मिडिल ईस्ट में बिगड़े हालात के बीच फंसे भारतीयों को निकालने के लिए भारत ने कमर कस ली है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जी-7 की बैठक से निकलते निकलते ये चेतावनी दी कि लोग जल्द से जल्द तेहरान खाली कर दें, जिसके बाद तेहरान और ईरान में दूसरी जगहों पर रहने भारतीयों के परिवारवालों की चिंता को बढ़ा दिया है.
इस बीच भारत के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि तेहरान में रह रहे भारतीय छात्रों को सुरक्षा कारणों से शहर से बाहर सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया है, जिनकी व्यवस्था भारतीय दूतावास द्वारा की गई.
तेहरान से भारतीयों का निकासी अभियान, कोम भेजे गए भारतीय
भारतीय दूतावास ने तेहरान में मौजूद सभी भारतीय नागरिकों और प्रवासी भारतीयों को अपनी खुद की परिवहन व्यवस्था से जल्द से जल्द सुरक्षित स्थानों की ओर जाने की सलाह दी है. विदेश मंत्रालय ने कहा है कि हालात लगातार बदल रहे हैं, और जरूरत पड़ने पर आगे और एडवाइजरी जारी की जाएंगी. तेहरान में रहने वाले भारतीय छात्रों को विदेश मंत्रालय की मदद से शहर के बाहर सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया है. बताया जा रहा है कि 600- भारतीयों को तेहरान से ईरान के मध्य शहर कोम भेजा गया है, जो एक धार्मिक स्थल है.
110 भारतीय छात्रों को आर्मेनिया के रास्ते निकाला गया
विदेश मंत्रालय ने मिडिल ईस्ट संकट को पूरी गंभीरता से लिया है और भारतीयों को सुरक्षित निकालने की कोशिश जारी है. विदेश मंत्रालय के मुताबिक ईरान के उरमिया मेडिकल यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे करीब 110 भारतीय छात्र आर्मेनिया की सीमा पार कर सुरक्षित निकाले गए हैं. इन छात्रों में लगभग 90 छात्र जम्मू-कश्मीर घाटी से हैं, जिसे जम्मू-कश्मीर स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने भी बयान जारी कर बताया. ये सभी छात्र अब अर्मेनिया से भारत के लिए उड़ान भरेंगे और दिल्ली पहुंचेंगे.
भारतीय छात्रों की निकासी के लिए एस जयशंकर ने की आर्मेनिया से बात
आर्मेनिया के विदेश मंत्री अरारत मिर्जोयान और भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के बीच रविवार शाम को बातचीत हुई, जिसमें भारतीय नागरिकों को अर्मेनिया के ज़रिए सुरक्षित निकालने पर सहमति बनी. एमईए के मुताबिक, अर्मेनिया सरकार ने भारतीय छात्रों को निकालने के लिए विशेष सहयोग दिया.
ईरान और इजरायल में कितने भारतीय रहते हैं
आंकड़ों के मुताबिक ईरान में 10000 भारतीय हैं, जिनमें से 2000 के आसपास छात्र हैं, तो 6000 भारतीय लंबे समय से ईरान में रहकर कामकाज करते हैं. वहीं शिपिंग कंपनी और दूसरे क्षेत्र से जुड़े लोग ईरान में रहते हैं. वहीं इजरायल में रहने वाले भारतीयों के तादाद 20000 के करीब है.
रूस-यूक्रेन की तरह भारतीयों को निकाल पाएगी मोदी सरकार?
साल 2022 के फरवरी महीने में जब रूस-यूक्रेन का युद्ध शुरु हुआ था, तो यूक्रेन में 20000 से ज्यादा भारतीय छात्र और लोग फंसे थे. सभी ने गुहार लगाई थी कि जल्द से जल्द बाहर निकाला जाए. उस वक्त मोदी सरकार ने ऑपरेशन गंगा लॉन्च करके भारतीयों को बाहर निकाला था. यहां तक की भारतीय लोगों की सुरक्षित निकासी के चलते रूस-यूक्रेन में कुछ घंटों का युद्धविराम था, जिसे भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत माना जाता है.
लेकिन ईरान में फंसे भारतीयों की निकासी थोड़ी टेंशन वाली है, वो इसलिए क्योंकि ईरान के पड़ोसी देश अफगानिस्तान और पाकिस्तानी की ओर से निकासी टेढ़ी खीर है, क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान और भारत में तनाव है. पाकिस्तान ने अपना हवाई मार्ग बंद किया है.
मतलब साफ है कि पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र के रास्ते भारतीयों की वापसी मुश्किल है. वहीं जमीनी मार्ग की बात की जाए तो ईरान की जमीनी सीमा अर्मेनिया, अजरबैजान, तुर्कमेनिस्तान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से लगती है. इसके अलावा तुर्किए और इराक, युद्धग्रस्त ईरान के पड़ोसी देश हैं.
अजरबैजान और तुर्किए हमेशा से कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ रहता है. अजरबैजान और अर्मेनिया के युद्ध में भारत अर्मेनिया के साथ रहता है. अर्मेनिया को भारत की ओर से दिए गए हथियारों (पिनाका मिसाइल)से भी अजरबैजान चिढ़ता है, यानि अजरबैजान से भी भारतीयों का आना थोड़ा कठिन है. तो तुर्किए के दुश्मन देश साइप्रस में दो दिन पहले ही पीएम मोदी पहुंचे थे. तुर्किए ने भी ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान को ड्रोन की खेप पहुंचाई थी, जिसके बल पर पाकिस्तान उछल रहा था. वो बात अलग थी कि तुर्किए के सारे ड्रोन फेल रहे. यानि भारतीयों का तुर्किए, अजरबैजान, पाकिस्तान के रास्ते लाना खतरों से भरा है, जिसे भारत विकल्प के तौर पर भी नहीं सोचेगा.
तुर्कमेनिस्तान और भारत के बीच संबंध पिछले कुछ वर्षों से प्रगाढ़ हैं, यानि भारतीयों की निकासी अर्मेनिया और तुर्कमेनिस्तान के जरिए ही हो सकती है, जिसकी कोशिशें की जा रही हैं.
ईरान में भारतीय कंट्रोल रूम 24 घंटे एक्टिव
बढ़ते संकट को देखते हुए विदेश मंत्रालय ने 24×7 नियंत्रण कक्ष स्थापित किया है, जो ईरान और पूरे वेस्ट एशिया में मौजूद भारतीय नागरिकों के लिए सहायता दे रहा है. सरकार ने हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं. विदेश मंत्रालय ने जो नंबर जारी किए हैं, वो इस प्रकार से हैं-
- 1800118797 (Toll free)
- +91-11-23012113-
- +91-11-23014104
- +91-11-23017905
- +91-9968291988 (Whatsapp)
- ईमेल : situationroom@mea.gov.in
इसके अलावा दो और नंबर जारी किए गए हैं, जिस पर भारतीय कॉल कर सकते हैं,
- +98 9128109115
- +98 9128109109
व्हाट्सएप के लिए विदेश मंत्रालय ने अलग नंबर जारी किए हैं, जो इस प्रकार हैं
- +98 901044557, +98 9015993320, +91 8086871709.
- बंदर अब्बास: +98 9177699036
- जाहेदान: +98 9396356649
- ईमेल: cons.tehran@mea.gov.in