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पुतिन दौरा: West भौचक्का, मीडिया से नहीं पची दोस्ती

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के नई दिल्ली पहुंचने, भव्य स्वागत, समझौतों को लेकर पूरी दुनिया की नजर है. खासतौर से अमेरिका-यूरोप-यूक्रेन की.

पुतिन का भारत दौरा न सिर्फ एक अटूट द्विपक्षीय रिश्ते से जुड़ा है, बल्कि जियोपॉलिटिक्स में भारत की कुशल कूटनीति का भी परिचय दे रहा है. क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दबाव के बावजूद भारत ने संकेत दे दिया है कि रूस से दोस्ती प्राथमिकता है.  

अमेरिकी और यूरोपीय मीडिया पल-पल नजर टिकाए हुए है. कुछ ने भारतीय डिप्लोमेसी को मजबूत बताया तो कुछ वेस्टर्न मीडिया ने इस दौरे को कूटनीतिक रस्साकशी करार दिया है. वहीं चीनी मीडिया ने तो मोदी-पुतिन की दोस्ती को देखते हुए अमेरिका पर कटाक्ष किया है, कि अमेरिका, रूस-भारत की ऊर्जा साझेदारी नहीं तोड़ पाएगा. 

अमेरिकी दबाव को दरकिनार करते हुए मोदी ने पुतिन के लिए रेडकार्पेट बिछाया: ब्लूमबर्ग

अमेरिका की बड़ी एजेंसी ब्लूमबर्ग ने लिखा है, “भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी दबाव को नजरअंदाज कर दिया है और रूसी राष्ट्रपति का नई दिल्ली में भव्य स्वागत किया है. पालम एयरबेस पर खुद पीएम मोदी ने पुतिन को गले लगाकर रिसीव किया जिससे भारत-रूस की दोस्त नई ऊंचाई पर पहुंच गई है.” 

एजेंसी ने अपने लेख में एक्सपर्ट के हवाले से लिखा कि “पुतिन की ये यात्रा भारत की रणनीतिक स्वायत्ता का प्रतीक है, जिसमें ट्रंप प्रशासन की दबाव के बावजूद अपनी आवश्यकताओं पर आधारित मोदी की विदेश नीति मजबूत करने की ताकत देती है.”

पुतिन के स्वागत ने राष्ट्रपति ट्रंप का गुस्सा भड़काया: वॉल स्ट्रीट जर्नल

अमेरिकी अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने लिखा, “पुतिन की भारत यात्रा उस पार्टनरशिप को मजबूत करने की कोशिश है, जो रूस के लिए आर्थिक और कूटनीतिक लाइफलाइन की तरह है. लेकिन इससे ट्रंप का गुस्सा भड़काया है.”

अखबार ने कहा, कि “पुतिन, भारत को कच्चा तेल और सस्ते में खरीदने और रक्षा तकनीक का ऑफर दे सकते हैं. भारत इन रूसी सौदों के प्रस्ताव के जरिए अमेरिका से सौदेबाजी करने के लिए कर सकता है.”

भारत के लिए नाजुक कूटनीति चुनौती: वाशिंगटन पोस्ट

अमेरिका के सबसे बड़े अखबार वाशिंगटन पोस्ट ने पुतिन की भारत यात्रा पीएम मोदी के लिए नाजुक कूटनीतिक चुनौती बताई है. अखबार ने लिखा है कि “पीएम मोदी को रूस के साथ भरोसा कायम रखना है, जबकि राष्ट्रपति ट्रंप ने टैरिफ लगाकर भारत को बड़ी सजा दी है और भारत के तेल खरीदने को रूस की युद्ध मशीन को ईधन देने के तौर पर देखा है.”

वहीं ट्रंप के बेबुनियाद बयान को आधार बनाते हुए वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा है कि “भारतीय रिफायनरी कंपनियों ने रूस के साथ तेल खरीदना कम करते हुए रूस को आर्थिक झटका दिया है.” 

पुतिन-मोदी की मित्रता को न्यूयॉर्क टाइम्स ने दी खास तवज्जो

अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स ने पीएम मोदी का एयरपोर्ट पहुंचना, पुतिन को गले लगाना और एक साथ गाड़ी में रवाना होने को मजबूत व्यक्तिगत संबंध और तस्वीरों को खास संदेश देने वाला बताया है. 

