पाकिस्तान से सटी लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) पर आतंकी अब सेना को चकमा देने के लिए ऑफलाइन मैप की मदद ले रहे हैं. ‘अल्पाइन क्वेस्ट’ नाम के इस एप को बिना इंटरनेट के इस्तेमाल किया जा सकता है. ऐसे में आतंकियों की मूवमेंट पर नजर रखना थोड़ा मुश्किल हो जाता है.
ये चौंकाने और चिंता वाली बात है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में आतंक फैलाने के लिए आतंकवादी अब स्थानीय लोगों पर भरोसा करने की जगह एक एप पर कर रहे हैं. जांच एजेंसियों ने खुलासा किया है कि स्थानीय मददगारों (ग्राउंड वर्कर्स ) के नेटवर्क को जब जम्मू-कश्मीर में पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया है तो आतंकी अल्पाइन क्वेस्ट नाम के एक एप का सहारा ले रहे हैं.
अल्पाइन क्वेस्ट एक फ्रांसीसी एप है, जिसकी मदद से घुसपैठ करने की फिराक में है आतंकी. ‘अल्पाइन क्वेस्ट’ के ऑफलाइन वर्जन का आतंकी इस्तेमाल करते हैं, जिसकी मदद से आतंकियों को पुलिस-बलों के बैरिकेड्स, मूवमेंट और कैंप की जानकारी मिलती है.
मोबाइल एप के जरिए जानकारी हासिल कर रहे आतंकी
खुलासा हुआ है कि अब स्थानीय मददगारों पर निर्भरता खत्म कर रहे हैं आतंकी. आतंकी अल्पाइन क्वेस्ट नाम के एक एप का इस्तेमाल करके घुसपैठ के बाद प्लानिंग कर रहे हैं. आतंकियों को आईएसआई ने ये एप उपलब्ध कराया है. सुरक्षाबल की निरंतर निगरानी से बचने के लिए
आतंकी सेटेलाइट और रेडियो फोन का इस्तेमाल कम कर रहे हैं और ग्राउंड वर्कर्स की मदद के बिना ऑफलाइन लोकेशन ऐप ‘अल्पाइन क्वेस्ट’ का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके पीछे एक और वजह है क्योंकि आतंकियों को स्थानीय लोगों की मदद उतनी नहीं मिल पा रही है, जितनी पहले मिला करती थी. साथ ही ओवरग्राउंड वर्कर्स की मदद से योजनाएं लीक होने का भी खतरा है, क्योंकि सुरक्षाबलों की जबरदस्त नेटवर्किंग के चलते आतंकी वारदातों को अंजाम दिए जाने से पहले ही ध्वस्त कर दिया जा रहा है.
एप का ऑफलाइन वर्जन है आतंकियों के पास उपलब्ध
दरअसल किसी भी जगह की लोकेशन और दिशा पता करने के लिए जिस गूगल मैप की आवश्यकता होती है, वो इंटरनेट से चलता है. लेकिन ऐसे में सुरक्षा एजेंसियों की पकड़ में आने का खतरा रहता है. लेकिन अल्पाइन क्वेस्ट बिना इंटरनेट के एक्सेस किया जा सकता है.
इंटरनेट और लोकेशन इस्तेमाल न किए जाने के कारण सुरक्षाबलों को आतंकियों को ट्रैक करने में दिक्कत आती है. गूगल मैप की तरह लोकेशन बताने का काम करने वाले अल्पाइन क्वेस्ट एप्प के जरिए पहाड़, जंगल और नदी का रास्ता आसानी से तलाशा जा सकता है, वो भी बिना इंटरनेट के. इसलिए जम्मू कश्मीर जैसे इलाकों में आतंकियों के बीच इस एप का इस्तेमाल बढ़ा है.
ट्रैकर्स के लिए बना एप कर रहे आतंकी इस्तेमाल
अल्पाइन एप आमतौर पर जंगलों और पहाड़ों पर ट्रैकिंग करने वाले लोग इस्तेमाल करते हैं. लेकिन अब एप का आतंकी बेजा इस्तेमाल कर रहे हैं, जिसने सुरक्षाबलों और सुरक्षा एजेंसियों को चौकस बना दिया है. अक्सर जंगलों के रास्ते और पहाड़ों के रास्ते आतंकी घुसपैठ की कोशिश करते हैं, जिसमें ये एप मददगार बन रहा है. आतंकियों को अल्पाइन क्वेस्ट एप्लीकेशन की ट्रेनिंग पाकिस्तान में दी जाती है. ट्रेनिंग के बाद आतंकी इस एप की मदद से नदी-नालों, पहाड़ व टनल जैसी जगहों का भी आसानी से पता लगाकर अपना टारगेट सेट करते हैं.
पिछले साल 8 जुलाई 2024 को कठुआ में आतंकी हमला हुआ था. आतंकियों ने एक गांव में गश्त करने गए जवानों की गाड़ी पर अटैक किया था, जिसमें पांच जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे. जांच के दौरान पता चला था कि उस आतंकी हमले में भी अल्पाइन क्वेस्ट का इस्तेमाल किया गया था. हालांकि उस अटैक में कुछ स्थानीय लोगों की भी संलिप्तता पाई गई थी.