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सिर्फ भारत क्यों जाएं…पुतिन को इंडोनेशियाई राष्ट्रपति ने दिया न्योता

केवल भारत ही क्यों जाइए, कभी हमारे देश भी आइए. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ये गुजारिश की है इंडोनेशियाई राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो ने. 

इंडोनेशिया के राष्ट्रपति मॉस्को के दौरे पर हैं, इस दौरान रूसी राष्ट्रपति पुतिन को सुबियांतो ने इंडोनेशिया आने का न्योता दिया. सुबियांतो ने मजाकिया अंदाज में कहा भारत इकलौता देश नहीं होना चाहिए, जहां की पुतिन यात्रा करते हैं. सुबियांतों की इस बात पर पुतिन अपनी हंसी नहीं रोक पाए. 

आपको बता दें मुस्लिम देश इंडोनेशिया और भारत के भी गहरे संबंध हैं. साल 2025 में भारत के गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि भी राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो ही थे. पीएम मोदी को राष्ट्रपति सुबियांतो बेहद पसंद करते हैं.  

भारत का नाम लेकर इंडोनेशियाई राष्ट्राध्यक्ष ने अनोखे अंदाज में पुतिन को दिया न्योता

सुबियांतो ने पुतिन से मास्को में मुलाकात की है, जो साल भर के अंदर दोनों नेताओं की दूसरी बैठक थी. प्रबोवो सुबियांतो ने रूसी राष्ट्रपति को साल 2026 या 2027 में अपनी सुविधानुसार इंडोनेशिया आने का न्योता दिया. 

इस दौरान उन्होंने पुतिन की हाल में ही हुई नई दिल्ली की यात्रा का भी जिक्र किया. सुबियांतो ने पुतिन से कहा, “इस मौके का फायदा उठाते हुए मैं आपको अपनी सुविधा के अनुसार इंडोनेशिया आने का न्योता देना चाहता हूं. शायद यह 2026 या 2027 में हो सकता है, क्योंकि भारत ही इकलौता देश नहीं होना चाहिए जहां आप यात्रा करें.”

इंडोनेशियाई राष्ट्रपति सुबियांतो की बात सुनकर हंस पड़े ट्रंप

राष्ट्रपति सुबियांतों की बात सुनते ही पुतिन ने मुसकुराते हुए जवाब दिया कि “हां बिलकुल. मैं आऊंगा.”

आपको बता दें कि इंडोनेशियाई राष्ट्रपति की रूस यात्रा, पुतिन के नई दिल्ली से लौटने के कुछ ही दिनों के बाद हुई है. पुतिन का भारत में भव्य स्वागत हुआ था. प्रोटोकॉल तोड़ते हुए खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने एयरपोर्ट पहुंचकर रूसी राष्ट्रपति को रिसीव किया था. 

भारत में पुतिन ने पीएम मोदी के साथ वैश्विक मुद्दों के साथ-साथ भारत-रूस के संबंधों पर व्यापक चर्चा की थी. इस यात्रा को विशेष रूप से इसलिए भी अहम माना गया, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर रूसी तेल खरीदने के कारण 50 प्रतिशत के भारी शुल्क लगाया है, लेकिन पुतिन के भारत दौरे से बिना कुछ कहे हुए ही अमेरिका और यूरोप को जवाब मिल चुका है कि भारत-रूस एक दूसरे को प्राथमिकता देते हैं. 

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