चीन में हुए एससीओ की बैठक में साझा बयान पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के हस्ताक्षर न किए जाने पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने प्रतिक्रिया दी है. आपातकाल के पचास साल पूरे होने को लेकर हुए एक आयोजन के दौरान एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जयशंकर ने कहा है कि शंघाई सहयोग संगठन का जब गठन हुआ तो इसका मकसद आतंकवाद से लड़ना था. लेकिन एक देश ने आतंकवाद के उल्लेख होने पर आपत्ति जताई. आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वो देश कौन है.
भारत ने इस कारण नहीं किया एससीओ ड्राफ्ट पर हस्ताक्षर:जयशंकर
एस जयशंकर ने कहा, ठएससीओ का मुख्य लक्ष्य आतंकवाद से लड़ना था, ऐसे में राजनाथ सिंह ने साफ किया कि क्योंकि संगठन का मकसद ही आतंकवाद से लड़ना है और आप उसी के उल्लेख की इजाजत नहीं दे रहे हैं, ऐसे में ये मंजूर नहीं है. एससीओ आम राय से चलता है. एक देश के आतंकवाद के जिक्र पर आपत्ति जताई तो राजनाथ सिंह ने कहा कि अगर आतंकवाद का इसमें जिक्र नहीं है. तो हम लोग बयान को नहीं मानेंगे. आप इसका अंदाजा लगा सकते हैं कि किस देश की बात हो रही है. उस देश ने साफ तौर पर कहा कि आतंकवाद का साझा बयान में जिक्र नहीं होगा.”
विदेश मंत्रालय ने साधा था पाकिस्तान पर निशाना
विदेश मंत्री के बयान से पहले रणधीर जायसवाल ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा, कि “हमारी ओर से ये बताया गया कि भारत चाहता है कि संयुक्त बयान में आतंकवाद पर हमारी चिंताओं को दर्शाया जाए. लेकिन एक खास देश ने अपनी असहमति जताई, जिसके बाद ज्वाइंट ड्राफ्ट में हस्ताक्षर नहीं किए गए.”
रणधीर जायसवाल ने बताया कि “रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एससीओ की बैठक में आतंकवाद का मुद्दा प्रमुखता से उठाया और कहा, “सीमापार से होने वाले आतंकवाद और इसके अपराधियों, आयोजकों और वित्त पोषकों को जवाबदेह ठहराया जाए.भारत ने स्पष्ट किया कि वह आतंकवाद को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं करेगा और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इसकी मुखर आलोचना करता रहेगा.”
आतंकवाद के खिलाफ भारत लेता रहेगा एक्शन:राजनाथ सिंह
एससीओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में पाकिस्तानी समकक्ष के सामने ही राजनाथ सिंह ने आतंकवाद और ऑपरेशन सिंदूर की प्रशंसा की. राजनाथ सिंह ने कहा, “हमारा आतंकवाद के खिलाफ एक्शन जारी रहेगा. आतंकवाद के प्रति भारत की शून्य सहनशीलता आज उसके कार्यों से झलकती है. इसमें आतंकवाद के खिलाफ खुद की रक्षा करने का हमारा अधिकार भी शामिल है. हमने दिखा दिया है कि आतंकवाद के केंद्र अब सुरक्षित नहीं हैं और हम उन्हें निशाना बनाने में संकोच नहीं करेंगे.”
राजनाथ सिंह ने कहा, “यह जरूरी है कि जो लोग आतंकवाद को प्रायोजित, पोषित और अपने संकीर्ण और स्वार्थी उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करते हैं, उन्हें इसके नतीजे भुगतने होंगे. कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को नीति के साधन के रूप में इस्तेमाल करते हैं और आतंकवादियों को पनाह देते हैं. ऐसे दोहरे मानदंडों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए, एससीओ को ऐसे देशों की आलोचना करने में संकोच नहीं करना चाहिए.”