देश की साइबर सुरक्षा में क्रांति लाने वाले बेंगलुरु की क्वांटम प्रौद्योगिकी कंपनी क्यूएनयू लैब्स ने भारत के पहले और दुनिया के सबसे बड़े क्वांटम की डिस्ट्रीब्यूशन (क्यूकेडी) नेटवर्क का शुभारंभ किया है.
भारत के लिए ये इसलिए भी गर्व की बात है क्योंकि क्यूएनयू लैब्स ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत के सपने को आगे बढ़ाते हुए आत्मनिर्भर अत्याधुनिक नेटवर्क और क्वांटम-सुरक्षित संचार में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है.
500 किलोमीटर तक फैले इस अत्याधुनिक नेटवर्क को भारत में विकसित पूरी तरह से स्वदेशी और पेटेंट तकनीक का उपयोग करके मौजूदा ऑप्टिकल फाइबर बुनियादी ढांचे पर तैनात किया गया है, जो विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा राष्ट्रीय क्वांटम मिशन के तत्वावधान में क्वांटम-सुरक्षित संचार में एक मील का पत्थर है.
भारत के लिए बड़ी टेक छलांग, साइबर सिक्योरिटी में आत्मनिर्भरता बढ़ी
500 किलोमीटर से अधिक फैले (क्यूकेडी) नेटवर्क के प्रदर्शन की औपचारिक घोषणा विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार सम्मेलन (ईएसटीआईसी 2025) के मौके पर की गई. ईएसटीआईसी 2025 कार्यक्रम में केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह, मोदी सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर अजय के. सूद, राष्ट्रीय क्वांटम मिशन के मिशन गवर्निंग बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. अजय चौधरी, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर अभय करंदीकर और अन्य अधिकारी उपस्थित रहे.
क्यूएनयू लैब्स की ये पहल मेक इन इंडिया के तहत भारत को उभरती प्रौद्योगिकियों और सुरक्षित डिजिटल बुनियादी ढाँचे के लिए अहम भूमिका निभा रही है. यह भारत को इस परिवर्तनकारी क्षेत्र में एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करता है, और इनोवेशन और उन्नत साइबर सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता दर्शाता है.
भविष्य में इंफो-साइबर वार, क्यूएनयू लैब्स भारत की साइबर सिक्योरिटी कर रहा मजबूत
हाल के दिनों में न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया को आए दिन प्रतिष्ठित संस्थानों के डेटा लीक, हैकिंग जैसे साइबर थ्रेट का सामना करना पड़ रहा है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी या यूं कहें कि पहलगाम नरसंहार के बाद दुश्मन देशों ने भारत के कई रक्षा संस्थानों के डेटा चुराने की कोशिश की थी. हालांकि भारत की साइबर सिक्योरिटी के चलते ऐसा संभव नहीं हो सका था.
सुरक्षा और खुफिया एजेंसियां भी आधुनिक समय में ये स्वीकार कर रही हैं कि क्वांटम कंप्यूटर्स ने आरएसए और ईसीसी जैसे पारंपरिक सुरक्षा प्रोटोकॉल को अत्यधिक असुरक्षित बना दिया है. ऐसी कई खुफिया रिपोर्ट में सामने आया था कि इन्क्रिप्टेड डाटा को चुरा लिया गया, लेकिन उपयोग बाद में किया गया. तमाम तरह की सिक्योरिटी को ऐसे साइबर हैकर्स तोड़ने में कामयाब हो रहे हैं.
ऐसी जानकारियां भी सामने आ चुकी हैं कि दुनियाभर के हैकर्स ज्यादा से ज्यादा डेटा इकट्ठा कर लेते हैं और बाद में डिक्रिप्ट करके राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चुनौती बन जाते हैं. एन्क्रिप्टेड डेटा चुराकर अगले 2-3 वर्षों में क्वांटम कंप्यूटिंग क्षमताओं के परिपक्व होने पर उसे क्रैक किया जा सकता है. जबकि बैंकिंग, सरकार और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को सुरक्षित करने वाला पारंपरिक एन्क्रिप्शन पुराना हो जाएगा, तो क्यूकेडी क्वांटम भौतिकी पर आधारित गणितीय रूप से ऐसी सुरक्षा प्रदान करेगा जिसे है भविष्य के क्वांटम कंप्यूटर नहीं तोड़ सकते.
