तिब्बती मूल के लोगों के विरोध-प्रदर्शन और दुनियाभर में हुई भर्त्सना के बाद पेरिस के एक म्यूजियम को झुकना पड़ा है. पेरिस एक म्यूजियम ने चीन के दिए नाम की जगह अपने कैटलॉग पर फिर से तिब्बत नाम लिख दिया है. पेरिस के दो म्यूजियम ने चीन से प्रभावित होकर अपने कैटेलॉग में तिब्बत की जगह ‘शिज़ांग’ नाम दे दिया था.
पेरिस के मूसी डो क्वाए ब्रेनले म्यूजियम ने कैटलॉग में फिर से तिब्बत नाम दे दिया है.
तिब्बत का नया नाम ‘शिज़ांग’, चीन की देन है. चीन ने अपने आधिकारिक दस्तावेज और सरकारी पत्राचार में तिब्बत को शिज़ांग करार दे दिया है.
ऐसे में पेरिस के मूसी डो क्वाए ब्रेनले और मूसी गुइमेट नाम के दो म्यूजियम ने अपने कैटेलॉग में तिब्बत का नाम शिज़ांग कर दिया था. कुछ कैटलॉग में तिब्बत की जगह हिमालयन वर्ल्ड लिख दिया था. यहां तक की प्रदर्शन के दौरान भी तिब्बत से जुड़े कलाकृतियों को शिज़ांग के नाम से ही प्रदर्शित किया जाने लगा था.
विरोध में पिछले कई दिनों से पेरिस में तिब्बती मूल के नागरिकों का शांतिपूर्ण प्रदर्शन चल रहा था.
पेरिस में प्रदर्शनकारियों ने इसे तिब्बत की पहचान और संस्कृति को खत्म करने की साजिश करार दिया है. तिब्बती प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि ये सब कुछ चीन के इशारे पर किया जा रहा है.
साथ ही धर्मशाला (हिमाचल प्रदेश) स्थित तिब्बत की निर्वासित सरकार ने फ्रांसीसी म्यूजियम को चिट्ठी लिखकर इस गलती को सुधारने की अपील की थी. अब एक म्यूजियम ने तो तिब्बत से जुड़ी भूल सुधार ली है, लेकिन एक म्यूजियम में अभी भी सही नाम की दरकार है.
इसी साल मार्च में राजधानी दिल्ली स्थित चीनी दूतावास ने पहली बार तिब्बत को शिज़ांग के नाम से संबोधित किया था. क्योंकि तिब्बत पर राजनीतिक तौर से कब्जा करने के बाद चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) सरकार अब तिब्बत की संस्कृति के खात्मे पर तुली है.
इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट और नदियों पर डैम बनाने के नाम पर तिब्बत धर्म के ऐतिहासिक बौद्ध मठों को तोड़ा जा रहा है. साथ ही चीन ने दलाई लामा की बजाए चीन ने खुद तिब्बतियों के नए धर्मगुरु को बनाने का ऐलान किया है. ऐसे में तिब्बती मूल के लोग भारत से लेकर पूरी दुनिया में सीसीपी के खिलाफ विरोध कर रहे हैं. (तिब्बत के वजूद को खतरा, फ्रांस में लोग सड़कों पर)