न्यूयॉर्क टाइम्स लिखता है कि “ये तस्वीरें जियोपॉलिटिक्स के मुताबिक गहरे संदेश दे रही हैं, ऐसे वक्त में जब कूटनीति तनावपूर्ण है. भारत ट्रंप प्रशासन के साथ व्यापार और ऊर्जा के मुद्दे को सुलझाने की कोशिश कर रहा है. जबकि अमेरिका, भारत पर सस्ते रूसी तेल को आयात करके आर्थिक तौर पर युद्ध को मदद पहुंचाने का आरोप लगा रहा है.”

ग्लोबल टाइम्स ने बताया नया पावर सेंटर

ग्लोबल टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, कि “भारत और रूस के बीच व्यापक आपसी समर्थन है और अमेरिकी प्रतिबंध इन संबंधों पर बेअसर रहेंगे. पुतिन और मोदी की मुलाकात ने एक संदेश दिया है कि यह अमेरिकी दबदबे वाली राजनीति के लिए एक झटका है.”

ग्लोबल टाइम्स ने “इसे बदला वर्ल्ड ऑर्डर बताया है, जहाँ दुनिया के सामने एक तीसरा पावर सेंटर बन रहा है. इस पावर सेंटर में भारत, रूस, शंघाई सहयोग संगठन के देश और ग्लोबल साउथ शामिल हैं.”

अमेरिका से नहीं घबराने वाले हैं रूस और भारत: द गार्डियन

ब्रिटेन के अखबार द गार्डियन ने अपने लेख में पुतिन के भारत दौरे को अमेरिका के लिए संदेश देने वाला बताया है. द गार्डियन लिखता है कि “पुतिन चार साल बाद भारत पहुंचे हैं. ऐसे वक्त में जब दुनिया की राजनीति भी काफी बदल चुकी है. डोनाल्ड ट्रंप की दोबारा जीत ने अमेरिका और भारत के बीच तनाव पैदा कर दिया है. ट्रंप ने भारत के निर्यात पर भारी टैरिफ लगाए हैं, जिससे दिल्ली की चिंताएं बढ़ गई हैं.”

“ऐसे माहौल में पुतिन का भारत आना बहुत अहम माना जा रहा है। यह दौरा साफ संकेत है कि दोनों देश अमेरिका के दबाव से घबराने वाले नहीं हैं. रूस के लिए यह यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दिखाता है कि वह अब खुद को दुनिया से अलग-थलग महसूस नहीं कर रहा.”

“वहीं भारत इस समय कठिन जियो पॉलिटिक्स से गुजर रहा है. अमेरिका थोड़ा अलग रुख अपना रहा है, रूस पहले जितना मजबूत नहीं है और चीन लगातार ताकत बढ़ा रहा है.”

भारत की कूटनीति की बड़ी परीक्षा: कीव इंडिपेंडेंट

यूक्रेन के सबसे बड़े अखबार कीव इंडिपेंडेंट ने पुतिन के भारत दौरे को प्राथमिकता से छाप रहा है. कीव इंडिपेंडेंट ने अपने लेख में कहा है कि “पुतिन का दिल्ली दौरा भारत के लिए कूटनीति की बड़ी परीक्षा के तौर पर है. क्योंकि भारत रूस-यूक्रेन के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करते हुए पुतिन की मेजबानी कर रहा है.”

आर्टिकल में ये भी लिखा गया है कि “देखना होगा कि पुतिन से बातचीत के दौरान पीएम मोदी अपने अगस्त 2024 के उस वादे पर कितना टिके रहेंगे, जिसमें उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से युद्ध खत्म करने की मदद के बारे में कहा था.”

मोदी-पुतिन का व्यक्तिगत रिश्ता बेहद मजबूत: अल जजीरा

कतर के अल जजीरा ने लिखा कि “मोदी ने पुतिन को गले लगाकर दुनिया को ये संदेश दे दिया कि दोनों के बीच कितने गहरे व्यक्तिगत संबंध हैं. मोदी ने पुतिन का जिस तरह से स्वागत किया, उससे दुनिया को ये संदेश मिल गया कि भारत पश्चिमी दबाव के आगे झुकने वाला नहीं है. ये स्वागत यह भी दिखाता है कि युद्ध छेड़ने के बावजूद पुतिन अंतरराष्ट्रीय मंच पर पूरी तरह से अलग-थलग नहीं हैं.”

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