विरोधी देशों को लगा कि गुआम से हमला करने के लिए बी2 बॉम्बर मिसूरी से निकले हैं. बॉम्बर्स के इस पैकेज का रूट पश्चिमी दिशा की तरफ था यानी प्रशांत महासागर से हिंद महासागर के गुआम बेस. इस पैकेज में यूएस फोर्सेज के रिफ्यूलर (एयरक्राफ्ट) भी शामिल थे. अमेरिका ने सोची समझी रणनीति के तहत बी2बॉम्बर के मिड-एयर रिफ्यूलिंग के वीडियो भी सोशल मीडिया पर जारी कर दिए.
अटलांटिक महासागर, यूरोप के एयर स्पेस में दाखिल हुए अमेरिकी विमान, किसी को नहीं लगी भनक
यूएस ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ, जनरल डेन कैन के मुताबिक, “अमेरिकी राष्ट्रपति के निर्देश पर लॉन्च किए गए मिशन के लिए दौरान व्हाइट मैन एयरफोर्स बेस से बी2 बॉम्बर का मेन स्ट्राइक-पैकेज ईरान की तरफ रवाना कर दिया गया था. इस पैकेज में भी सात (07) बॉम्बर थे. इन बॉम्बर के साथ हालांकि एफ-22 रैप्टर स्टील्थ फाइटर जेट भी थे, ताकि उन्हें दुश्मन के फाइटर जेट और मिसाइल से सुरक्षा प्रदान की जा सके.”
बी2 बॉम्बर के मेन पैकेज के सभी एयरक्राफ्ट के सेंसर और ट्रांसपोंडर ऑफ थे. 18 घंटे की फ्लाइट के दौरान इन बॉम्बर और लड़ाकू विमानों ने कम से कम कम्युनिकेशन किया. अमेरिका की सेंट्रल कमांड इस पैकेज की जिम्मेदारी संभाल रही थी. इस पैकेज ने व्हाइटमैन एयरबेस से अटलांटिक महासागर के ऊपर उड़ान भरी और फिर यूरोप के एयर-स्पेस से मिडिल ईस्ट दाखिल हुए.
बी2 बॉम्बर का मेन पैकेज जैसे ही ईरान की एयर-स्पेस में दाखिल हुआ, उसी दौरान उत्तरी अरब सागर में मौजूद अमेरिकी का पनडुब्बियों ने ईरान के एस्फहान परमाणु संयंत्र पर दो दर्जन टॉमहॉक मिसाइलों से जोरदार हमला कर दिया. ईरान में उस वक्त रात के 2.10 बजे थे. ईरान को चकमा देने के लिए अमेरिका ने कुछ डिसेप्शन फाइटर जेट को भी उसी समय फ्लाई किया. चौथी और पांचवी पीढ़ी के इन फाइटर जेट ने ईरान के एयर डिफेंस सिस्टम पर भी हमला किया.
अमेरिका ने इस्तेमाल किया घातक मदर ऑफ ऑल बम
कुछ मिनट बाद ही बी2 बॉम्बर्स ने ईरान के फार्डो परमाणु संयंत्र पर जीबीयू-57ए/बी बम गिरा दिए. करीब 30 हजार पाउंड (करीब 14 टन) के 14 बमों को फार्डो और नतांज परमाणु संयंत्रों पर गिराए गए. जनरल कैन के मुताबिक, हरेक बॉम्बर के साथ दो (02) जीबीयू बम थे, जिन्हें मॉप यानी मैसिव ऑर्डनेंस एयर ब्लास्ट के नाम से जाना जाता है. जीबीयू को दुनिया का सबसे भारी बम माना जाता है. इसी लिए इन्हें मदर ऑफ ऑल बम का नाम भी दिया जाता है. हर बी2 बॉम्बर में दो क्रू सदस्य थे.
बी 2 बॉम्बर्स को कोई रडार और एयर डिफेंस सिस्टम डिटेक्ट नहीं कर पाया
जनरल कैन के मुताबिक, मेन पैकेज के बी2 बॉम्बर्स को ईरान की कोई रडार या एयर डिफेंस सिस्टम डिटेक्ट नहीं कर पाई. यही वजह है कि इन बी2 बॉम्बर और एफ-22 रैपटर को अदृश्य एयरक्राफ्ट भी कहा जाता है. ईरान के किसी भी फाइटर जेट ने इस दौरान कोई फ्लाइंग नहीं की न ही बॉम्बर पर कोई मिसाइल दागी गई.
महज 25 मिनट में यानी रात के 2.35 बजे तक बी2 बॉम्बर का मेन पैकेज अपने मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम देकर ईरान की एयरस्पेस से बाहर निकल गया. पूरे मिशन में अमेरिका ने कुल 75 प्रेशसियन बमों और मिसाइलों का इस्तेमाल किया. साथ ही कुल 125 एयरक्राफ्ट ने इस मिशन में हिस्सा लिया, जिनमें बी2 बॉम्बर और एफ-22 रैपटर के अलावा दर्जन रिफ्यूलर ने हिस्सा लिया.
बेहद सीक्रेट था ऑपरेशन, अमेरिकी अफसरों को भी नहीं थी जानकारी
जनरल कैन के मुताबिक, ऑपरेशन मिडनाइट हैमर बेहद ही क्लासीफाइड ऑपरेशन थे, जिसके बारे में वाशिंगटन डीसी में भी ट्रंप प्रशासन से जुड़े कम लोगों को ही जानकारी थी. यूएस सेंटकॉम की अगुवाई में किए गए इस ऑपरेशन को यूएस स्पेस कमान, साइबर कमान, यूरोपीय कमान, ट्रांसपोर्ट कमान और स्ट्रैटेजिक कमान ने हिस्सा लिया.
यूएस ज्वाइंट चीफ ऑफ चीफ के मुताबिक, ऑपरेशन मिडनाइट हैमर ने दिखा दिया कि अमेरिकी सेना कहीं भी और कभी भी पहुंच सकती है.