जी-7 समिट में हिस्सा लेने इटली गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से रुस के साथ विवाद को ‘डिप्लोमेसी और बातचीत’ के जरिए सुलझाने का सुझाव दिया तो उसी वक्त पुतिन ने पहली बार युद्धविराम के लिए दो बड़ी ‘शर्त’ सामने रखी दी. इन शर्तों में डोनबास से पूरी तरह से यूक्रेन सैनिकों को हटाने और नाटो में शामिल ना होना शामिल है.
इटली में चल रहे जी-7 समिट में रुस-यूक्रेन युद्ध का मुद्दा ही छाया रहा. इस दौरान पीएम मोदी ने जेलेंस्की से गर्मजोशी से मुलाकात की. पीएम मोदी ने जेलेंस्की को देखकर गले लगाया और उनकी पीठ थपथपाई. इस दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोवल भी मौजूद थे. पीएम मोदी की तरह है जेलेंस्की को भी जी-7 समिट में खास तौर से आमंत्रित किया गया है.
मुलाकात के बाद पीएम मोदी ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि “राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की के साथ बेहद सार्थक बैठक हुई. भारत, यूक्रेन के साथ द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए उत्सुक है. (रुस से) जारी शत्रुता के संबंध में दोहराया कि भारत मानव-केंद्रित दृष्टिकोण में विश्वास करता है और मानता है कि शांति का रास्ता बातचीत और कूटनीति के माध्यम से है.”
जेलेंस्की ने भी पीएम मोदी से द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और व्यापार बढ़ाने को लेकर हुई मुलाकात के बाद लिखा कि “हमने ग्लोबल पीस समिट और उसमें शामिल एजेंडे पर बातचीत की. मैंने प्रधानमंत्री मोदी का समिट में एक उच्च-स्तरीय डेलिगेशन भेजने के लिए धन्यवाद दिया.” शनिवार से स्विट्जरलैंड में दो दिवसीय शांति सम्मेलन हो रहा है जिसमें रुस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने पर चर्चा होनी है. माना जा रहा है कि पश्चिमी देशों की अगुवाई में इस शांति वार्ता को आयोजित किया जा रहा है जिसमें कई दर्जन देशों के प्रतिनिधियों के हिस्सा लेने की संभावना है (https://x.com/ZelenskyyUa/status/1801602211023118489).
रुस और चीन जैसे देशों ने इस पीस समिट का बायकॉट कर दिया है. क्योंकि रुस को इस सम्मेलन की घोषणा से पहले विश्वास में नहीं लिया गया था और ना ही आमंत्रित किया गया था.
शुक्रवार को ही रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ छेड़े युद्ध को खत्म करने के लिए दो बड़ी शर्त सामने रखी. पिछले दो सालों में ये पहली बार है कि पुतिन ने खुलकर युद्ध समाप्त करने और शांति वार्ता के लिए शर्त रखी है. पहली शर्त ये कि यूक्रेन को उन सभी इलाकों से अपने सैनिकों को वापस करना होगा जो ‘अब रुस का हिस्सा बन चुके हैं’.
दरअसल, रुस ने फरवरी 2022 में शुरु हुए युद्ध के बाद से यूक्रेन के डोनबास इलाके (दोनेत्स्क, लुहांस्क, मारियुपोल, जेपोरेजिया) को अपने संघ में मिला लिया है. इन इलाकों में जनमत संग्रह कराकर रुस ने हाल ही में वहां राष्ट्रपति पद के लिए हुए चुनावों को भी सफलतापूर्वक संपन्न कराने का दावा किया था. लेकिन यूक्रेनी सेना लगातार इन इलाकों में हमले बोल रहे हैं. यही वजह है कि पुतिन चाहते हैं कि यूक्रेन ये हमले रोक दे.
पुतिन ने अपने विदेश मंत्रालय के अधिकारियों को संबोधित करते हुए युद्ध-विराम के लिए एक दूसरी शर्त भी रखी. पुतिन के मुताबिक, यूक्रेन को नाटो यानी अमेरिका के अगुवाई वाले मिलिट्री गठजोड़ नॉर्थ ट्रीटी अटलांटिक ऑर्गेनाइजेशन (एनएटीओ) में शामिल न होने की गारंटी देनी होगी. पुतिन ने कहा कि यूक्रेन अगर इन दोनों शर्तों को मान लेता है तभी बातचीत हो सकती है (G7 में छाया रहेगा रुस-यूक्रेन युद्ध, पीएम मोदी हैं पुतिन के खास मित्र)