आतंकियों को पालने पोसने वाले पाकिस्तान के लोगों ने अपनी सरकार के खिलाफ विद्रोह कर दिया है. पाकिस्तान अधिकृत गैर-कानूनी कश्मीर (पीओके) में हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतर चुके हैं और शहबाज सरकार और असीम मुनीर की सेना के खिलाफ आग उगल रहे हैं.
विद्रोह की आवाज रोकने के लिए पाकिस्तान की सरकार ने इंटरनेट रोक दिया है. पूरे पीओके में मोबाइल इंटरनेट सेवा पर बैन लगा दिया गया है. सड़कों पर सैन्य फोर्स उतारे गए हैं. स्कूल, कॉलेज सब ठप हो गए हैं. बताया जा रहा है कि पीओके के लोगों के खिलाफ पाकिस्तानी सेना के 3000 से ज्यादा जवान सड़कों पर उतारे गए हैं.
आटे-दाल की कीमत से पीओके के लोग परेशान, निहत्थे लोगों पर बरसाई गईं गोलियां
आंदोलन की शुरुआत आटे की कीमत को लेकर हुई, जो बाद में धीरे-धीरे सरकार के खिलाफ विद्रोह शुरु हो गया. पाकिस्तान सरकार ने इस्लामाबाद से जवानों की तैनाती पीओके की राजधानी मुजफ्फराबाद में की. बताया जा रहा है कि इन जवानों ने प्रदर्शन कर रहे लोगों पर फायरिंग की जिसके बाद लोगों का गु्स्सा पाकिस्तानी सेना और पुलिस पर फूट पड़ा है.
पीओके से आए कई वीडियो में पाकिस्तानी सेना को लोगों पर फायरिंग करते देखा जा रहा है. जो सोशल मीडिया पर वायरल किए गए हैं. ये सबूत दे रहे हैं कि कैसे पीओके के प्रदर्शनकारियों पर असीम मुनीर की सेना का कहर टूट पड़ा है. वहीं पीओके के कुछ लोगों ने कहा कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान पाकिस्तानी सेना की गोलीबारी में पीओके के चार निर्दोष नागरिक घायल हो गये हैं.
पीओके के दलदल से लोगों को निकालने का वक्त आया
विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व शौकत अली मीर कर रहे हैं. शौकत अली एएसी (अवामी एक्शन कमेटी ) के नेता है. पिछले दिनों मीर ने अपने भाषण में भ्रष्टाचार और रोजगार को बड़ा मुद्दा बताया था. मीर का कहना था कि पाकिस्तान की सरकार ने पीओके के लोगों को दलदल में धकेल दिया है. इससे अब बाहर निकलने का वक्त आ गया है.
पीओके के लोग सरकारी भ्रष्टाचार, मंत्रियों को दिए जाने वाले वीवीआईपी ट्रीटमेंट, खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों से तंग आ चुके हैं.
एएसी नेता शौकत मीर ने कहा कि “अब बहुत हो चुका, या तो हमें हमारे अधिकार दो, या फिर जनता के गुस्से का सामना करो.”
ये बातों से नहीं जूते से मानने वाले लोग हैं: एएसी नेता
अवामी एक्शन कमेटी (एएसी) के बंद और चक्का जाम के आह्वान पर मीरपुर, कोटली, रावलकोट, नीलम घाटी, केरन और अन्य जिलों में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए हैं. एक भाषण में एएसी नेता ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “ये बातों से नहीं, जूतों से मानने वाले हैं.”
कश्मीर संयुक्त नागरिक कमेटी ने शहबाज सरकार को 38 मांगों की एक लिस्ट सरकार को सौंपी है. लेकिन पाकिस्तान के ‘जबरन कब्जे’ से आजादी के नारे गूंज रहे हैं.
पीओके पर आ रही डिमांड, नहीं पड़ेगी आक्रमण की जरूरत: राजनाथ सिंह
हाल ही में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने मोरक्को में बड़ा बयान दिया था. राजनाथ सिंह ने कहा था, “पीओके को लेकर डिमांड हो रही है, लेकिन पीओके अपने आप आएगा चिंता क्यों कर रहे हैं. पीओके में डिमांड हो रही है. पीओके को आक्रमण करते हड़पने की जरूरत नही है. वो हमारा ही है. आने वाले समय में पीओके के लोग खुद ही कहेंगे कि हम भी भारत में हैं. पीओके के लोगों में मांग शुरु हो चुकी है, आप सबने नारे सुने ही होंगे.”
राजनाथ सिंह ने कहा, “मैं 5 साल पहले कश्मीर घाटी में एक कार्यक्रम में भारतीय सेना को संबोधित कर रहा था, तब मैंने कहा था कि हमें पीओके पर हमला करके कब्जा करने की जरूरत नहीं पड़ेगी, पीओके खुद कहेगा, ‘मैं भी भारत हूं’, वह दिन आएगा.”