ऑपरेशन सिंदूर के बाद पहली बार राजधानी दिल्ली में वो टॉप कमांडर्स इकट्ठा हुए, जिन्होंने पाकिस्तान को पस्त करने में अहम भूमिका निभाई है. थलसेना के सभी टॉप कमांडर्स को वायुसेना प्रमुख और नेवी चीफ ने साझा ऑपरेशन्स को लेकर संबोधित किया है. इस दौरान थलसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी भी मौजूद रहे.
ऑपरेशन सिंदूर की समीक्षा के लिए सम्मेलन का आयोजन
थलसेना का तीन दिवसीय कमांडर्स कॉन्फ्रेंस इन दिनों राजधानी दिल्ली में चल रहा है. साउथ ब्लॉक में आयोजित सम्मेलन के दौरान ऑपरेशन सिंदूर (6-10 मई) की कार्रवाई की समीक्षा करने के साथ ऑपरेशनल तैयारियों का जायजा लेना भी है. क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी सीमा पर तैनात भारतीय सेना की चार अलग-अलग कमांड (उत्तरी, पश्चिमी, दक्षिण, दक्षिण-पश्चिमी) ने हिस्सा लिया था. साथ ही वायुसेना ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
टॉप मिलिट्री कमांडर्स ने की चर्चा, भविष्य के संघर्ष पर चर्चा
थलसेना के सभी टॉप मिलिट्री कमांडर्स को वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी ने संबोधित किया, इसका लक्ष्य था कि निकट भविष्य में अगर फिर से इस तरह की कोई बड़ी कार्रवाई दुश्मन के खिलाफ की जाती है तो थलसेना, वायुसेना और नौसेना का किस तरह का ज्वाइंट ऑपरेशन हो सकता है. कैसे कोऑर्डिनेशन किया जाएगा, कैसे मिलकर एक्शन लिया जाएगा, इसको लेकर चर्चा की गई.
भारतीय सेना ने सम्मेलन को लेकर क्या जानकारी दी
सर्विस चीफ के संबोधन के बाद थलसेना ने एक संक्षिप्त बयान जारी करते हुए बताया कि नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह, ने “संयुक्त अभियानों के संचालन पर वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को संबोधित किया. साथ ही तीनों सेनाओं के बीच तालमेल के प्रति अपने संकल्प की पुष्टि की.”
भारतीय सेना के मुताबिक,“संबोधन में भविष्य के युद्ध परिदृश्यों में एकीकृत समुद्री और हवाई युद्ध पर जोर देते हुए ज्वाइंट ऑपरेशन प्लानिंग (संयुक्त परिचालन योजना) पर ध्यान केंद्रित किया गया.”
सम्मेलन को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोवल भी संबोधित करेंगे. कॉन्फ्रेंस के आखिरी दिन, भारतीय सेना के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के प्रमोशन संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा की जाएगी.