ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान की ऐसी घेराबंदी की थी कि दुश्मन देश के जंगी जहाज बंदरगाह से बाहर नहीं निकल पाए थे. खुद नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी ने ये जानकारी सार्जवनिक तौर से साझा की है.
एडमिरल त्रिपाठी के मुताबिक, ऑपरेशन सिंदूर (6-10 मई) से पाकिस्तान की आर्थिक व्यव्सथा पर खासा असर पड़ा था. शिपिंग कंपनियों ने पाकिस्तान जाना बंद कर दिया और जिन जहाज ने पाकिस्तान जाना चुना, उन्हें इंश्योरेंस तक ज्यादा देना पड़ा.
नौसेना दिवस (4 दिसंबर) से पहले, मंगलवार को नौसेना प्रमुख वार्षिक प्रेस सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. 1971 की जंग में कराची बंदरगाह पर हमला करने की याद में हर वर्ष 4 दिसंबर को नेवी डे मनाया जाता है.
नेवी चीफ के मुताबिक, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के समुद्री-व्यापार पर 10-15 प्रतिशत का नुकसान हुआ था. अगर जंग लंबी चलती तब ये नुकसान अधिक बड़ा हो सकता था. लेकिन पाकिस्तान ने इस डर से युद्ध को नहीं बढ़ाया.
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान विमानवाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रांत के नेतृत्व में भारतीय नौसेना का कैरियर बैटल ग्रुप उत्तरी अरब सागर में उतर आया था. व्रिकांत पर तैनात मिग-29के फाइटर जेट जबरदस्त उड़ान भर रहे थे.
पाकिस्तान को भारतीय नौसेना का इस कदर खौफ था कि अपने समुद्री-सीमाओं की सुरक्षा के लिए टर्की की मदद लेनी पड़ी थी. टर्की की नौसेना ने अपना एक जंगी जहाज कराची पोर्ट पर तैनात कर दिया था.
2029 में मिलेगी रफाल के मरीन वर्जन की पहली खेप
एडमिरल त्रिपाठी के मुताबिक, वर्ष 2029 में फ्रांस से रफाल (राफेल) के 04 मरीन वर्जन, रफाल-एम मिल जाएंगे. इसी वर्ष अप्रैल के महीने में भारत ने 59 हजार करोड़ में फ्रांस से कुल 26 रफाल-एम फाइटर जेट का सौदा किया था. इन रफाल-एम लड़ाकू विमानों को स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर, आईएनएस विक्रांत पर तैनात किया जाएगा.

