लंबे विवाद के बाद आखिरकार यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने अपने सेना प्रमुख को बर्खास्त कर दिया है. रुस के खिलाफ काउंटर-ऑफेंसिव को लेकर जेलेंस्की का जनरल वलेरी ज़ालुज्हनी से विवाद चल था. नए सेना प्रमुख के तौर पर ऑलेक्जेंडर सिर्स्की को चुना गया है जिन्हें युद्ध के शुरुआती हफ्तों के दौरान राजधानी कीव को रूसी सेना के अटैक से बचाने का श्रेय दिया जाता है.
दरअसल, कुछ महीने पहले ज़ालुज्हनी ने एक लेख लिखकर कह दिया था कि रुस और यूक्रेन के बीच दो साल से चल रहे युद्ध में स्टेलमेट आ गया है. यानी अब युद्ध में हार-जीत का फैसला आना बेहद मुश्किल है. अपने जनरल के इस बयान से जेलेंस्की बेहद नाराज हो गए थे. यहां तक की ज़ालुज्हनी के करीबी मिलिट्री ऑफिसर्स तक को निशाना बनाया जाने लगा था. हाल के दिनों में ज़ालुज्हनी की लोकप्रियता काफी बढ़ने लगी थी.
ज़ालुज्हनी का मानना था कि रुस के खिलाफ यूक्रेनी सेना द्वारा चलाया गया काउंटर-ऑफेंसिव यानी जवाबी कारवाई असफल रही है. लेकिन जेलेंस्की अपने हथियार डालने के लिए तैयार नहीं थे. ऐसे में यूक्रेनी सैनिकों को जबरदस्त नुकसान हो रहा था. वहीं पुतिन के नेतृत्व में रुसी सेना पूरी तरह डोनबास के इलाके को अपने देश में मिला चुकी है. डोनबास की सीमा पर रुसी सेना की किलेबंदी से यूक्रेनी सेना आगे नहीं बढ़ पा रही है.
यही वजह है कि जेलेंस्की ने ज़ालुज्हनी को बर्खास्त कर जनरल सिर्स्क्री को नया सेना प्रमुख बनाया है. जानकारी के मुताबिक, जब दो साल पहले रुस ने यूक्रेन पर हमला किया था तो कीव की सुरक्षा की जिम्मेदारी सिर्स्क्री के हवाले थी. कहा जाता है कि यूक्रेनी सेना की मोर्चाबंदी को देखते हुए ही रूसी सेना के पांव उखड़ गए थे और राजधानी कीव पर हमला नहीं किया था. बाद में सिर्स्की को खारकीव में तैनात किया गया था. वहां भी यूक्रेनी आर्म्ड फोर्सेज ने रुस का डटा मुकाबला किया था. अभी भी यूक्रेनी सेना खारकीव से सटे रुस के बेलगोरोड में हमले करती रहती है.
गौरतलब है कि दस दिन बाद रूस-यूक्रेन युद्ध को पूरे दो साल होने जा रहे हैं. 22 फरवरी 2022 को रुस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ स्पेशल मिलिट्री ऑपरेशन का ऐलान किया था. युद्ध के दौरान यूक्रेन अपना एक चौथाई हिस्सा रुस को खो चुका है. यूक्रेन के 50 लाख लोग विस्थापित हो चुके हैं. बड़ी संख्या में यूक्रेन के नागरिक यूरोप और रुस में शरणार्थी बनकर जीने के लिए मजबूर हैं. लेकिन युद्ध रुकने का नाम नहीं ले रहा है.
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