हिंसाग्रस्त मणिपुर में मुख्यमंत्री न चुने जाने के कारण केन्द्र सरकार ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया है. गृह मंत्रालय ने नोटिफिकेशन जारी करके मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने की घोषणा की. बीते रविवार को मणिपुर के सीएम एन बीरेन सिंह ने राज्यपाल अजय भल्ला को अपना इस्तीफा सौंपकर हर किसी को चौंका दिया था.
मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हिंसा के चलते कानून-व्यवस्था की स्थिति भी गंभीर बनी हुई है.
गृह मंत्रालय के नोटिफिकेशन में क्या कहा गया?
गृह मंत्रालय द्वारा जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है, “मुझे यानी भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, को मणिपुर राज्य के राज्यपाल से एक रिपोर्ट प्राप्त हुई है. प्राप्त रिपोर्ट और अन्य सूचना पर विचार करने के बाद मेरा समाधान हो गया है कि ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसमें उस राज्य का शासन भारत के संविधान के उपबंधों के अनुसार नहीं चलाया जा सकता है, इसलिए अब मैं संविधान के अनुच्छेद 356 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का तथा उस निमित्त मुझे समर्थ बनाने वाली अन्य सभी शक्तियों का प्रयोग करते हुए, एतद्वारा उद्घोषणा करती हूं कि मैं मणिपुर राज्य की सरकार के सभी कृत्य और उस राज्य के राज्यपाल में निहित, तथा उनके द्वारा प्रयोक्तव्य सभी शक्तियां, भारत के राष्ट्रपति के रुप में स्वयं संभालती हूं.”
एक ऑडियो क्लिप ने बीजेपी को मुश्किल में डाला था
मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह का एक ऑडियो वायरल हुआ था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान में लिया था. एन बीरेन सिंह पर मैतई लोगों को भड़काने का आरोप था. ऑडियो में बीरेन सिंह मैतई लोगों को हथियार और गोला बारूद लूटने की अनुमति देते सुने गए थे. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक सीलबंद फोरेंसिक रिपोर्ट मांगी थी, जिसके बाद कांग्रेस की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव ने हालात ने सरकार को बैकफुट पर ला दिया था.
गृहमंत्री, स्थिति संभालने में नाकाम हुए: जयराम रमेश
जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा, “आखिरकार वह हुआ जिसकी मांग भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पिछले 20 महीनों से कर रही थी. मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया है. यह तब हुआ है जब सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में ‘संविधानिक तंत्र के पूर्ण रूप से ठप हो जाने’ की बात कही, जिसके चलते 3 मई 2023 से अब तक 300 से अधिक लोगों की हत्या और 60 हजार से अधिक पुरुषों, महिलाओं, और बच्चों का विस्थापन हुआ. यह तब हुआ है जब मणिपुर के सामाजिक ताने-बाने को गंभीर रूप से क्षति पहुंचने दी गई. जब केंद्रीय गृह मंत्री मणिपुर की स्थिति संभालने में पूरी तरह से विफल रहे, जबकि इस दायित्व को प्रधानमंत्री ने उन्हें सौंपा था. और यह तब हुआ है जब दुनिया भर में घूमने वाले प्रधानमंत्री ,मणिपुर जाने और वहां सुलह प्रक्रिया शुरू करने से लगातार इनकार करते रहे. पंद्रह महीनों के भीतर इस भयानक त्रासदी को जन्म दिया.”
बीजेपी लोकतंत्र को नष्ट करने पर आमादा- कांग्रेस
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने बीजेपी को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा, “बीजेपी लोकतंत्र की हत्या पर आमादा! मणिपुर सरकार अल्पमत में थी, मुख्यमंत्री ने इस्तीफा दिया! कांग्रेस ने अविश्वास प्रस्ताव लाने की घोषणा की थी. फिर भी विपक्ष को सरकार बनाने का मौका क्यों नहीं दिया गया? बीजेपी अपनी सरकार नहीं बना सकती थी, इसलिए राष्ट्रपति शासन लगाकर सत्ता पर कब्जा कर लिया! यह सब केंद्र सरकार के इशारे पर हुआ, यह लोकतंत्र की हत्या नहीं तो क्या है?”