ऑपरेशन सिंदूर पर विपक्षी नेताओं के विवादित बयान से सैनिकों के साथ-साथ देशवासियों पर भी विपरीत असर पड़ रहा है. ये मानना है केंद्रीय ऊर्जा राज्य मंत्री श्रीपद नाइक का.
गुरुवार को ऊर्जा मंत्री, मोदी सरकार के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की उपलब्धि को लेकर मीडिया से बात कर रहे थे. इसी दौरान पत्रकारों ने महाराष्ट्र के पूर्व सीएम और यूपीए शासन में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में राज्यमंत्री रहे पृथ्वीराज चव्हाण के विवादित बोल पर केंद्रीय ऊर्जा से सवाल किया.
सवाल के जवाब में श्रीपद नाइक ने कहा कि “बहुत दुख होता है कि हमारे देश के राजनेता जो इतने लंबे समय तक सत्ता में रहे वे ऐसा कहते हैं. मंत्री ने कहा कि “ऐसी बात उनके मुंह से शोभा नहीं देती है. सामान्य जनता तक (ऑपरेशन सिंदूर का सच) जानती है. उन्होंने कहा कि “ये (विपक्षी नेता) सिर्फ राजनीतिक कारणों से विरोध कर रहे हैं.”
राजनीतिक कारणों से विरोध ना करने की अपील
नाइक के मुताबिक, पीएम (मोदी) साहब तक कहते हैं कि जब देश की बात हो संकट हो, अगर कोई समस्या हो तो हम (सत्तापक्ष), विपक्ष के साथ बैठ कर बात कर सकते हैं. मंत्री ने कहा कि “अगर कोई बात हमारे संज्ञान में नहीं आई है तो हमें बताएं. लेकिन पब्लिक में कहना, सैनिकों के लिए और देश के लिए हानिकारक है.” (https://x.com/shripadynaik/status/2001637329094787239?s=20)
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने को बताया विकसित भारत की आधारशिला
दरअसल, पीएम मोदी ने अपने कैबिनेट के मंत्रियों को दूसरे मंत्रालयों के मुद्दों को जानने और उनसे जुड़ी जानकारियों को देश के सामने रखने की जिम्मेदारी दी है. इसी कड़ी में गुरुवार को श्रीपद नाइक और श्रम (और रोजगार) मंत्री मनसुख मांडविया ने अलग-अलग प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया था.
मांडविया ने कहा कि पहले हम हथियारों के लिए आयात पर निर्भर रहते थे. देश के 60-70 प्रतिशत हथियार विदेश से आते थे. लेकिन मोदी जी के नेतृत्व में आज हम 65% स्वदेशी हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं. मांडविया के मुताबिक, शिपबिल्डिंग में देश आज लगभग आत्मनिर्भर बन चुका है. भारतीय नौसेना के लिए कोच्चि में बना आईएनएस विक्रांत एयरक्राफ्ट कैरियर इसका जीता-जागता उदाहरण है, जिसमें 67 प्रतिशत स्वदेशी उपकरण लगे है.
मांडविया के मुताबिक, आज रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के साथ-साथ हथियारों और दूसरे सैन्य उपकरणों का एक्सपोर्ट भी कर रहे हैं. मंत्री ने बताया कि एक दशक पहले तक महज 600 करोड़ के हथियारों का निर्यात होता था. लेकिन अब 200 प्रतिशत वृद्धि के साथ ये निर्यात 25 हजार करोड़ तक पहुंच गया है.
मांडविया ने बताया कि वर्ष 2029 तक देश के हथियारों के निर्यात का लक्ष्य करीब 50 हजार करोड़ रखा गया है. साथ में रक्षा उत्पादन का लक्ष्य करीब 03 लाख करोड़ रखा गया है, जो फिलहाल डेढ़ (1.50) लाख करोड़ है.
मांडविया ने बताया कि पहले दूसरे देशों के साथ मिलकर जो हथियार और सैन्य उपकरण देश में बनते थे, उसकी टेक्नोलॉजी नहीं ट्रांसफर होती थी. लेकिन आज, रशिया और इजरायल से जो हथियारों की डील होती हैं, उसमें टीओटी यानि ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी भी होती है. यहां तक की हाल ही में अमेरिका के साथ जो 10 वर्षीय डिफेंस फ्रेमवर्क पर हस्ताक्षर हुए हैं, उसमें भी टीओटी का क्लॉज रखा गया है.

