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गर्व से बोलें हिंदी, संयुक्त राष्ट्र ने मानी वैश्विक आवाज

वाह! ये तो कमाल ही हो गया! हिंदी अब वैश्विक आवाज बनेगी. क्योंकि, भारत और संयुक्त राष्ट्र ने हिंदी में समाचार प्रसारित करने और हिंदी भाषा के जरिये लोगों के बीच पहुंच बढ़ाने संबंधी एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.

संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी हरीश और संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक संचार विभाग की अवर महासचिव मेलिसा फ्लेमिंग ने भारत के स्थायी मिशन में आयोजित एक समारोह में ये समझौता किया.

‘हिंदी@संयुक्त राष्ट्र’ परियोजना पर समझौता

एक अप्रैल 2025 से 31 मार्च 2030 तक पांच साल की अवधि के लिए ‘हिंदी@संयुक्त राष्ट्र’ परियोजना को नवीनीकृत करने वाले समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं.

भारत सरकार ने इस कार्यक्रम के लिए पांच वर्षों के लिए प्रति वर्ष 15 लाख अमेरिकी डॉलर देने पर सहमति जताई है. इस परियोजना को संयुक्त राष्ट्र के लोक सूचना विभाग के सहयोग से 2018 में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य हिंदी भाषा के जरिए संयुक्त राष्ट्र की सार्वजनिक पहुंच को बढ़ाना और दुनिया भर के लाखों हिंदी भाषी लोगों में वैश्विक मुद्दों के बारे में अधिक जागरुकता फैलाना है.

सोशल मीडिया में हिंदी में संदेश प्रसारित करने पर फोकस: मेलिसा फ्लेमिंग 

संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक संचार विभाग की अवर महासचिव मेलिसा फ्लेमिंग ने वर्तमान समय में सोशल मीडिया के महत्व पर जोर दिया और सोशल मीडिया के उपयोग को अधिकतम कर कार्यक्रम के माध्यम से हिंदी में संदेश प्रसारित करने के डीजीसी के प्रयासों पर ध्यान केंद्रित किया.

इस मौके पर अवसर पर यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी.हरीश ने कहा कि “समझौता ज्ञापन का नवीनीकरण भारत सरकार की हिन्दी को अधिक से अधिक महत्व देने की प्रतिबद्धता का प्रमाण है, जिसमें संयुक्त राष्ट्र में गैर-आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में इसे शामिल करना शामिल है.”

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