ऑपरेशन सिंदूर में आतंकिस्तान के मददगार बने तुर्किए ने पिटने के बाद कश्मीर का रोना रोया है. तुर्किए के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोगन ने संयुक्त राष्ट्र में एक बार फिर कश्मीर का राग अलापा है.
यूएनजीए के इतने अहम सम्मेलन में बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना जैसी हरकत नजर करते नजर आए मुस्लिम देशों के खलीफा बने फिर रहे एर्दोगन. ये वही एर्दोगन हैं, जो पहलगाम नरसंहार के बाद शहबाज शरीफ के साथ मुसकुराते नजर आए थे.
एर्दोगन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में एर्दोगन ने अपने संबोधन में कश्मीर के समाधान पर अपील की है. जबकि भारत पहले ही बता चुका है कि कश्मीर कोई मुद्दा है ही नहीं. बात हो तो पीओके (पाकिस्तान ऑक्यूपाइड कश्मीर) पर हो.
दरअसल यूएन में एर्दोगन को इसलिए दर्द हुआ है क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के साथ-साथ तुर्किए को भी भारतीय सेना ने बहुत कूटा है. पाकिस्तान से जो ड्रोन हमले किए गए थे, वो ड्रोन तुर्किए के ही थे, जिन्हें जमीन पर गिरने से पहले ही भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने ध्वस्त कर दिया था.
संयुक्त राष्ट्र महासभा में एर्दोगन ने क्या कहा?
एर्दोगन ने यूएनजीए के 80वें सत्र में कहा, “दक्षिण एशिया में हम शांति और स्थिरता को बचाए रखने को अत्यंत अहम मानते हैं. हम पाकिस्तान और भारत के बीच पिछले अप्रैल में तनाव के बाद हुए सीजफायर से खुश हैं, जो तनाव संघर्ष में बदल गया था. हमें उम्मीद है कि कश्मीर में हमारे भाइयों और बहनों की बेहतरी के लिए कश्मीर मुद्दे का समाधान संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के आधार पर बातचीत के जरिए किया जाना चाहिए.”
ये कोई पहला मौका नहीं है, जब एर्दोगन ने कश्मीर का मुद्दा छेड़ा है. इससे पहले भी कई बार यूएन में एर्दोगन, इस्लामिक देश के नाम पर पाकिस्तान का साथ देते हुए कश्मीर पर बोलते रहे हैं.
कश्मीर हमारा आंतरिक मामला, जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा
इससे पहले एर्दोगन की टिप्पणियों को भारत खारिज कर चुका है. विदेश मंत्रालय ने कश्मीर को आंतरिक मामला बताते हुए कहा था कि, “जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है. किसी दूसरे देश को इस पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है. किसी दूसरे देश के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी करने के बजाय यह बेहतर होता कि पाकिस्तान की भारत के खिलाफ सीमा-पार आतंकवाद की नीति की निंदा की जाती, जो जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए सबसे बड़ा खतरा बनी हुई है.”