अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने की संभावनाओं के बीच यूक्रेन ने रुस से शांति वार्ता के लिए हामी भरी है. यूक्रेन ने ये भरोसा, रुस के मित्र-देश चीन को दिया है. इनदिनों यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा चीन के आधिकारिक दौरे पर हैं.
बुधवार को कुलेबा ने चीन के विदेश मंत्री वांग यी से गुआंगझू में मुलाकात की. इस दौरान कुलेबा ने कहा कि यूक्रेन बातचीत के लिए तैयार है बर्शते रुस के इरादे भी सही हैं. हालांकि, कुलेबा ने बातचीत के दौरान ये जरुर कहा कि फिलहाल रुस के इरादे नेक नहीं लग रहे हैं.
दरअसल, पिछले महीने स्विट्जरलैंड में हुई पीस समिट में चीन ने हिस्सा नहीं लिया था. चीन के हिस्सा न लेने का कारण ये था कि रुस को शिखर सम्मेलन में आमंत्रित नहीं किया गया था. ऐसे में पीस समिट के जरिए कुछ खास हाथ नहीं लगा था. इस बीच चीन और ब्राजील ने भी रुस-यूक्रेन समाप्त करने के लिए पहल की है. यही वजह है कि यूक्रेन के विदेश मंत्री युद्ध शुरु होने के बाद पहली बार चीन की यात्रा पर गए हैं.
स्विट्जरलैंड में पहली पीस समिट की असफलता को देखते हुए यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने अगली शांति वार्ता किसी ग्लोबल-साउथ के देश में करने की पेशकश की है. ऐसा इसलिए ताकि रुस भी शिखर सम्मेलन में हिस्सा ले सके. ऐसे में कुलेबा का चीन दौरा अहम माना जा रहा है.
चीन और रुस की दोस्ती दुनिया से छिपी नहीं रही है. अमेरिका सहित पश्चिमी देशों को पूरा अंदेशा है कि रुस को हथियार और सैन्य उपकरणों बनाने में चीन बड़ी मदद कर रहा है. चीन की मदद के चलते ही रुस ने युद्ध को 29 महीनों तक खींच लिया है. हालांकि, चीन और रुस, दोनों ही इस तरह के किसी समझौते से साफ इंकार करते आए हैं.
यूक्रेन इसलिए भी युद्ध जल्द से जल्द समाप्त करना चाहता है क्योंकि इसी साल अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव होने जा रहे हैं. चुनाव में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के जीतने का प्रबल अंदेशा है. मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन पहले ही अपनी उम्मीदवारी से नाम वापस ले चुके हैं. ट्रंप को जेलेंस्की एक आंख नहीं सुहाते हैं. जेलेंस्की को सेल्समैन करार दे चुके ट्रंप साफ कह चुके हैं कि राष्ट्रपति बनने के बाद वे यूक्रेन को युद्ध लड़ने के लिए जरा भी मदद नहीं करेंगे. हाल ही में बाइडेन प्रशासन ने यूक्रेन को 68 बिलियन डॉलर की मदद दी है.
वहीं रुस ने यूक्रेन के डोनबास इलाके को अपने फेडरेशन में शामिल करने के बाद अब पूर्वी इलाकों में जमीनी हमले शुरु कर दिए हैं. रुस की सेना लगातार बेलगोरोड से सटे खारकीव क्षेत्र में हमले कर रही है. ऐसे में यूक्रेन के सामने शांति के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं दिखाई पड़ रहा है. साफ है कि आने वाले दिनों में जेलेंस्की को शांति के लिए अपनी शर्ते भी ताक पर रखनी पड़ सकती हैं. जेलेंस्की का अभी तक मानना था कि जब तक रुस, डोनबास और क्रीमिया को खाली नहीं कर देता है, बातचीत संभव नहीं है.