दिल्ली के लाल किले के बेहद करीब हुए धमाकों का पुलवामा कनेक्शन सामने आया है. साथ ही सोमवार यानि ब्लास्ट वाले दिन की सुबह ताबड़तोड़ छापेमारी में एजेंसियों को जैश से जुड़े डॉक्टर से 2900 किलो विस्फोटक बनाने वाली सामग्री बरामद की थी. अब सवाल उठ रहा है कि क्या दोनों का कोई कनेक्शन है या ये महज इत्तेफाक है.
दिल्ली में हुए धमाके और डॉक्टर की गिरफ्तारी का कनेक्शन निकाला जाए तो जिस कार में धमाका हुआ वो पुलवामा में बेची गई थी, वहीं फरीदाबाद से जिस डॉक्टर को गिरफ्तार किया गया है, वो भी पुलवामा का ही रहने वाला है.
धमाके वाली आई 20 गाड़ी पर हरियाणा का नंबर, पुलवामा में तारिक को बेची गई थी गाड़ी
कार के रजिस्टर्ड नंबर पर दिल्ली पुलिस ने गुरुग्राम ने मोहम्मद सलमान को हिरासत में लिया, जो कि इस गाड़ी का मालिक था. पूछताछ में मोहम्मद सलमान ने बताया की उसने अपनी कार डेढ़ साल पहले दिल्ली के पहले दिल्ली के ओखला निवासी देवेंद्र को बेची थी. सलमान ने कार बेचने के सभी डॉक्यूमेंट्स गुरुग्राम पुलिस को सौंप दिए हैं.
जांच में सामने आया है की देवेंद्र ने कार हरियाणा के अंबाला में किसी को बेची थी. वहीं जांच की कड़ियां जुड़ीं तो खुलासा हुई की कार की कई बार खरीद और बिक्री की गई. इस कार को पुलवामा के किसी तारिक को बेचा गया था.
इस बात का खुलासा हुआ है कि कार की खरीद-फरोख्त में फर्जी कागजातों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया था, जिससे कार के असली मालिक की पहचान अभी तक साफ नहीं हो पाई है.
जैश से जुड़े डॉक्टर से 2900 किलो विस्फोटक बरामद
सोमवार सुबह जम्मू-कश्मीर और फरीदाबाद में पुलिस ने जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े नेटवर्क से 2,900 किलो विस्फोटक बरामद किया था. अब सवाल उठ रहा है कि क्या दोनों का कोई कनेक्शन है या ये महज इत्तेफाक है.
ये सामग्री फरीदाबाद में काम करने वाले डॉक्टर से मिली थी, जो आतंकी संगठन जैश से संबंधित था. पुलिस ने इस नेटवर्क से 2,900 किलोग्राम आईईडी बनाने का सामान, भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद किया था. यह बरामदगी जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवात-उल-हिंद से जुड़े एक मॉड्यूल पर हुई छापेमारी में की गई थी.
क्या लाल किला धमाका और आतंकी डॉक्टर्स की गिरफ्तारी में जुड़ा है तार?
जम्मू-कश्मीर पुलिस के मुताबिक, “सुबह तक इस कार्रवाई में सात लोगों को गिरफ्तार किया गया था. इनमें दो डॉक्टर भी शामिल हैं . डॉ. मुज्ज़मिल अहमद (पुलवामा निवासी) डॉ. आदिल (कुलगाम निवासी). इनके अलावा आरिफ निसार डार उर्फ साहिल, यासिर-उल-अशरफ, मकसूद अहमद डार उर्फ शाहिद (सभी श्रीनगर), मौलवी इरफान अहमद (शोपियां), और जमीर अहमद अहांगर (गंदरबल) को भी पकड़ा गया है. पुलिस के मुताबिक ये व्हाइट कॉलर लोग आतंकियों को तकनीक मदद दे रहे थे.”
जम्मू-कश्मीर पुलिस का भंडाफोड़ और भारी मात्रा में विस्फोटकों की बरामदगी तो दिल्ली धमाके के समय का दिन एक ही है. जिसके बाद एजेंसियों की नींद उड़ गई है. माना जा रहा है कि इस नेटवर्क के जुड़े और संदिग्ध छिपे हो सकते हैं, जो एक बड़ी आतंकी साजिश का हिस्सा हो सकते हैं.
छापेमारी से डरे संदिग्ध क्या विस्फोटकों का ठिकाना बदल रहे थे और हो गया धमाका?
धमाकों के पैटर्न की बात की जाए तो ये धमाका चलती हुई कार में हुआ. जांच का एक एंगल ये भी है कि कहीं जैश ए मोहम्मद या अंसार गजवात-उल-हिंद से जुड़े स्लीपर सेल के संदिग्ध डॉक्टर्स की गिरफ्तारी और विस्फोटकों की बरामदगी से इतना डर गए थे कि ठिकाना बदलने लगे.
आशंका इस बात की है कि विस्फोटकों को इधर से उधर किया जा रहा हो सकता है, और इस दौरान गलती से किसी कारणवश धमाका हो गया हो. गाड़ी में बैठे लोगों की पहचान की जा रही है, लेकिन एजेंसियां इस पहलू से भी जांच कर रही हैं कि विस्फोटक को कहीं इस्तेमाल किए जाने (धमाका) के लिए ले जाया जा रहा हो और ब्लास्ट हो गया.
कार में बैठे लोगों की पहचान के बाद ये साफ हो जाएगा कि धमाके की असल वजह क्या थी. एनआईए और दिल्ली पुलिस की जॉइंट टीम ने आसपास के सीसीटीवी फुटेज खंगालने शुरू कर दिए हैं.
घायलों को जब अस्पताल पहुंचाया गया, तब यह पाया गया कि उनके शरीर पर किसी पैलेट या पंचर होने के निशान नहीं थे. जबकि बम धमाके में ऐसा नहीं होता. यानी फॉरेसिंक टीम के लिए ये चैलेंज है. वहीं अगर कार में सीएनजी धमाका हुआ होता, तो तीव्रता इतनी नहीं होती की आसपास की दुकानों के शीशे चटक जाएं और इतने संख्या में लोग हताहत हों.
अमित शाह ने साफ कर दिया है कि “हर एंगल से जांच की जा रही है और जनता को जल्द इस धमाके का सच बताया जाएगा.”

