अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की घोषणा के बाद अब यूएस आर्मी ने ट्रांसजेंडर सैनिकों की भर्ती पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा दिया है. साथ ही यूएस सोल्जर्स के जेंडर बदलने की प्रक्रिया पर भी सेना ने तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है.
यूएस आर्मी ने ट्रांसजेंडर की भर्ती पर रोक और सैनिकों को जेंडर बदलने में मदद करने पर पर रोक लगाने हेतु आधिकारिक बयान जारी किया है. यूएस आर्मी में फिलहाल 15 हजार ट्रांसजेंडर तैनात हैं.
20 जनवरी यानी जिस दिन ट्रंप ने शपथ ग्रहण ली थी, उस दिन ही घोषणा की थी कि अमेरिका में सिर्फ दो तरह के लोग होंगे, महिला या फिर पुरुष. तीसरा कॉलम (ट्रांसजेंडर) खत्म हो जाएगा.
ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान भी ट्रांसजेंडर सैनिकों पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की थी, लेकिन लीगल एक्शन के चलते प्रतिबंध लागू नहीं हो पाया था.
घातक लड़ाकू सेना से ट्रांसजेंडर विचारधारा खत्म करेंगे: ट्रंप
ट्रंप ने ट्रांसजेंडर लोगों को सेना में अनुमति ना देने के अपने विरोध को दोहराते हुए कहा है, “यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमारे पास दुनिया की सबसे घातक लड़ाकू शक्ति है, हम अपनी सेना से ट्रांसजेंडर विचारधारा को पूरी तरह से बाहर निकाल देंगे. सेना से ऐसे विचारधारा को खत्म करने की जरूरत है. ये समझना पड़ेगा कि जन्म से सिर्फ दो ही जेंडर हैं.”
ट्रंप ने अपने आदेश में कहा था कि ‘महिला और पुरुष के अलावा कोई दूसरे लिंग रूप में पहचाने जाने वाले सैनिकों द्वारा की गई सेवा “एक सैनिक की सम्मानजनक, सत्यनिष्ठ और अनुशासित जीवनशैली के प्रति प्रतिबद्धता के साथ टकराव करती है, यहां तक कि उसके निजी जीवन में भी और सैन्य तैयारी के लिहाज से भी हानिकारक है, इसलिए इस मामले में एक संशोधित नीति की जरूरत है.” (https://x.com/USArmy/status/1890490320313286788)
अमेरिका सेना में एलजीबीटी समुदाय पर भी लटकी तलवार
आंकड़ों के मुताबिक, यूएस आर्म्ड फोर्सेज में करीब 15 हजार ट्रांसजेंडर कार्यरत हैं. ट्रंप के “ट्रांसजेंडर विचारधारा” को खत्म करने के फैसले से सशस्त्र बलों से एलजीबीटीक्यू समुदाय के सदस्यों को भी हटाया जा सकता है. अमेरिकी सेना में 20 लाख सैनिक हैं.
अमेरिकी सेना में ट्रांसजेंडर्स पर रहा है लंबा विवाद
अमेरिका में ट्रांसजेंडर सेवा सदस्यों पर प्रतिबंध पहली बार साल 2016 में तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा के प्रशासन के दौरान हटा दिया गया था. इसके बाद एलजीबीटीक्यू समुदाय के लोगों को खुले तौर पर सेवा करने की अनुमति मिल गई और साल 2017 में सेना में ट्रांसजेंडर भर्ती शुरु हो गई.
अपने पहले कार्यकाल (2016-20) के दौरान ट्रंप ने ट्रांसजेंडर्स पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश की, लेकिन कानूनी लड़ाई के चलते प्रतिबंध नहीं लगाया जा सका. बाइडेन प्रशासन में ट्रांसजेंडर्स के लिए कोई मुश्किल नहीं आई.
राष्ट्रपति बनने के बाद अपने पहले ही भाषण में डोनाल्ड ट्रंप ने हालांकि, अपना इरादा साफ कर दिया कि देश में सिर्फ मेल या फीमेल हो सकते हैं, तीसरा जेंडर नहीं होगा.
ट्रंप के विरोध में बोलीं बिशप, ट्रंप ने बताया उबाऊ
शपथ ग्रहण के अगले दिन यानी 21 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप ने नेशनल कैथेड्रल चर्च में एक प्रार्थना में हिस्सा लिया था. इस दौरान एपिस्कोपल बिशप मैरिएन एडगर बुडे ने ट्रंप से समलैंगिक समुदाय (ट्रांसजेंडर्स) और अवैध प्रवासियों पर दया करने की अपील की थी. बिशप मैरिएन ने कहा, “ऐसी बातें न कहें जिसके लिए आपको पछताना पड़े.”
बिशप का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद अमेरिका में विवाद शुरु हो गया. ट्रंप की बेटी टिफनी ने बिशप के बयान को पागलपन बताया. वहीं, ट्रंप ने कहा कि उनका भाषण काफी उबाऊ और प्रेरणा हीन था.