क्रेमलिन ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की यूक्रेन के समकक्ष वोलोडिमिर जेलेंस्की से बातचीत के संकेत दिए हैं. पुतिन की जेलेंस्की से मुलाकात इसलिए अहम है क्योंकि अभी तक रूस ने बातचीत के लिए अधिकृत अधिकारी नहीं माना था.
रूसी राष्ट्रपति के ऑफिसर, क्रेमलिन ने बयान जारी कर कहा है कि “राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से बातचीत करने के लिए तैयार हैं.” ये बयान ऐसे वक्त में आया है जब सऊदी अरब में चल रही अमेरिका और रूस के प्रतिनिधिमंडल के बीच रूस-यूक्रेन युद्घ को लेकर बड़ी रणनीति बनाई जा रही है.
जरूरत हुई तो जेलेंस्की से पुतिन बात करने को तैयार: क्रेमलिन
क्रेमलिन ने अपने ताजा बयान में कहा है कि “अगर जरूरत पड़ती है तो राष्ट्रपति, जेलेंस्की से बात करने के लिए तैयार हैं.” पुतिन द्वारा जेलेंस्की से मिलने की सहमति एक सकारात्मक संकेत है कि यूक्रेन युद्ध का समाधान और युद्ध विराम संभव है.
पिछले कुछ समय से पुतिन का लगातार बयान सामने आ रहा था कि जेलेंस्की का राष्ट्रपति पद का कार्यकाल खत्म हो चुका है. जेलेंस्की ने यूक्रेन में आम चुनाव नहीं कराए हैं. ऐसे में जेलेंस्की को यूक्रेन का प्रतिनिधित्व करने का कोई अधिकार नहीं है. ऐसे में युद्धविराम पर लगातार संशय बना हुआ था.
क्रेमलिन के ताजा बयान से हालांकि, यूक्रेन जंग का हल निकलता दिखाई पड़ रहा है.
पुतिन के दफ्तर से बयान ऐसे वक्त में आया है जब सऊदी अरब में बातचीत के दौरान एक भी कुर्सी यूक्रेन के लिए नहीं रखी गई है. जबकि यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की अपनी पत्नी के साथ सऊदी अरब में इस वार्ता के एक दिन बाद पहुंचने वाले हैं. जेलेंस्की साफ कह चुके हैं, कि “उनके बिना हुई बातचीत के समझौते को न तो वो और न ही यूक्रेन के लोग मानेंगे.” (रियाद में निकलेगा यूक्रेन जंग का हल, रूस-अमेरिकी की मीटिंग शुरू)
राष्ट्रपति जेलेंस्की के प्रवक्ता सर्जी न्याकिफोरोव ने कहा है, “वह अपनी यात्रा के दौरान रूस या अमेरिका के किसी भी अधिकारी से मुलाकात नहीं करेंगे. राष्ट्रपति जेलेंस्की और उनकी पत्नी ओलेना जेलेंस्का लंबे समय से नियोजित आधिकारिक यात्रा के तहत सऊदी अरब में होंगे.” (जेलेंस्की के बिगड़े बोल, यूक्रेन के बिना नहीं निकलेगा हल)
यूरोप और नाटो समाधान नहीं, युद्ध भड़काने के पक्ष में: पुतिन
रूस ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह नहीं चाहता कि यूरोप और नाटो सहयोगी इस समाधान का हिस्सा बनें. रूस ने युद्ध के शुरुआत से हमेशा से कहा है कि नाटो और यूरोप युद्ध जारी रखने की इच्छा रखते हैं.
वहीं यूरोपीय देशों में भी खलबली मची हुई है, क्योंकि बाइडेन प्रशासन के दौरान जहां नाटों और ईयू को प्राथमिकता मिलती थी, ट्रंप प्रशासन ने तगड़ा झटका दिया है. इसकी बानगी हाल ही में जर्मनी के म्यूनिख में हुए सुरक्षा सम्मेलन में देखने को मिली, जहां अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे डी वेंस ने यूरोप के देशों को खूब खरी खोटी सुनाई. वेंस ने दो टूक कह दिया कि ईयू अब खुद अपनी सुरक्षा करे. इसके बाद यूरोप के देशों की चिंता बढ़ गई है.
साथ ही जिस तरह से वाशिंगटन और मास्को में करीबी बढ़ी है, वो भी यूरोप के देशों को अखर रही है, इसलिए अब यूरोपीय देश भी पेरिस में एकजुट हुए हैं.