क्यूकेडी कैसे करेगा अटूट सुरक्षा, दुनियाभर के जासूस होंगे फेल
क्वांटम कुंजी वितरण यानी क्यूकेडी, क्वांटम गुणों जैसे कि फोटॉनों के ध्रुवीकरण या कला का उपयोग करके, दो पक्षों, ऐलिस और बॉब, के बीच एक एन्क्रिप्शन कुंजी बनाता और साझा करता है. अगर भविष्य में किसी जासूस या हैकर्स ने फोटॉनों को रोकने की कोशिश की तो जानकारियों में गड़बड़ी पैदा करेगा जो ऐलिस और बॉब को अलर्ट मोड पर ला देती हैं कि की (कुंजी) से छेड़छाड़ की गई है. क्यूकेडी के नियम सुरक्षा की गारंटी देते हैं, जो देश की सुरक्षा के लिए बेहद अहम है.
क्यूकेडी जैसे निर्माण से हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा तो बढ़ती ही है, साथ ही भारत को दूसरी क्वांटम क्रांति में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में मजबूत स्थिति प्रदान करता है, जो सुरक्षित डिजिटल संचार और उन्नत साइबर सुरक्षा के लिए नया आयाम है.
यह प्रदर्शन आई-हब क्वांटम टेक्नोलॉजी फाउंडेशन द्वारा वित्त पोषित एक परियोजना के तहत संभव हुआ, जो आईआईएसईआर, पुणे में आयोजित एनएमआईसीपीएस पर मिशन के तहत एक प्रौद्योगिकी नवाचार केंद्र है.
हमने साबित किया कि टेक्नोलॉजी में दुनिया में हम है बेहतरीन: सुनील गुप्ता, सीईओ, क्यूएनयू लैब्स
क्यूएनयू लैब्स के सह-संस्थापक और सीईओ सुनील गुप्ता ने बताया कि “इस नेटवर्क का शुभारंभ भारत की न केवल महत्वपूर्ण उभरती प्रौद्योगिकियों में भागीदारी करने, बल्कि नेतृत्व करने की क्षमता को भी प्रदर्शित करता है.”
सुनील गुप्ता ने कहा, “हमने साबित कर दिया है कि स्वदेशी नवाचार वैश्विक मानकों से बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं और साथ ही क्वांटम सुरक्षा को वैश्विक और राष्ट्र के लिए आर्थिक रूप से व्यावहारिक बना सकते हैं.”
सुनील गुप्ता ने भविष्य की साइबर चुनौतियों पर बताया कि “क्वांटम कंप्यूटिंग और एआई (आर्टिफिशिएल इंटेलिजेंस) में वर्तमान प्रगति के साथ क्वांटम खतरे बढ़ते जा रहे हैं, इसलिए संगठनों को अपने क्रिप्टोग्राफ़िक बुनियादी ढाँचे को उन्नत करने के लिए एक तत्काल समय-सीमा और कठिन कार्य का सामना करना पड़ रहा है. लेकिन हमारा नेटवर्क दर्शाता है कि भारत के पास वैश्विक क्वांटम-सुरक्षित परिवर्तन का नेतृत्व करने के लिए सिद्ध तकनीक और आर्थिक मॉडल दोनों हैं.”
क्यूकेडी परीक्षण की क्षमता प्रदर्शन में भारतीय सेना रही साथ
भारतीय सेना और इसकी दक्षिणी कमान ने क्षमता प्रदर्शन में महत्वपूर्ण योगदान दिया. इस क्यूकेडी परीक्षण को सक्षम करने के लिए टेस्ट-बेड ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क को विशेष रूप से दक्षिणी कमान सिग्नल द्वारा योजनाबद्ध और इंजीनियर किया गया था.
यह उपलब्धि भारत में क्वांटम-सुरक्षित संचार की प्रगति में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है और राष्ट्रीय क्वांटम मिशन के उद्देश्यों को साकार करने में प्रत्यक्ष योगदान देती है. यह पहल देश की तकनीकी क्षमताओं को मजबूत करने के लिए प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग को प्रोत्साहन देने में प्रौद्योगिकी, अनुसंधान, उद्योग और रक्षा इकोसिस्टम (स्ट्राइड) के तालमेल का उदाहरण है.
