सैटेलाइट, ड्रोन और सेंसर की मदद से अब युद्ध को कई दिन नहीं बल्कि सेकंड और घंटो में मापा जा सकता है. ऐसे में भारतीय तटरक्षक बल को सैन्य तैयारी, अनुकूलनशीलता और त्वरित प्रतिक्रिया को अपना विजन बनाना होगा. ये आह्वान किया है देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने.
सोमवार को राजनाथ सिंह राजधानी दिल्ली में इंडियन कोस्टगार्ड (आईसीजी) के तीन दिवसीय (28-30 सितंबर) कमांडर्स कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे. इस मौके पर बोलते हुए राजनाथ सिंह ने आईसीजी से एक भविष्योन्मुखी रोडमैप तैयार करने का आग्रह किया जो नई चुनौतियों का पूर्वानुमान लगा सके, अत्याधुनिक तकनीकों को एकीकृत कर सके और रणनीतियों को निरंतर अनुकूलित कर सके.
राजनाथ सिंह ने रेखांकित किया कि पड़ोसी देशों में अस्थिरता अक्सर समुद्री क्षेत्र में भी फैल जाती है. रक्षा मंत्री ने म्यांमार, बांग्लादेश, नेपाल और अन्य क्षेत्रीय देशों में लगातार हो रहे घटनाक्रमों को संदर्भित किया जो शरणार्थियों की घुसपैठ, अवैध प्रवास और अनियमित समुद्री गतिविधियों के माध्यम से, विशेष रूप से बंगाल की खाड़ी में तटीय सुरक्षा को प्रभावित करती हैं. राजनाथ सिंह ने आईसीजी से न केवल नियमित निगरानी बनाए रखने, बल्कि भू-राजनीतिक जागरूकता और बाहरी गतिविधियों पर त्वरित प्रतिक्रिया देने के लिए तत्परता बनाए रखने का भी आग्रह किया.
समुद्री सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा
समुद्री सुरक्षा को भारत की आर्थिक समृद्धि से सीधे जोड़ते हुए, रक्षा मंत्री ने इस बात पर ज़ोर दिया कि बंदरगाह, नौवहन मार्ग और ऊर्जा अवसंरचना देश की अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएं हैं. उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “समुद्री व्यापार में किसी भी तरह का व्यवधान, चाहे वह वास्तविक हो या साइबर, सुरक्षा और अर्थव्यवस्था, दोनों पर व्यापक प्रभाव डाल सकता है. हमें राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक सुरक्षा को एक ही मानना होगा.”
रक्षा मंत्री ने जोर देकर कहा कि समुद्री खतरे तेजी से प्रौद्योगिकी-संचालित और बहुआयामी होते जा रहे हैं. उन्होंने कहा, “तस्करी या समुद्री डकैती के जो तरीके पहले आसानी से समझ में आते थे, वे अब जीपीएस स्पूफिंग, रिमोट-नियंत्रित नावों, एन्क्रिप्टेड संचार, ड्रोन, सैटेलाइट फ़ोन और यहां तक कि डार्क वेब पर चलने वाले नेटवर्क का इस्तेमाल करके परिष्कृत गतिविधियों में बदल गए हैं।” उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि आतंकवादी संगठन अपनी गतिविधियों की योजना बनाने के लिए डिजिटल मैपिंग और रीयल-टाइम इंटेलिजेंस जैसे आधुनिक उपकरणों का इस्तेमाल करते हैं.
राजनाथ सिंह ने कहा, “पारंपरिक तरीके अब पर्याप्त नहीं हैं, हमें अपने समुद्री सुरक्षा ढांचे में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग-आधारित निगरानी, ड्रोन, साइबर रक्षा प्रणाली और स्वचालित प्रतिक्रिया तंत्र को एकीकृत करके अपराधियों और विरोधियों से आगे रहना होगा.”
साइबर और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध की तैयारी
रक्षा मंत्री ने सावधान किया कि साइबर और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध अब काल्पनिक ख़तरे नहीं, बल्कि वर्तमान वास्तविकताएं हैं. उन्होंने कहा, “कोई देश मिसाइलों से नहीं, बल्कि हैकिंग, साइबर हमलों और इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग के जरिए हमारी प्रणालियों को पंगु बनाने की कोशिश कर सकता है. आईसीजी को ऐसे ख़तरों से बचाव के लिए अपने प्रशिक्षण और उपकरणों को निरंतर उन्नत और अनुकूलित करना होगा. प्रतिक्रिया समय को कम करके सेकंडों में लाने और हर समय तत्परता सुनिश्चित करने के लिए स्वचालित निगरानी नेटवर्क और एआई-सक्षम प्रणालियां आवश्यक हैं.”