इजरायल-हमास जंग को पूरा एक महीना हो चुका है और हालात सुधरते हुए नहीं दिखाई पड़ रहे हैं. ऐसे में ईरान ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गाज़ा पर हमला रुकवाने की गुजारिश की है. ठीक वैसी ही अपील जैसे रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की ने की थी. क्योंकि ये पीएम मोदी ही हैं जिन्होंने कहा था कि “ये युग युद्ध का नहीं है.”
युद्धग्रस्त यूरोप हो या फिर मिडिल ईस्ट देश, हर कोई प्रधानमंत्री मोदी और इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू की गहरी दोस्ती से वाकिफ है. ऐसे में इजरायल पर हुए हमले के बाद से फिलिस्तीन के साथ चट्टान की तरह खड़े ईरान के राष्ट्रपति सैयद इब्राहिम रईसी ने पीएम मोदी से फोन पर बात की है. ईरानी राष्ट्रपति और पीएम मोदी ने इजरायल और हमास के बीच चल रहे युद्ध पर विस्तृत चर्चा की.
भारत हमले रोकने में मदद करे: ईरान
ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और पीएम मोदी के साथ फोन पर हुई बातचीत के दौरान गाजा में चल रहे संघर्ष के बारे में बात हुई है. इस दौरान ईरान के राष्ट्रपति ने पीएम मोदी से इजरायली हमलों को रोकने के लिए अपनी सभी क्षमताओं का उपयोग करने की अपील की है. ईरान की ओर कहा गया है कि “आज, भारत से अपेक्षा की जाती है कि वह गाज़ा के उत्पीड़ित लोगों के खिलाफ अपराधों को खत्म करने के लिए अपनी सभी क्षमताओं का उपयोग करेगा.” हालांकि पीएम मोदी ने इजरायल-फिलिस्तीन मुद्दे पर भारत के पुराने रुख को दोहराया है. प्रधानमंत्री कार्यालय यानी पीएमओ ने अपने बयान में बातचीत की जानकारी दी है. पीएमओ के मुताबिक, “प्रधानमंत्री मोदी ने ईरानी राष्ट्रपति से आतंकवादी घटनाओं, हिंसा और आम नागरिकों की मौत पर गहरी चिंता व्यक्त की है.”
चाबहार बंदरगाह के सहयोग का स्वागत
पीएम मोदी और रईसी ने क्षेत्रीय कनेक्टिविटी में सुधार के लिए ईरान में चाबहार बंदरगाह को प्राथमिकता देने का स्वागत किया. ईरानी राष्ट्रपति ने चाबहार बंदरगाह सहित द्विपक्षीय सहयोग में प्रगति की तारीफ की. बयान में कहा गया है कि भारत और ईरान क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और स्थिरता में साझा हित को देखते हुए संपर्क में बने रहने पर सहमत हुए.
मिडिल ईस्ट में तनाव, एक्शन में मोदी
ईरान से पहले पीएम नरेंद्र मोदी इजरायल-हमास संघर्ष को लेकर यूएई, जॉर्डन, और मिस्र के राष्ट्राध्यक्षों से भी फोन पर बात कर चुके हैं. यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद, मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फेतह अल सिसी और जॉर्डन के शाह अब्दुल्ला द्वितीय से बात कर चुके हैं. पीएम मोदी ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से भी बात की है. पीएम मोदी ने युद्ध और मौतों को लेकर गहरी चिंता जताई है.
हमास के साथ ईरान, भारत ‘न्यूट्रल’
ईरान की तरह ही तुर्किए और पाकिस्तान जैसे मुस्लिम देश भी हमास के हिमायती बने हुए हैं. लेकिन इजरायल हमास को खत्म करने की कसम खा चुका है और लगातार गाजा में हवाई और ग्राउंड ऑपरेशन कर रहा है. भारत ने शुरुआत से इजरायल पर हुए हमले की निंदा की है. भारत न तो पूरी तरह से इजरायल के पक्ष में है और ना ही फिलिस्तीन के विरोध में है. पर संयुक्त राष्ट्र में इजरायल के खिलाफ हुई वोटिंग से भारत ने खुद को दूर रखा था.
नेतन्याहू की चेतावनी
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने एक बार फिर कहा है कि आतंक के खिलाफ सभी देशों को एक साथ आना चाहिए नहीं तो अबकी बार यूरोप पर खतरा है.
युद्ध को एक महीना पूरा
7 अक्टूबर को फिलिस्तीन के आतंकी संगठन हमास ने इजरायल के दक्षिणी इलाकों में एक साथ जल, थल और आकाश से हमले किए. योम किपुर त्यौहार की मस्ती में झूम रहे इजरायल पर ये बड़ा आघात था. हमास ने इजरायल की अजेय-सुरक्षा को छिन्न-भिन्न करके रख दिया. दुनिया के सबसे बड़े आतंकी हमले में इजरायल के 250 सैनिकों सहित 1400 लोगों की जान चली गई. हमास के आतंकी 200 इजरायली महिला, बच्चों और बुजर्गों को अपने साथ बंधक बनाकर ले गए. जवाबी कारवाई करते हुए इजरायल की डिफेंस फोर्सेज (आईडीएफ) ने गाज़ा पट्टी में ताबड़तोड़ एरियल अटैक कर हमास की रीढ़ तोड़कर रख दी. इसके बाद आईडीएफ की ग्राउंड फोर्सेज ने गाज़ा के उत्तरी इलाकों में स्वॉर्ड ऑफ आयरन ऑपरेशन छेड़ दिया. पिछले एक महीने में गाज़ा के 10 हजार से ज्यादा लोग मारे गए हैं. इनमें आतंकी संगठन हमास के टॉप कमांडर भी शामिल हैं.
आईडीएफ का मुख्य उद्देश्य गाज़ा मैट्रो में छिपे हमास के कमांडर हैं ताकि उनके कब्जे से इजरायली बंधकों को रिहा कराया जा सके. इस दौरान अमेरिका सहित पूरा यूरोप इजरायल के समर्थन में खड़ा है. जबकि यूएई को छोड़कर पूरा अरब-वर्ल्ड फिलिस्तीन को समर्थन कर इजरायल के खिलाफ खड़ा है. भारत ने आतंकी हमलों की जबरदस्त भर्त्सना की है और विवाद को सुलझाने के लिए ‘टू-स्टेट’ का समर्थन किया है.