इजरायल-हमास और रुस-यूक्रेन जंग के बीच दक्षिण चीन सागर में भी तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है. सोमवार को चीन ने फिलीपींस के एक युद्धपोत को दक्षिण चीन सागर में दाखिल होने से रोकने के लिए अपनी नौसेना और वायुसेना को मैदान में उतार दिया. जिस वक्त ये तनातनी चल रही थी, भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बिना चीन का नाम लिए कहा कि समंदर में ‘जिसकी लाठी उसी की भैंस’ वाली व्यवस्था नहीं चलेगी.
चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की साउथ थिएटर कमांड ने बताया कि सोमवार को फिलीपींस के एक कोर्वेट (युद्धपोत) ने बिना इजाजत के हुंयागयेन आइलैंड की समुद्री-सीमा में गैर-कानूनी तरीके से दाखिल होने की कोशिश की. ऐसे में साउथ कमांड ने अपने नेवल और एयर फोर्सेज को इस युद्धपोत को रोकने के लिए भेजा. नेवल और एयर फोर्सेज ने फिलीपींस के उस जहाज को “ट्रैक किया, मॉनिटर किया, चेतावनी दी और फिर उसका मार्ग ब्लॉक कर दिया.”
चीन की पीएलए की इस कारवाई पर फिलीपींस की तरफ से फिलहाल कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. लेकिन ये कोई पहला ऐसा मामला नहीं है जब चीन और फिलीपींस की सेनाएं आमने सामने आई हैं. पिछले हफ्ते ही चीन की कोस्टगार्ड के एक जहाज ने फिलीपींस की एक सप्लाई बोट को टक्कर मारकर रोक दिया था. इस घटना के बाद फिलीपींस ने कड़े शब्दों में चीन की भर्त्सना की थी.
फिलीपींस का द्वितीय विश्वयुद्ध का एक युद्धपोत ‘सिएरा माद्रे’ दक्षिण चीन सागर में सेकंड थॉमस शोअल में धंसा हुआ है. फिलीपींस की नौसेना इस स्क्रैप शिप को नेवल बेस के तौर पर इस्तेमाल करती है. वहां तैनात सैनिकों के लिए जो रसद या दूसरी सप्लाई जाती है तो चीन के जहाज उसमें अड़ंगा लगाने की कोशिश करते हैं.
चीन इस बात से भी खफा है कि फिलीपींस ने इसी साल जनवरी के महीने में भारत के साथ सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का सौदा किया था. फिलीपींस ने भारत से ये ब्रह्मोस मिसाइल अपने समुद्री-तटों की सुरक्षा के लिए भारत से खरीदी हैं. सोमवार की घटना को लेकर चीन ने फिलीपींस को अमेरिका की गोद में बैठने को लेकर निशाना साधा. चीन ने फिलीपींस को इस तरह की उकसावे की कारवाई के लिए जिम्मेदारी ठहराया. चीन ने फिलीपींस पर आरोप लगाया कि वो (फिलीपींस) इस तरह की कारवाई “अमेरिका का ध्यान खींचने के लिए कर रहा है या फिर अमेरिका के बहकावे में आकर ऐसा कर रहा है.”
चीन के मुखपत्र ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने तो इस घटना को लेकर ये तक धमकी दे डाली कि इस तरह की उकसावे की कारवाई ‘बैकफायर’ कर सकती है क्योंकि “अमेरिका उसका इस्तेमाल कर रहा है और कभी भी फिलीपींस के हितों के लिए लड़ने नहीं आएगा.”
सोमवार की घटना ऐसे समय में आई है जब 24 अक्टूबर को ही चीन के एक जे-11 फाइटर जेट ने दक्षिण चीन सागर की एयर-स्पेस में उड़ान भर रहे अमेरिका के एक बी-52 बॉम्बर को तेज रफ्तार और खतरनाक मैनुवर से धमकाने की कोशिश की थी. अमेरिका की इंडो-पैसिफिक कमांड ने घटना का वीडियो जारी कर चीन से इस तरह की कारवाई न करने की चेतावनी दी थी. कमांड ने बयान जारी कर कहा था कि “पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चायना (पीआरसी) पायलट ने अ-सुरक्षित और गैर-पेशेवर तरीके से उड़ान भरी, अनियंत्रित अत्यधिक गति से करीब आकर, बी-52 के नीचे, सामने और 10 फीट के भीतर उड़ान भरकर खराब हवाई कौशल का प्रदर्शन किया, जिससे दोनों विमान खतरे में पड़ गए और टक्कर हो सकती थी.”
