इजरायल-हमास युद्ध के बीच भारतीय सेना इजरायली हर्मीस स्टारलाइनर ड्रोन को अपने बेड़े में शामिल करने के लिए तैयार है. खास बात ये है कि ‘मेक इन इंडिया’ के तहत इन सर्विलांस ड्रोन को अडानी कंपनी ने हैदराबाद में तैयार किया है. ऐसे में इजरायल-हमास युद्ध का कोई खास असर सेना को होने वाली सप्लाई पर नहीं पड़ेगा.
डिफेंस और सुरक्षा तंत्र से जुड़े सूत्रों ने ‘‘टीएफए‘ को बताया कि “अगले साल से स्वदेशी हर्मीस स्टारलाइनर रिमोटली पायलेटेड एयरक्राफ्ट सिस्टम (आरपीएएस) की सप्लाई भारतीय सेना को शुरू हो जाएगी.” हालांकि, कितने हर्मीस आरपीएएस भारतीय सेना लेने जा रही है और कितने का ये करार हुआ है इस बारे में सूत्रों ने सुरक्षा कारणों से जानकारी साझा करने से इंकार कर दिया है. लेकिन इतना जरूर बताया कि “अगले 4-5 साल में सभी हर्मीस भारतीय सेना को सप्लाई कर दिए जाएंगे.” सूत्रों ने साफ किया कि भले ही “हर्मीस के कुछ स्पेयर पार्ट्स इजरायल से इम्पोर्ट किए जाएंगे लेकिन हमास युद्ध का असर सप्लाई पर नहीं पड़ेगा.”
हर्मीस आरपीएएस को इजरायल की ‘एल्बिट सिस्टम्स’ नाम की कंपनी ने तैयार किया है. एल्बिट ने वर्ष 2018 में ‘अडानी डिफेंस एंड एयरोस्पेस’ कंपनी के साथ हर्मीस स्टारलाइनर ड्रोन भारत में ही बनाने को लेकर करार किया था. इसके तहत अडानी डिफेंस ने हैदराबाद में एक बड़ा यूएवी कॉम्प्लेक्स तैयार किया है जो 50 हजार स्क्वायर फीट के एरिया में फैला हुआ है.
पिछले साल यानि वर्ष 2022 में डिफेंस एक्सपो के दौरान अडानी डिफेंस ने भारतीय सेना (थलसेना, वायुसेना और नौसेना) के लिए हर्मीस यूएवी बनाने की पेशकश की थी. माना जा रहा है कि उसके बाद ही रक्षा मंत्रालय और अडानी डिफेंस के बीच इन खास ड्रोन को लेकर करार हुआ है. भारतीय सेना की एविएशन कोर (आर्मी-एविएशन) इन ड्रोन को देश की सरहदों की निगहबानी के लिए इस्तेमाल करेगी.
हर्मीस 900 आरपीएएस का निर्माण इजरायल ने वर्ष 2009 में किया था. हर्मीस स्टारलाइनर उसका ही वर्जन है जो खास ‘मेक इन इंडिया’ के तहत भारत में बनाया जा रहा है. हर्मीस एक सर्विलांस और रिकोनिसेंस आरपीएएस है जिसे इजरायल की सेना के अलावा अजरबैजान और ब्राजील जैसे देशों की सेनाएं भी इस्तेमाल करती हैं.
ये भी इजरायल के हेरोन ड्रोन की तरह मीडियम ऑल्टिट्यूड लॉन्ग एंडेयूरेंस (एमएएलई-‘मेल’) सिस्टम है जो 36 घंटे तक नॉन-स्टॉप उड़ान भर सकता है. करीब 30 हजार फीट की ऊंचाई पर फ्लाई करने वाला हर्मीस ऑल-वेदर ड्रोन है और 450 किलो तक का पेलोड उठा सकता है. करीब 1600 किलो के इस ड्रोन को आर्म्ड भी किया जा सकता है यानि कॉम्बेट ड्रोन की तरह भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
हर्मीस बनाने वाली कंपनी एल्बिट के मुताबिक, ये एक मल्टी-मिशन और मल्टी सेंसर ओवर द होराइजन क्षमताओं वाला यूएवी है जिसमें मल्टीपल सेंसर लगे हैं. ये लेजर डेजिग्नेटर इलेक्ट्रो ऑप्टिकल मार्कर से लैस है. इसके अलावा हेरोन की तरह ही इलइन्ट (इलेक्ट्रोनिक इंटेलिजेंस) और कॉमिन्ट (कम्युनिकेशन इंटेलिजेंस) से भी सुसज्जित है. हर्मीस में एसएआर रडार के अलावा एमपीआर मेरीटाइम रडार से भी लैस किया जा सकता है.
भारतीय सेना की एविएशन कोर के पास फिलहाल इजरायल के ही हेरॉन ड्रोन हैं जिनका इस्तेमाल सीमाओं की रखवाली के लिए किया जाता है. एविएशन कोर की फिलहाल तीन ब्रिगेड हैं जिनमें से दो चीन सीमा पर तैनात हैं और एक पश्चिमी सीमा यानि पाकिस्तान से सटी सीमा पर तैनात है.
पिछले कुछ साल से भारतीय सेना अपनी एविएशन कोर को मजबूत करने में जुटी है. हर्मीस के अलावा अमेरिका से लिए जाने वाले एमक्यू-9 प्रीडेटर ड्रोन भी जल्द ही एविएशन कोर को मिल सकते हैं. माना जा रहा है कि भारत और अमेरिका जल्द ही 31 ऐसे प्रीडेटर ड्रोन के लिए करार कर सकते हैं. इनमें से 15 प्रीडेटर भारतीय नौसेना को मिलेंगे जबकि बाकी 8-8 वायुसेना और थल-सेना को मिलेंगे.
भारतीय सेना की एविएशन कोर में स्वदेशी एएलएच-डब्लूएसआई कॉम्बेट हेलीकॉप्टर और लाइट कॉम्बेट हेलीकॉप्टर (एलसीएच) प्रचंड भी शामिल हैं. जल्द ही एविएशन कोर को अमेरिका के अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर भी मिलने जा रहे हैं.