एलएसी पर चीन से चल रही तनातनी के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अरुणाचल प्रदेश में सामरिक तौर से महत्वपूर्ण सेला टनल का उद्घाटन किया. रिकॉर्ड पांच साल में 13 हजार फीट की ऊंचाई पर बनाई गई इस सुरंग से तवांग सेक्टर तक सैनिक, मिलिट्री व्हीकल और दूसरे सैन्य उपकरण आसानी से पहुंचा जा सकेंगे.
खास बात ये है कि वर्ष 2019 में पीएम मोदी ने सेला टनल का शिलान्यास किया था. अरुणाचल प्रदेश के वेस्ट कमिंग जिले में बनाई गई इस टनल से तेजपुर (आसाम) से तवांग सेक्टर तक 12 महीनों आवाजाही रह सकेगी. अभी तक सर्दियों में भारी बर्फबारी के चलते चीन से सटी लाइन ऑफ एक्युअल कंट्रोल (एलएसी) तक मूवमेंट में रुकावट आ जाती थी.
अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर से टनल के वर्चुअल उद्घाटन के दौरान पीएम ने कहा कि इस सुरंग के बनने से तवांग तो हर मौसम में कनेक्टिविटी बनी रहेगी बल्कि स्थानीय लोगों के लिए भी यात्रा सुगम हो जाएगी. साथ ही बॉर्डर इलाकों में सैन्य तैयारियों को तो मजबूती मिलेगी, आर्थिक-सामाजिक उत्थान में भी मदद मिलेगी. ईटानगर में पीएम विकसित भारत, विकसित नॉर्थ-ईस्ट कार्यक्रम में शिरकत कर रहे थे.
बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) द्वारा इस टनल को बनाने में कुल 825 करोड़ रुपये की लागत आई है. बीआरओ ने सेला टनल को ऑस्ट्रियाई प्रक्रिया के तहत बनाया है ताकि सेफ्टी का खास ध्यान रखा जा सके. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, पिछले तीन सालों में बीआरओ ने बॉर्डर क्षेत्रों में रिकॉर्ड 330 इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को पूरा किया है जिनकी कुल लागत 8737 करोड़ है.
सेला टनल ठीक उसी जगह पर बनाई गई है जहां 1962 के युद्ध में भारत और चीन के बीच जमकर जंग हुई थी. इसी जगह पर परमवीर चक्र विजेता जसवंत सिंह ने दो स्थानीय बहनें, सेला और नूरानांग के साथ मिलकर चीनी सैनिकों का डटकर मुकाबला किया था. इस दौरान चीनी सैनिकों से लड़ते हुए जसवंत सिंह और दोनों बहनों ने सर्वोच्च बलिदान दिया था. जसवंत सिंह को असाधारण वीरता और अदम्य साहस के लिए देश के सबसे बड़े बहादुरी पुरस्कार परमवीर चक्र से मरणोपरांत नवाजा गया था. 62 के युद्ध के दौरान तेजपुर से तवांग तक पहुंचने के लिए कोई पक्की सड़क नहीं थी जिसके कारण सैनिकों की आवाजाही में खासी मुश्किल आई थी.
लेकिन अब सेला टनल बनने से तेजपुर से 7-8 घंटे में तवांग तक पहुंचा जा सकता है. यहां तक की तवांग पहुंचने के लिए दो एक्सेस हैं. यही वजह है कि अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सेना बेहद मजबूत है और बहुत तेजी से रि-एनफोर्समेंट करने में सक्षम है. हाल के सालों में तवांग सेक्टर में जब भी चीन के साथ फेस ऑफ हुआ है तो पीएलए सेना को मुंह की खानी पड़ी है. वर्ष 2022 में एक ऐसा ही वीडियो वायरल हुआ था जिसमें भारतीय सैनिक चीनी सैनिकों को अपनी चौकी से खदेड़ते हुए नजर आए थे. अरुणाचल प्रदेश से सटी एलएसी पर भारतीय सेना की पूरी दो कोर तैनात रहती हैं. भारतीय सेना की एक कोर में 50-55 हजार सैनिक होते हैं. इसके अलावा बड़ी संख्या में टैंक, तोप, मिसाइल और रॉकेट भी इसका हिस्सा होते हैं.
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