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राजनाथ का हिंद महासागर देशों को भरोसा, इंडियन नेवी नहीं देगी दबने

प्रधानमंत्री मोदी जब कोलंबो में रक्षा सहित अन्य अहम मुद्दों पर श्रीलंका के साथ करार कर रहे थे, उसी वक्त रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एशिया के सबसे बड़े नेवल बेस कारवार से अहम बयान दिया. राजनाथ सिंह ने कहा कि आज भारतीय नौसेना, हिंद महासागर क्षेत्र में ये सुनिश्चित करने में सक्षम है कि कोई शक्तिशाली देश अपनी अर्थव्यवस्था और सैन्य शक्ति के आधार पर किसी अन्य राष्ट्र को दबा न सके.

रक्षा मंत्री का इशारा चीन की तरफ था जिसने श्रीलंका जैसे देशों को कर्ज और अपनी बड़ी नौसेना के चलते दबाने की कोशिश की है.

शनिवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कारवार में भारतीय नौसेना के युद्धपोत आईएनएस सुनयना को अगले एक महीने के लिए हिंद महासागर क्षेत्र के देशों के अहम बंदरगाह की यात्रा के लिए रवाना कर रहे थे. नौसेना ने इस मिशन को ‘इंडियन ओसियन शिप-सागर’ का नाम दिया है.

खास बात ये है कि मिशन के दौरान आईएनएस सुनयना में भारतीय क्रू के साथ-साथ श्रीलंका सहित हिंद महासागर क्षेत्र के कुल नौ देशों के 44 नौसैनिक तैनात हैं.

सुनयना को कारवार से हरी झंडी दिखाकर रवाना करते वक्त राजनाथ सिंह ने कहा कि ये जहाज ‘सागर’, समुद्री क्षेत्र में शांति, समृद्धि और सामूहिक सुरक्षा के प्रति भारत की वचनबद्धता का प्रतिबिंब है. रक्षा मंत्री ने कहा कि “हमारा उद्देश्य हिन्द महासागर क्षेत्र को भाईचारे और साझा हित के प्रतीक के रूप में विकसित करना है.”

इस दौरान चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी, रक्षा सचिव श्री राजेश कुमार सिंह और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे. (हिंद महासागर में नौसेना का अश्वमेध यज्ञ, साथ में होंगी नौ देशों की नौसेनाएं)

आईओएस सागर में किस-किस देश के नौसैनिक हैं तैनात

कोमोरोस

केन्या

मेडागास्कर

मालदीव

मॉरीशस

मोजाम्बिक

सेशेल्स

श्रीलंका और

तंजानिया

किन-किन अंतरराष्ट्रीय बंदरगाहों पर जाएगा सागर

दार-एस-सलाम (तंज़ानिया)

नकाला (मोजाम्बिक)

पोर्ट लुइस और (मॉरीशस )

पोर्ट विक्टोरिया (मालदीव)

पीएम मोदी की ‘सागर’ पहल की 10वीं वर्षगांठ पर लॉन्च हुआ खास ‘सागर’ मिशन

यह उद्घाटन कार्यक्रम प्रधानमंत्री मोदी की ‘सागर’ पहल की 10वीं वर्षगांठ और राष्ट्रीय समुद्री दिवस के अवसर पर आयोजित किया गया है. राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हाल की पहल ‘महासागर’ (क्षेत्रों में सुरक्षा एवं विकास के लिए पारस्परिक व समग्र उन्नति) का भी उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि इससे सागर के दृष्टिकोण को और अधिक उन्नत तथा सहयोगात्मक तरीके से विस्तार करने में तेजी आएगी.

आज ही के दिन 1919 में लॉन्च हुआ था भारत का पहला व्यापारिक जहाज

रक्षा मंत्री ने 5 अप्रैल के ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला, जब आज के ही दिन वर्ष 1919 में भारत का पहला व्यापारिक जहाज एसएस लॉयल्टी मुंबई से लंदन के लिए रवाना हुआ था. राजनाथ ने इसे आईओएस सागर मिशन को शुरू करने के लिए एक उपयुक्त अवसर बताया. उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए गर्व का क्षण है क्योंकि जिस दिन हम अपनी समुद्री विरासत का जश्न मना रहे हैं, उसी दिन भारत क्षेत्रीय सहयोग की अगुवाई कर रहा है.

