रूस और अमेरिका के बीच छिड़ी जुबानी जंग में न्यूक्लियर सबमरीन की एंट्री हो चुकी है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के करीब 02 न्यूक्लियर सबमरीन भेज दी है, तो रूस की ओर से कहा गया है कि उनके टारगेट पर है अमेरिकी सबमरीन.
इन सबके बीच रूस के लिहाज से एक बड़े नुकसान की खबर आई है.
इसी हफ्ते, रूस के कामचटका में आए दशक के सबसे बड़े भूकंप में और सुनामी में रशियन न्यूक्लियर सबमरीन बेस को नुकसान होने की खबर है. कामचटका के रेबाचीय बेस की सैटेलाइट इमेज भी सामने आई है, जिसमें जेट्टी को नुकसान देखा जा सकता है.
अमेरिका सीमा पर तैनात रूसी सबमरीन को पहुंचा नुकसान
जानकारी के मुताबिक, रूस के रेबाचीय बेस पर आधुनिक बोरेए क्लास परमाणु पनडुब्बी के अलावा सोवियत काल की डेल्टा क्लास सबमरीन तैनात रहती हैं. ये नेवल बेस, रूस की पैसिफिक फ्लीट का हिस्सा है. अमेरिका के अलास्का के बेहद करीब होने के चलते कामचटका का सामरिक महत्व है.
इस हिस्से में रूस और अमेरिका की सीमाओं के बीच महज पांच (05) किलोमीटर का अंतर है. दोनों देशों के बीच बेरिंग स्ट्रेट है. बेहद करीब सीमा होने के चलते माना जाता है कि दोनों ही देशों के सामरिक हथियार इसी क्षेत्र में तैनात हैं.
30 जुलाई को कामचटका में 8.8 तीव्रता का भूकंप आया था. इसे दुनिया के इतिहास का छठा सबसे बड़ा भूकंप माना गया था. भूकंप के बाद इलाके में सुनामी और ज्वालामुखी फटने की रिपोर्ट भी सामने आई थी. उसी वक्त इस बात के कयास लग रहे थे कि भूकंप और सुनामी से दोनों देशों के सामरिक बेस को नुकसान पहुंच सकता है.
रूसी अधिकारियों ने कहा, सब नियंत्रण में है
सैटेलाइट तस्वीरें कह रही हैं कि रूसी सबमरीन को नुकसान पहुंचा है, लेकिन रूसी अधिकारी कह रहे हैं कि सब कुछ नियंत्रण में है. अगर सच में रूसी सबमरीन को नुकसान हुआ है, तो रेडियेशन लीक या मिसाइल लॉन्च जैसी गंभीर घटनाएं हो सकती हैं.
लेकिन रूसी सेना से जुड़े अधिकारियों का दावा है ये बेस दुश्मन के परमाणु हमले को झेलने के लिए बनाए गए हैं. ऐसे में सबमरीन और बेस को ऐसे भूकंपों से ऐसा नुकसान नहीं हो सकता है, कि लोगों के जीवन का खतरा बढ़ जाए.
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव के मुताबिक कामचटका में इमारतों को भूकंप प्रतिरोधी बनाया गया है.
हमारी निगरानी में अमेरिकी सबमरीन, हमारी न्यूक्लियर सबमरीन पहले से ही समंदर में हैं: रूसी सांसद
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रूस के करीब 02 न्यूक्लियर सबमरीन भेजे जाने की घोषणा पर रूस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. रूस के सांसद वोडोलात्सकी ने कहा कि “जिन दो अमेरिकी पनडुब्बियों को भेजा गया है, वे पहले से ही हमारे निशाने पर हैं. अब आवश्यकता इस बात की है कि अमेरिका और रूस के बीच एक ठोस समझौता हो, ताकि विश्व युद्ध-III जैसी चर्चाएं बंद हों और पूरी दुनिया शांत हो सके.”
रूसी सांसद यहीं नहीं रुके, अमेरिका पर तंज कसते हुए कहा, “रूस के पास समुद्र में पहले से ही पर्याप्त संख्या में परमाणु पनडुब्बियां मौजूद हैं. इन अमेरिकी पनडुब्बियों को लंबे समय से रूसी नियंत्रण में रखा गया है, इसलिए रूस को इस पर प्रतिक्रिया देने की कोई जरूरत नहीं है. विश्व के महासागरों में रूसी परमाणु पनडुब्बियों की संख्या अमेरिकी पनडुब्बियों से कहीं अधिक है. राष्ट्रपति ट्रंप ने जिन पनडुब्बियों को ‘उपयुक्त क्षेत्र’ में भेजने का आदेश दिया है, वे पहले से ही हमारी निगरानी में हैं.”