नॉर्थ कोरिया तानाशाह किम जोंग उन के खिलाफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने करवाया था एक सीक्रेट ऑपरेशन. दुनिया से हमेशा कटा-कटा सा रहने वाला नॉर्थ कोरिया क्या प्लान कर रहा है, कैसे अपने न्यूक्लियर पावर बढ़ा रहा है, कौन-कौन सी मिसाइल बना रहा है, इन सबकी जानकारी हासिल करने के लिए अमेरिका के बेहद ही घातक सील कमांडोज़ को भेजा गया था नॉर्थ कोरिया. ये वही सील कमांडोज़ की टीम थी, जिन्होंने अलकायदा के खूंखार आतंकी ओसामा बिन लादेन को मौत के घाट उतारा था.
किम जोंग के खिलाफ उत्तर कोरिया में यह गुप्त अमेरिकी मिशन उस समय चलाया गया था, जब प्योंगयांग 2019 में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पहली सरकार के साथ उच्च स्तरीय परमाणु वार्ताओं में शामिल था.
2019 में सील कमांडोज़ ने नॉर्थ कोरिया में किया था सीक्रेट मिशन, हुआ खुलासा
खुलासा हुआ है कि अमेरिकी नेवी के सील कमांडोज ने साल 2019 में नॉर्थ कोरिया में सीक्रेट मिलिट्री ऑपरेशन चलाया था. लेकिन कमांडोज ने गलती की वजह से 3 नॉर्थ कोरियाई नागरिकों की मौत हो गई और मिशन फेल हो गया.
मिशन का टारगेट नॉर्थ कोरिया में एक इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस इंस्टॉल करना था. जिससे अमेरिकी खुफिया एजेंसी किम के कम्युनिकेशन को ट्रैक कर सकें और उनकी बातें सुन सके.
महीनों की तैयारी के बाद ऑपरेशन शुरु किया गया, लेकिन नॉर्थ कोरिया की एक आम नाव से सील कमांडो टकरा गए और मिशन अधूरा रह गया.
नॉर्थ कोरिया में बेहद जोखिम भरा था ऑपरेशन, 03 आम नागरिक मारे गए
बताया गया कि इस मिशन के लिए नेवी सील कमांडोज ने महीनों तैयारी की थी. ये कमांडोज उसी यूनिट से थे, जिसने 2011 में ओसामा बिन लादेन को मार गिराया था. नेवी सील कमांडोज एक परमाणु पनडुब्बी के जरिए नॉर्थ कोरिया के जलक्षेत्र में दाखिल हुए. यहां से दो मिनी-पनडुब्बियों में बैठकर तट के करीब पहुंचे और फिर तैरकर किनारे पर पहुंचे. इन 8 सील कमांडोज को नॉर्थ कोरिया के बॉर्डर फोर्स को चकमा देना था और कम्युनिकेशन डिवाइस इंस्टॉल करना था.
अमेरिकी कमांडोज को लगा कि वे अकेले हैं, लेकिन तट के पास ही उन्हें एक छोटी नाव दिखी. नाव मिनी-पनडुब्बियों के पास पहुंची. नाव में सवार क्रू मेंबर टॉर्च लिए हुए थे. उनमें से एक शख्स पानी में कूद गया. नेवी कमांडोज़ ने पोल खुलने के डर से गोलीबारी शुरु कर दी. जिसमें 3 नॉर्थ कोरियाई मारे गए, जो निहत्थे थे. उनकी नाव में सी-फूड और शेलफिश मिली थी.
बताया जा रहा है कि अमेरिकी कमांडोज़ ने मृत शवों को पानी में डुबो दिया ताकि इस ऑपरेशन का सुराग हासिल न किया जा सके. लेकिन फायरिंग के बाद मिशन रोक दिया गया और नेवी सील कमांडोज अपनी पनडुब्बी में लौट गए.
साल 2019 में ट्रंप ने 03 बार की थी किम जोंग से मुलाकात
अमेरिका का ये मिलिट्री ऑपरेशन साल 2019 में ट्रंप और किम की परमाणु वार्ता के दौरान हुआ. ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में किम से 3 बार मुलाकात की थी. सिंगापुर में जून 2018, हनोई में फरवरी 2019 और जून 2019 में पनमुनजोम (कोरियाई सीमा) की मुलाकात शामिल है.
बताया जा रहा है कि इस मीटिंग से पहले साल 2018 में अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने व्हाइट हाउस को एक नया प्रस्ताव दिया, जिसमें उत्तर कोरिया के नेता की संचार प्रणाली को इंटरसेप्ट करने के लिए एक नया इलेक्ट्रॉनिक उपकरण स्थापित किया जाए.
ट्रंप ने मिशन की तैयारी के लिए मंजूरी दी थी. इसके बाद सील टीम ने अमेरिकी जल क्षेत्रों में कई महीनों तक अभ्यास किया और 2019 की शुरुआत में मिशन को अंजाम देने की तैयारी की.
ट्रंप-पेंटागन ने साधी चुप्पी, नॉर्थ कोरिया ने भी प्रतिक्रिया नहीं दी
उत्तर कोरिया में अमेरिका के सीक्रेट मिलिट्री ऑपरेशन का खुलासा ऐसे वक्त में हुआ है, जब ऐसी खबरें आई थीं कि ट्रंप और किम जोंग उन के बीच मुलाकात हो सकता है.
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने इस पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है. वहीं ट्रंप ने कहा, ‘मुझे इसके बारे में कुछ नहीं पता. मैं यह बात पहली बार सुन रहा हूं.’
सवाल है कि कि क्या नॉर्थ कोरिया को इस मिलिट्री ऑपरेशन के बारे में पता है. नॉर्थ कोरिया ने कभी भी इस घटना को सार्वजनिक तौर पर स्वीकार नहीं किया. हालांकि उस इलाके में सैन्य गतिविधियां बढ़ा दी गईं हैं. माना जा रहा है कि जल्द तानाशाह की ओर से सील कमांडो के सीक्रेट ऑपरेशन के बार में कुछ बातें साझा की जा सकती है.
पिछले महीने ही किम जोंग की बहन किम यो जोंग ने अमेरिका पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि हम अमेरिका से तभी बात करेंगे, जब वो हमें एक परमाणु शक्ति के तौर पर देखेंगे.