क्वांटम-सुरक्षित भारत की नींव
यह 500 किलोमीटर का नेटवर्क भारत के क्वांटम सुरक्षा बुनियादी ढाँचे की रीढ़ की हड्डी के रूप में कार्य करता है, जो अंतर-शहरी, अंतर-राज्यीय और राष्ट्रव्यापी नेटवर्क के लिए स्केलेबल विस्तार को सक्षम बनाता है। विश्वसनीय नोड आर्किटेक्चर लंबी दूरी के अंतर-शहरी नेटवर्क को सक्षम बनाता है जो रक्षा, सरकार, बीएफएसआई, दूरसंचार, स्वास्थ्य सेवा, ऑटोमोटिव और महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे सहित कई क्षेत्रों का समर्थन करता है.
क्यूएनयू लैब्स के बारे में जानिए, जो विश्व में करता है भारत का प्रतिनिधित्व
क्यूएनयू लैब्स, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के राष्ट्रीय क्वांटम मिशन के तहत समर्थित 8 स्टार्टअप्स में से एक है. आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण से इसके उत्पाद मेक इन इंडिया हैं. इसके प्रोडक्ट देश के सुरक्षा से जुड़ी बड़ी-बड़ी एजेंसियां इस्तेमाल करती हैं. ये भारतीय और वैश्विक मानकों को पूरा करता है.
11 स्वीकृत पेटेंट और 15 लंबित पेटेंट के साथ क्यूएनयू लैब्स के पास भारत का सबसे बड़ा क्वांटम सुरक्षा आईपी पोर्टफोलियो है. कंपनी की तकनीक भारतीय सेना, भारतीय नौसेना, डीआरडीओ, दुनिया के अग्रणी बैंक, फॉर्च्यून 500 स्वास्थ्य सेवा कंपनियों, वैश्विक रक्षा संगठनों और ऑटोमोबाइल निर्माताओं में महत्वपूर्ण तैनाती को सुरक्षित करती हैं. वैश्विक स्तर पर 30 से अधिक तैनाती की जा चुकी हैं, और यह संख्या बढ़ती जा रही है.
क्यूएनयू लैब्स को 2025 में विश्व आर्थिक मंच (डबल्यूईई), फोर्ब्स डीजीईएमएस टॉप 200 कंपनी (2024 और 2025 में), कई सरकारी पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें रक्षा मंत्रालय द्वारा तकनीकी सफलता के लिए रक्षा अनुसंधान रत्न पुरस्कार 2022, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग से 2022 में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी पुरस्कार, और 2019 में डीएससीआई का वर्ष का सबसे नवीन उत्पाद शामिल हैं. इसके अलावा, वैश्विक संगठनों, अनुसंधान और मीडिया में बेस्ट टेक कंपनी से सम्मानित किया जा चुका है.
क्यूएनयू लैब्स भारत में जन्मी, दुनिया के लिए निर्मित, दुनिया की एकमात्र फ़ुल-स्टैक क्वांटम सुरक्षा कंपनी है जो व्यापक हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर समाधान प्रदान करती है. भारत के राष्ट्रीय क्वांटम मिशन और अन्य निवेशक नेटवर्क द्वारा समर्थित, कंपनी स्वदेशी समाधानों के साथ क्वांटम-सुरक्षित बुनियादी ढांचे में दुनिया के परिवर्तन को गति देती है – भारत में डिजाइन, विकसित, निर्मित और प्रमाणित – जो रक्षा, सरकार, वित्तीय सेवाओं, स्वास्थ्य सेवा और उद्यम क्षेत्रों में वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण संपत्तियों की रक्षा करते हैं.
क्वांटम सुरक्षा कवच का भी अनावरण
क्यूएनयू लैब्स ने क्वांटम सुरक्षा कवच (क्यूएसके) का भी अनावरण किया है, जो एक बहुस्तरीय, उद्योग-विशिष्ट, अटूट, मापनीय सुरक्षा ढाँचा है जो देश को वर्तमान साइबर हमलों, साइड-चैनल हमलों और क्वांटम हमलों से बचाता है. फाइबर से लेकर सैटेलाइट तक, जमीन से लेकर अंतरिक्ष तक, क्यूएसके हर संचार चैनल को सुरक्षित करता है.