राजनाथ सिंह ने चालक दल को शुभकामनाएं देते हुए विश्वास व्यक्त किया कि आईओएस सागर सामूहिक सुरक्षा एवं विकास और समुद्री उत्कृष्टता के अपने व्यापक लक्ष्यों को प्राप्त करेगा.

क्या है आईओएस-सागर का उद्देश्य

आईओएस सागर एक अग्रणी प्रयास है, जिसका उद्देश्य दक्षिण-पश्चिम हिंद महासागर क्षेत्र की नौसेनाओं और समुद्री एजेंसियों को एक भारतीय नौसेना मंच पर एक साथ लाना है. यह मिशन मित्र देशों के समुद्री कर्मियों को व्यापक प्रशिक्षण प्रदान करने के अवसर के रूप में कार्य करेगा और समुद्री सुरक्षा में अभूतपूर्व सहयोग को उजागर करेगा.

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, आईओएस सागर, हिन्द महासागर क्षेत्र के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. इस मिशन के साथ ही भारत एक बार फिर अपने समुद्री पड़ोसियों के साथ बेहतर संबंध बनाने और क्षेत्र में ज्यादा सुरक्षित, अधिक समावेशी एवं सकुशल समुद्री वातावरण की दिशा में कार्य करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है. (https://x.com/rajnathsingh/status/1908485797797384518)

समुद्री-दस्यु से विदेशी जहाजों की भी सुरक्षा करती है नौसेना

रक्षा मंत्री ने आईओआर क्षेत्र में जहाजों के अपहरण और समुद्री डाकुओं के हमले जैसी घटनाओं के दौरान प्राथमिक उत्तरदाता के रूप में उभरने के लिए भारतीय नौसेना की सराहना की. उन्होंने कहा कि नौसेना न केवल भारतीय पोतों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है, बल्कि विदेशी जहाजों की सुरक्षा भी निर्धारित करती है.

राजनाथ ने कहा कि स्वतंत्र नौवहन, नियम आधारित व्यवस्था, समुद्री डकैती विरोधी अभियान और हिंद महासागर क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता बनाए रखना भारतीय नौसेना का सबसे बड़ा उद्देश्य है. उन्होंने कहा कि अन्य हितधारकों के साथ मिलकर भारतीय नौसेना क्षेत्र में शांति और समृद्धि सुनिश्चित कर रही है.

रक्षा मंत्री ने कहा कि अत्याधुनिक जहाजों, हथियारों और उपकरणों तथा अच्छी तरह प्रशिक्षित व प्रेरित नाविकों से लैस होकर हम अन्य मित्र देशों के साथ मिलकर हिंद महासागर क्षेत्र को भाईचारे एवं साझा हितों के प्रतीक के रूप में विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ने का संकल्प लेते हैं.

प्रोजेक्ट सीबर्ड फैसिलिटी

कारवार को एशिया के सबसे बड़े नेवल बेस के तौर पर तैयार करने के लिए शनिवार को रक्षा मंत्री ने कई अहम इन्फ्रास्ट्रक्चर का उद्घाटन किया. रक्षा मंत्रालय ने इस कारवार को दुनिया के अहम नेवल बेस में तब्दील करने वाले प्रोजेक्ट को सीबर्ड नाम दिया है.

शनिवार को रक्षा मंत्री ने जिन प्रोजेक्ट का उद्घाटन किया, उनमें जहाज, पनडुब्बियों और बंदरगाह यान के लिए डिजाइन की गई समुद्री अवसंरचना, एक आयुध घाट, मरम्मत हेतु विशेष रूप से सुसज्जित दो घाट शामिल हैं.

साथ ही समुद्री उपयोगिता परिसर, नाविकों एवं रक्षा असैन्य कर्मियों की 480 आवास इकाइयों से युक्त आवासीय अवसंरचना और 25 किलोमीटर सड़क नेटवर्क, 12 किलोमीटर तूफानी जल निकासी, जलाशय, अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्र व सुरक्षा निगरानी टावरों से युक्त सहायक सुविधाओं वाले केंद्र शामिल हैं.