Breaking News Geopolitics Indo-Pacific

यूक्रेन के बाद ताइवान की बारी, क्या अमेरिका देने वाला है झटका

क्या यूक्रेन के बाद ताइवान को भी अधर में छोड़न की तैयारी में है अमेरिका. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ ऐसा ही इशारा किया है. जिस अमेरिका के बल पर चीन को आंख दिखा रहा था ताइवान, क्या चीन के सामने मुश्किलों में पड़ने वाला है? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि अमेरिकी विदेश विभाग की वेबसाइट से ये ‘अमेरिका, ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन नहीं करता है,’ हटाने के बाद ट्रंप भी चीन के खिलाफ ताइवान के समर्थन की बात कहने से आनाकानी करते दिखे हैं.

डोनाल्ड ट्रंप ने ताइवान पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा, कि उनके “चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से अच्छे संबंध हैं.”

डोनाल्ड ट्रंप देंगे ताइवान को झटका, छोड़ देंगे अकेला?

रूस के साथ संबंध सुधारने की कोशिश में जुटे डोनाल्ड ट्रंप ने शी जिनपिंग को अपना अच्छा मित्र बताते हुए चीन के साथ भी संबंध सुधारने के संकेत दिए हैं. ताइवान पर जब डोनाल्ड ट्रंप से पूछा गया कि क्या यह उनकी नीति है कि उनके पद पर रहते हुए चीन कभी भी ताइवान पर बलपूर्वक कब्जा नहीं करेगा, तो राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, “मैं इस पर टिप्पणी नहीं करता क्योंकि मैं कभी भी खुद को उस स्थिति में नहीं रखना चाहता. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मेरे अच्छे संबंध हैं. 

ट्रंप का ये बयान ताइवान के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि अब तक अमेरिकी मदद के सहारे ताइवान, चीन के खिलाफ अपनी संप्रभुता के लिए लड़ रहा था. ट्रंप के बयान से इस तरह के भी संकेत मिले हैं, कि जिस तरह से अमेरिका, यूक्रेन को दरकिनार करते हुए रूस से सीधे डील कर रहा है, भविष्य में ताइवान के मुद्दे पर भी चीन से डायरेक्ट बातचीत हो सकती है, जो ताइवान के लिए बड़ा खतरा और झटका दोनों है. 

‘हम ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन नहीं करते,’ विदेश विभाग ने हटाई लाइन

अमेरिकी विदेश विभाग ने इस महीने की शुरुआत में अपनी वेबसाइट से यह वाक्य हटा दिया था कि “अमेरिका, ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन नहीं करता.” पिछले सप्ताह ताइवान के साथ अमेरिकी संबंधों पर अपनी ऑनलाइन फैक्ट शीट में अपडेट किया है. जबकि जो बाइडेन प्रशासन के दौरान हमेशा अमेरिका, ताइवान के पीछे खड़ा रहा है. हालांकि अमेरिका, ताइवान को औपचारिक तौर पर एक स्वतंत्र राष्ट्र नहीं मानता है. 

दरअसल चीन हमेशा से ताइवान को अपना हिस्सा बताता रहा है. चीन के पैरों में बेड़ियां डालने के लिए अमेरिका लंबे समय से ताइवान का समर्थक रहा है. अमेरिका, ताइवान को बड़े पैमाने पर हथियार भी देता है. हालांकि, ताइवान को अमेरिका से कूटनीतिक तौर पर मान्यता मिली है. 

ताइवान के मुद्दे पर मार्को रुबियो को चीनी विदेश मंत्री ने दी वार्निंग

ताइवान को लेकर चल रही तनातनी के बीच अमेरिकी विदेश सचिव मार्को रूबियो ने चीनी समकक्ष वांग यी से जनवरी में फोन पर लंबी बातचीत की थी. इस बातचीत में चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने मार्को रूबियो को कहा है, “हम ताइवान को कभी भी चीन से अलग नहीं होने देंगे. वाशिंगटन को अपनी ‘वन चाइना पॉलिसी’ का पालन करने के अपने वादे से विश्वासघात नहीं करना चाहिए, क्योंकि अमेरिका ने ‘वन चाइना’ को लेकर अपनी कमिटमेंट दी थी.” 

वांग यी के बयान पर सख्ती दिखाते हुए रूबियो ने कहा था कि अमेरिका, “ताइवान और फिलीपींस की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं. बीजिंग के जबरदस्त फैसले गंभीर चिंता का विषय है.” 

बीजिंग-ताइपे में तनाव, चीन का लाइव फायर ड्रिल, ताइवान ने भेजी सेना 

चीन और ताइवान के बीच एक बार फिर तनाव बढ़ गया है. चीन की ओर से ताइवान के पास ‘लाइव फायर’ ड्रिल की घोषणा के बाद ताइवान ने अपनी सेना की तैनाती की.

ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने चीन के इन अभ्यासों को ‘खतरनाक’ करार देते हुए कड़ी निंदा की है. चीन ने ताइवान के चारों ओर 32 सैन्य विमान तैनात किए हैं और द्वीप के दक्षिण में लगभग 40 समुद्री मील (74 किमी) की दूरी पर ‘लाइव फायर’ अभ्यास शुरू किया है, जिसके बाद ताइवान ने अपनी तीनों सेनाओं को अलर्ट रहने के लिए कहा है.

editor
India's premier platform for defence, security, conflict, strategic affairs and geopolitics.