सरकार ने संसद में देशभर में भूतपूर्व सैनिकों की विधवाओं का आंकड़ा संसद में पेश किया है. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इस वक्त देश में 7.40 लाख एक्स-सर्विसमैन की विधवाएं हैं जिनकी लिए सरकार पेंशन से लेकर कई कल्याणकारी योजनाएं चला रही है. इसमें सीधे मिलिट्री पुलिस में भर्ती से लेकर शॉर्ट सर्विस कमीशन में आरक्षण भी शामिल है.
पंजाब में सबसे ज्यादा 76 हजार भूतपूर्व-सैनिकों की विधवाएं
राज्य सभा में एक लिखित सवाल के जवाब में रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने संसद को बताया कि सबसे ज्यादा पूर्व सैनिकों की विधवाएं (75,821) पंजाब में हैं. इसके बाद नंबर आता है उत्तर प्रदेश (72,071) और केरल (71,570) का.
कम जनसंख्या वाले राज्यों में हरियाणा में 58,083 विधावाएं हैं तो उत्तराखंड में 50,285. हिमाचल प्रदेश में ये संख्या 40,232 है.
सरकार ने संसद में बताई कल्याणकारी योजनाएं
रक्षा मंत्रालय ने संसद को बताया कि सरकार, युद्ध-विधवाओं और सशस्त्र सेना कार्मिकों के परिवारों के लिए जिन कल्याणकारी स्कीम चलाती है, उनमें दो पुत्रियों के विवाह के लिए 16 हजार से 50 हजार तक का अनुदान और विधवा पुनर्विवाह (हवलदार रैंक तक) शामिल है.
विधवा महिलाओं के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण अनुदान के तौर पर 20-50 हजार तक की राशि भी अनुदान के तौर पर दी जाती है. साथ ही चिकित्सा और गंभीर बीमारी अनुदान का भी प्रावधान है.
रक्षा राज्य मंत्री के मुताबिक, प्रधानमंत्री स्कीम के तहत 5500 छात्रों को छात्रवृत्ति भी दी जाती है (लड़कों के लिए 2500 और लड़कियों के लिए 3000).
शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) में विधवाओं और बच्चों के लिए सीट आरक्षित
संसद में ये भी बताया गया कि सैन्य अधिकारियों की विधवाओं और युद्ध में हताहत अधिकारियों के बच्चों (संतानों) के लिए शॉर्ट सर्विस कमीशन (नॉन-टेक्निकल) में एक स्थान और एनसीसी किए बच्चों (पुरूष वर्ग और महिला वर्ग) में सात-सात रिक्तियां आरक्षित की गई हैं.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, जूनियर कमीशंड ऑफिसर (जेसीओ) और अन्य रैंक (ओआर) के सेवा के दौरान हताहत रक्षा कार्मिकों की विधवाओं को मिलिट्री पुलिस में आवेदन के लिए पात्र हैं. साथ ही सिविल डिफेंस में भी अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति दी जा सकती है.
सेना कल्याण आवास संगठन की आवास स्कीम की हर परियोजना में 3 प्रतिशत कोटा विधवाओं के लिए आरक्षित है.