रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ रक्षा मंत्री आंद्रे बेलौसोव सहित कुल सात (07) कैबिनेट मंत्री भारत के दौरे पर आ रहे हैं (4-5 दिसंबर). पुतिन के प्रतिनिधिमंडल में रूस के हथियारों के निर्यात को संचालित करने वाली रोसोबोरोनएक्सपोर्ट कंपनी के अधिकारियों सहित रशियन सेंट्रल बैंक के गर्ववर भी शामिल हैं.
पुतिन और रक्षा मंत्री के अलावा रूस के कृषि मंत्री, वित्त मंत्री और आर्थिक विकास मंत्री भी भारत के दौरे पर आ रहे हैं. इस अहम दौरे के दौरान, भारत और रूस के बीच 10 इंटरगर्वमेंटल और 15 कार्मिशियल समझौते होने की संभावना है.
दौरे के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पुतिन के बीच दो अहम मुलाकात होनी है. एक क्लोज डोर बैठक है जिसमें मोदी और रूसी राष्ट्रपति के अलावा बेहद चुनिंदा व्यक्ति शामिल हो सकते हैं. दूसरी बैठक में, दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडल हिस्सा लेंगे. साथ ही मोदी और पुतिन, इंडिया-रशिया बिजनेस फोरम के सम्मेलन में भी शिरकत करेंगे.
दौरे के दौरान, पुतिन, रूस के सरकारी न्यूज चैनल आरटी (पूर्व में रशिया टुडे) के इंडिया चैनल, आरटी-इंडिया की लॉन्चिंग में भी शामिल होंगे.
जानकारी के मुताबिक, मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रूसी समकक्ष आंद्रे बेलौसोव इंडिया-रशिया इंटर गवर्नमेंटल कमीशन ऑन मिलिट्री एंड मिलिट्री टेक्निकल कोऑपोरेशन मिनिस्ट्रियल मीटिंग में हिस्सा लेंगे.
इस मीटिंग से पहले, आंद्रे बेलौसोव को दिल्ली कैंट स्थित मानेकशॉ सेंटर में भारत की सेना के तीनों अंग (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) की एक साझा टुकड़ी गार्ड ऑफ ऑनर देगी.
बेलौसोव, नेशनल वॉर मेमोरियल भी जाएंगे और भारत के वीरगति को प्राप्त हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे. खास बात है कि पुतिन और बेलौसोव का दिल्ली दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब बुधवार (4 दिसंबर को) भारतीय नौसेना अपना 54वां स्थापना दिवस मना रही है.
1971 की जंग में पाकिस्तान के कराची में हमला करने की याद में हर वर्ष 4 दिसंबर को नेवी डे मनाया जाता है. उल्लेखनीय है कि 1971 की जंग में जब अमेरिका ने भारत के विरुद्ध अपना सांतवा जंगी बेड़ा बंगाल की खाड़ी में भेजने की साजिश रची थी, तब रूस ने अपना जंगी बेड़ा हिंद महासागर में तैनात कर दिया था. रूसी नौसेना के भारत की मदद के लिए आने पर, अमेरिका ने पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध से अपना हाथ खींच लिया था. युद्ध में भारत की निर्णायक विजय हुई थी और पाकिस्तान के दो फाड़ हो गए थे.
रूस के रक्षा मंत्री बेलौसोव, एक अर्थशास्त्री हैं और पिछले वर्ष यानी 2024 में रूस की पांचवी बार कमान संभालने के साथ ही पुतिन ने कैबिनेट में बड़ा फेरबदल कर उन्हें रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी थी. दरअसल, यूक्रेन जंग के कारण, रूस का रक्षा बजट लगातार बढ़ता जा रहा था. यही वजह है कि पुतिन ने अपने विश्वासपात्र और सैन्य कमांडर सर्गेई शोइगु को रक्षा मंत्रालय से हटाकर सुरक्षा परिषद का सेक्रेटेरी (एनएसए) नियुक्त कर दिया था.
यूक्रेन युद्ध और पश्चिमी देशों के तमाम प्रतिबंधों के बावजूद अगर रूस की अर्थव्यवस्था पटरी पर है तो उसमें पुतिन के आर्थिक सलाहकार से लेकर रूस के उप-प्रधानमंत्री (2020-24) के पद पर रह चुके बेलौसोव का एक बड़ा हाथ माना जाता है.यही वजह है कि पुतिन ने रक्षा मंत्रालय जैसे अहम विभाग की जिम्मेदारी बेलौसोव के कंधों पर डाली थी.
भारत के साथ मजबूत रक्षा संबंधों के चलते, पुतिन ने बेलौसोव को भारत दौरे में अपने साथ लिया है. एस-400 मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी में हो रही देरी के चलते, खुद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बेलौसोव से अपनी चिंता जताई थी. इसके अलावा, भारत को फिलहाल, रूस से एस-400 की 300 अतिरिक्त मिसाइल की जरूरत है.
भारत जिन हथियारों को दूसरे देशों से आयात करता है, उसमें रूस की 38 प्रतिशत की हिस्सेदारी है.
पुतिन के मीडिया सलाहकार, दिमित्री पेसकोव ने हाल में भारतीय पत्रकारों से रुसी स्टील्थ फाइटर जेट सु-57 को देने की पेशकश की थी.साथ ही भारत चाहता है कि जिस परमाणु पनडुब्बी का करार रूस से हुआ है, वो 2027 तक डिलीवरी हो जाए. रूस इस पनडुब्बी को 2028 तक देना चाहता है.
पेसकोव भी पुतिन के उस प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा है, जो भारत आ रहा है.

