जब जी-20 समिट में हिस्सा लेने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भारत आए थे तो आपने उनकी तस्वीरें जरूर देखी होंगी जिसमें वे अपने प्लेन से उतर रहे हैं दिल्ली एयरपोर्ट पर. आपने देखा होगा कि उनके साथ उनका बेटा भी प्लेन से उतर रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ट्रूडो के पिता भी कनाडा के प्रधानमंत्री रह चुके हैं. और जो गलती आज ट्रूडो कर रहे हैं यानि खालिस्तानी आतंकियों के लिए अपने देश को पनाहगाह बनाने की, वो उनके पिता आज से 40 साल पहले कर चुके थे. ऐसी गलती जिसका बड़ा खामियाजा कनाडा को उठाना पड़ा था।
80 के दशक में पंजाब में खालिस्तानी आंदोलन चरम पर था. आए दिन आतंकी हमले और एनकाउंटर होते थे. एक ऐसे ही एनकाउंटर में पंजाब पुलिस के दो अधिकारियों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था. ये एनकाउंटर जिन खालिस्तानी आतंकियों से हुआ था उसमें शामिल था तलविंदर सिंह परमार. बाद में पता चला कि परमार जर्मनी के रास्ते कनाडा भाग गया है. 1982 में भारत ने कनाडा से परमार को प्रत्यापर्ण करने की गुजारिश की यानि परमार को भारतीय एजेंसियों के हवाले कर दिया जाए ताकि उस पर मुकदमा चलाया जा सके. उस वक्त भारत की प्रधानमंत्री थी इंदिरा गांधी और कनाडा के प्रधानमंत्री थे पियरे ट्रूडो ये पियरे ट्रूडो मौजूदा प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के पिता थे. पियरे ट्रूडो ने भी जस्टिन ट्रूडो की तरह एक बड़ी गलती कर दी थी. पियरे ट्रूडो ने इंदिरा गांधी की इस मांग को ठुकराया दिया और तलविंदर सिंह परमार कनाडा में रहने लगा।
ठीक तीन साल बाद यानि 1985 में एयर इंडिया की फ्लाइट 182 जिसे कनिष्क के नाम से भी जाना जाता था बम ब्लास्ट हुआ. ये फ्लाइट कनाडा के मॉन्ट्रियल से बॉम्बे यानि मुंबई जा रही थी. ये फ्लाइटर लंदन के रास्ते जा रही थी. जब ये फ्लाइट अंटलांटिक ओशियन के ऊपर उड़ रही थी इसमें एक जबरदस्त धमाका हुआ. बोइंग 747 का मलबा यूरोपीय देश आइसलैंड के करीब जाकर गिरा. इस बम धमाके के दौरान बोइंग विमान में कुल 329 लोग सवार थे और सभी की मौत हो गई थी. हालांकि, ये भारत की सरकारी एयरलाइन, एयर इंडिया का विमान था, लेकिन इसमे सवार थे कनाडा के 268 नागरिक, 27 ब्रिटिश नागरिक और 24 भारतीय थे. इस घटना को कनिष्क बॉम्बिंग के नाम से भी जाना जाता है।
हैरानी की बात ये है कि कनिष्क बॉम्बिंग की साजिश रची थी खालिस्तानी संगठन बब्बर खालसा ने…और इस बब्बर खालसा का संस्थापक कोई और नहीं तलविंदर सिंह परमार था. वही तलविंदर जिसके प्रत्यापर्ण के लिए कनाडा ने मना कर दिया था. तलविंदर ने कनाडा में रहने वाले एक अन्य आतंकी रिपुदमन सिंह के साथ मिलकर प्लाइट 182 को गिराने की साजिश रची थी. इस साजिश के तहत फ्लाइट के एक बैग में बम रख दिया गया था।
कनाडा की सुरक्षा एजेंसियों ने इस घटना के बाद परमार और रिपुदमन दोनों को गिरफ्तार तो किया लेकिन सबूतों के अभाव में दोनों ही अदालत से छूट गए थे. परमार को हालांकि 1992 में भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने उस वक्त ढेर कर दिया था जब ये पाकिस्तान के जरिए एक बार फिर पंजाब में दाखिल होने की फिराक में था. रिपुदमन सिंह को पिछले साल बिल्कुल ठीक सुना आपने, जुलाई 2022 में कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया के सरे इलाके में गोली मारकर ढेर कर दिया गया था. उस वक्त रिपुदमन की उम्र करीब 75 साल थी।
खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर जिसकी हत्या को लेकर कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो ने भारत से दुश्मनी ली है उसकी हत्या भी इसी साल जून के महीने में इसी सरे के एक गुरुद्वारे के बाहर कर दी गई थी. जिस तरह निज्जर और दूसरे खालिस्तानी आतंकियों की भारत विरोधी गतिविधियों के बारे में भारत की एजेंसियों कनाडा को लगातार जानकारी दी रही थी और ऐसा करने से रोकने के लिए कनाडा की एजेंसियों से आग्रह कर रही थी, ठीक वैसा ही कनिष्क बॉम्बिंग से पहले कनाडा की एजेंसियों को आगाह किया गया था. लेकिन कनाडा की सिक्योरिटी और इंटेलिजेंस एजेंसियों ने कोई कारवाई नहीं की थी, जिसका नतीजा कनाडा के 268 नागरिकों की मौत के जरिए उठाना पड़ा. कई साल बाद कनिष्क बॉम्बिंग की जांच के लिए गठित कनाडा के आयोग तक ने कनाडा की उस वक्त की सरकार और पुलिस की जमकर आलोचना की थी. इसलिए की जो इंटल-अलर्ट दिए गए थे उन्हें कनाडा ने नजरअंदाज किया था।
ठीक वैसे ही स्थिति आज एक बार फिर कनाडा में आ गई है. कनाडा में फल-फूल रहे खालिस्तानी आतंकी वहां रह रहे भारतीय नागरिकों से बदला लेने की धमकी दे रहे हैं. यही वजह है कि भारतीय उच्चायोग ने कनाडा में रह रहे भारतीयों के लिए खास एडवाइजरी जारी की है. पंजाब में ऑपरेट करने वाले गैंगस्टर कनाडा में पनाह ले रहे हैं और खालिस्तान आंदोलन से जुड़ गए हैं. 20 सितंबर को ही एनआईए ने ऐसे ही 40 गैंगस्टर-आतंकियों के एक लंबी लिस्ट जारी की थी अगले दिन ही एक ऐसे ही आतंकी सुखदोल सिंह की गैंगवार में हत्या कर दी गई. इस हत्या की लॉरेंस विश्नोई गैंग ने ली है।
ऐसे में ऐसा लगने लगा है कि खालिस्तानी आतंकियों की भारतीयों के खिलाफ ये आग कनाडा को ही जलाकर न राख कर दे. क्या जस्टिन ट्रूडो के कान पर कोई जूं रेंग रही है या नहीं।
(नीरज राजपूत देश के जाने-माने डिफेंस जर्नलिस्ट हैं और हाल ही में रूस-यूक्रेन युद्ध पर उनकी पुस्तक ‘ऑपरेशन Z लाइव’ (प्रभात प्रकाशन) प्रकाशित हुई है.)