आर्थिक बदहाली से जूझ रहे पाकिस्तान ने इस साल अपने रक्षा बजट में 16.4 प्रतिशत की वृद्धि की है. ये तब है जब आईएमएफ से राहत पैकेज मांगने के लिए गिड़गिड़ा रहा है. पाकिस्तान ने घोषणा की है कि वर्ष 2024-25 के लिए उसका रक्षा बजट 2122 अरब रुपये होगा जो पिछले साल (1804 अरब रुपये) से 16.4 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि है.
पाकिस्तान के वित्त मंत्री मुहम्मद औरंगजेब के मुताबिक, वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए नवीनतम आवंटन 18,877 अरब रुपये है, जो पिछले वर्ष के मुकाबले 16.4% अधिक है. पाकिस्तान की सशस्त्र सेनाएँ भारी मात्रा में आयात पर निर्भर हैं, जिनमें चीन सबसे बड़ा साझेदार है. पिछले पांच सालों में यानी 2019-2023 के दौरान पाकिस्तान दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा हथियार आयातक था, जिसमें 82% हथियार चीन से आयातित थे. कर्ज भुगतान के बाद रक्षा बजट पाकिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा खर्च है. वर्तमान वर्ष का सबसे बड़ा खर्च कर्ज भुगतान 9,700 अरब रुपये है जो चीन और अन्य सहयोगी देशों से लिया गया है.
दरअसल, पाकिस्तान की सेना की हालत खस्ता है. फंड की कमी के चलते पाकिस्तानी सेना ने युद्धाभ्यास तक बंद कर दिए हैं. अगर युद्धाभ्यास किया भी जाता है जो उसमें टैंकों की जगह मिलिट्री व्हीकल का इस्तेमाल किया जाता है. क्योंकि टैंक में तेल डालने के लिए पाकिस्तानी सेना के पास पैसा नहीं है. पाकिस्तानी सेना के पास फंड की इसलिए कमी है क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है. एक लंबे समय तक ग्लोबल संस्था एफएटीएफ यानी फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट में पड़े रहने से पाकिस्तान को इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (आईएमएफ) और वर्ल्ड बैंक से कर्ज तक नहीं मिल पाया. ऊपर से देश में आई बाढ़ ने पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को पटरी से नीचे उतार दिया. ऐसे में आम लोगों के पास आटे तक की किल्लत हो गई. रोजमर्रा की चीजों के लिए भी पाकिस्तान को चीन के आगे हाथ बढ़ाने पड़े.
इस बीच भारत में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) को वापस लेने और पीओके में विद्रोह जैसी परिस्थितियों होने से हालत और खराब हो गए हैं. भारत के कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद से पाकिस्तान डरा हुआ है कि कहीं भारत पीओके वापस लेने पर ना उतर आए. यही वजह है कि आईएमएफ की मॉनिटरिंग के बावजूद पाकिस्तान ने अपने रक्षा बजट को 16 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है. क्योंकि पाकिस्तान के टैंक तक जंग खा चुके हैं और लड़ने के लायक नहीं हैं. खुद पाकिस्तान के तत्कालीन थलसेना प्रमुख कमर बाजवा ने ये बात कबूल की थी.