हाल ही में अमेरिकी रक्षा विभाग (पेंटागन) ने एक रिपोर्ट में बताया था कि 2021 से लेकर अब तक चीन के फाइटर जेट 180 बार इस तरह की खतरनाक उड़ान भर चुके हैं. पेंटागन की ‘चाइना मिलिट्री पावर रिपोर्ट’ (सीएमपीआर) में चीन के पायलट्स के “असुरक्षित, गैर-पेशेवर और ऐसे व्यवहार के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई थी जिससे अमेरिका और अन्य देशों की सुरक्षित रूप से हवाई संचालन करने की क्षमता में बाधा डालने की कोशिश की जाती है.” इस रिपोर्ट के साथ ही पेंटागन ने कई ऐसे डि-क्लासीफाइड तस्वीरें और वीडियो भी जारी किए थे जिसमें दिखाया गया था कि ईस्ट और साउथ चायना सी में चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) इंटरनेशनल एयर-स्पेस में अमेरिका के एयरक्राफ्ट के खिलाफ खतरनाक ऑपरेशन करते हैं.
दरअसल, चीन नहीं चाहता है कि साउथ चायना सी में किसी भी दूसरा देश का युद्धपोत दाखिल हो. यहां तक की एयर-स्पेस में भी किसी देश के मिलिट्री एयरक्राफ्ट को आने की इजाजत देता है. क्योंकि पूरे साउथ चायना सी को चीन अपनी जागीर मानता है. यहां तक की दक्षिण-पूर्व एशियाई देश फिलीपींस, ब्रुनेई, इंडोनेशिया, मलेशिया और वियतनाम के स्पेशल इकोनोमिक जोन को भी अपना बताता है. चीन ने वर्ष 2016 के इंटरनेशनल कोर्ट के उस फैसले को भी मानने से इंकार कर दिया है जिसमें चीन के ऐसे किसी भी दावे को खारिज कर दिया गया था. लेकिन एक बड़ी नौसेना और सुपर-पावर होने के चलते वो अपनी मनमानी करने पर उतारू है.
अमेरिका और भारत जैसे देश चीन की इस दादागिरी का जमकर विरोध कर रहे हैं. सोमवार को भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने साफ तौर से कहा कि “एक स्वतंत्र, खुली और नियम आधारित समुद्री व्यवस्था हम सभी के लिए प्राथमिकता है.”
गोवा मेरीटाइम कॉन्क्लेव (जीएमसी) में बोलते हुए रक्षा मंत्री ने बिना चीन का नाम लिए कहा कि ‘माइट इज राइट’ (जिसकी लाठी उसी की भैंस) वाली व्यवस्था की समंदर में कोई जगह नहीं है. इस सम्मेलन (29-31 अक्टूबर) की अगवानी भारत कर रहा है और इसमें हिन्द महासागर क्षेत्र के एक दर्जन देश शामिल हुए हैं. इन देशों में बांग्लादेश, इंडोनेशिया, मेडागास्कर, मलेशिया, मालदीव, मॉरीशस, म्यांमार, सेशेल्स, सिंगापुर, श्रीलंका और थाईलैंड शामिल हैं. राजनाथ सिंह ने कहा कि “अंतरराष्ट्रीय कानूनों और समझौतों का पालन हमारा कर्तव्य होना चाहिए. हमारे संकीर्ण तात्कालिक हित हमें स्थापित अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन या अवहेलना करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं, लेकिन ऐसा करने से हमारे सभ्य समुद्री संबंध टूट जाएंगे.”