July 5, 2024
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भारत का पिनाका पहुंचा आर्मेनिया, मिर्ची लगी पाकिस्तान के दोस्त को

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कर दिया है कि भारत अब डिफेंस सेक्टर में न केवल आत्मनिर्भर बनेगा बल्कि मित्र-देशों को हथियार सप्लाई भी करेगा. यानि भारत जो अभी तक दुनिया के सबसे बड़े हथियारों के आयातक देशों की श्रेणी में शामिल था वो अब वेपंस एक्सपोर्ट करेगा. इसकी शुरूआत भी हो चुकी है. भारत ने सेंट्रल एशियाई देश आर्मेनिया को पिनाक मल्टी लॉन्चर रॉकेट सिस्टम और तोप देना शुरु भी कर दिया है. लेकिन इससे पाकिस्तान के परम-मित्र अजरबैजान को मिर्ची लगनी शुरु हो गई है. वही अजरबैजान जिसका दो साल पहले आर्मेनिया से भीषण युद्ध हुआ था.

इन दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें पहाड़ों के बीच एक सड़क पर ट्रकों का कारवां जा रहा है. इन बड़े ट्रकों पर सामान लदा है जिसे नीले रंग की एक खास पॉलीथिन से ढका हुआ है ताकि किसी को पता न लगा सके कि अंदर क्या है. अजरबैजान का आरोप है कि इसमें आर्मेनिया के लिए भारत द्वारा भेजी गई मिलिट्री सप्लाई है जो आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच विवाद में घी डालने का काम कर सकता है. वीडियो को अगर गौर से देखेंगे तो नीली पॉलिथीन के नीचे एक छोटा ट्रक दिखाई पड़ता है जिसमें एक आर्टिलरी-गन यानि तोप लगी है. वीडियो के शुरुआत का हिस्सा थोड़ा धुंधला है. फिर एक जगह बेहद धुंधला सा ये काफिला एक जगह रूका हुआ दिखता है जैसे ये कही दाखिल होने के लिए किसी चेक-पोस्ट पर खड़ा है. वायरल वीडियो के आखिरी हिस्से में तस्वीर साफ दिखाई पड़ती हैं और उसमें एक कुत्ता भौंकता हुआ सुनाई पड़ता है, जैसे कि इस काफिले को देखकर कोई कुत्ता भौंक रहा हो।

ये वायरल वीडियो ईरान का बताया जा रहा है. ईरान के बंदर अब्बास पोर्ट पर भारत के हथियारों का ये कंसाइनमेंट पहुंचा था और फिर सड़क के रास्ते आर्मेनिया के बॉर्डर पहुंचा. ईरान से सटा आर्मेनिया का करीब 40 किलोमीटर लंबा बॉर्डर है जबकि आर्मेनिया के कट्टर दुश्मन अजरबैजान का ईरान से सटा एक लंबा बॉर्डर है. ऐसे में माना जा रहा है कि अजरबैजान की तरफ से ये वीडियो तब बनाया गया जब भारत के हथियारों की खेप आर्मेनिया की सीमा में दाखिल हो रही थी. जिसने भी वीडियो बनाया उसके साथ खड़ा कुत्ता काफिले को देखकर भौंकने लगा।

दरअसल, पिछले साल अक्टूबर के महीने में गुजरात की राजधानी गांधीनगर में जब डिफेंस-एक्सपो हुआ था तब आर्मेनिया के रक्षा मंत्री सुरेन पाप्कियान भारत के दौरे पर आए थे. डिफेंस एक्सपो में उन्होनें भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से खास मुलाकात की थी. उसी दौरान आर्मेनिया से भारत से स्वदेशी पिनाका मल्टी लॉन्चर रॉकेट सिस्टम खरीदने पर करार किया था. पिनाका जैसा कि हम जानते हैं कि डीआरडीओ के द्वारा बनाया गया रॉकेट लॉन्चर  सिस्टम है जो 44 सेकंड में रॉकेट दागता है. भगवान शिव के धनुष ‘पिनाक के नाम पर इस रॉकेट सिस्टम को नाम दिया गया है जो चंद सेकेंड में दुश्मन के बंकर, चौकियों और दूसरे महत्वपूर्ण ठिकानों को नेस्तनाबूद कर देने की क्षमता रखता है।

वर्ष 2019 में डीआरडीओ ने इस पिनाका रॉकेट को मिसाइल  सिस्टम में तब्दील कर दिया था ताकि मारक क्षमता और रेंज को बढ़ाया जा सके. अब पिनाका सिस्टम की रेंज करीब 75 किलोमीटर हो गई है. हाल ही में भारतीय सेना ने भी इन पिनाका सिस्टम की 06 नई रेजीमेंट को पूर्वी लद्दाख में चीन से सटी एलएसी पर तैनात किया है।

पिछले साल ही आर्मेनिया ने भारत के साथ ट्रक माउंटेड गन का करार किया था. इसके लिए भारत की स्वदेशी प्राईवेट कंपनी कल्याणी से ये चलती फिरती छोटी तोप आर्मेनिया को दी जानी थी. ऐसे में ये माना जा रहा है कि जो वीडियो वायरल हो रहा है उसमें ट्रॉलर के ऊपर जो ट्रक है वो इन्ही तोप का है।

लेकिन पिछले साल भारत और आर्मेनिया के बीच हुआ हथियारों का ये सौदा कोई पहला नहीं है. वर्ष 2020 में भी भारत ने मेक इन इंडिया के तहत भारत की स्वाथी रडार अर्मेनिया को निर्यात की थी. वैपन लोकेशन रडार को भी डीआरडीओ ने तैयार किया था. आर्मेनिया भेजने से पहले एलओसी पर पाकिस्तान के खिलाफ अपना जौहर दिखा चुकी थी स्वाथी रडार. ये रडार दुश्मन की तोप के गोले, मोर्टार और रॉकेट्स की सही सही पोजिशन बताती है जिससे दुश्मन की गन-पॉजिशन को तोप या किसी दूसरी मिसाइल को दागकर तबाह कर दिया जाता है। इसकी रेंज करीब 50 किलोमीटर है। वर्ष 2017 में स्वाथी रडार भारतीय सेना में शामिल हुई थी. खास बात ये है कि अर्मेनिया ने रूस और पोलैंड की रडार को दरकिनार कर भारत की इस रडार को चुना था. भारत ने चार (04) स्वाथी रडार प्रणाली अर्मेनिया को एक्सपोर्ट की थी और इस सौदे की कुल कीमत करीब 40 मिलियन डॉलर यानि करीब करीब 3 हजार करोड़ रूपये थी। उस वक्त मेक इन इंडिया के तहत भारत की ये अब तक की सबसे बड़ी डिफेंस डील मानी गई थी।

स्वाथी रडार को डीआरडीओ यानि डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन ने वर्ष 2016 में तैयार किया था और इसका प्रोडक्शन, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड यानि बीईएल करती है। ट्रायल के दौरान जब स्वाथी रडार को एलओसी पर तैनात किया गया था पाकिस्तान की गन-पोजीशन की सही सही लोकेशन बताकर स्वाथी रडार ने पाकिस्तानी खेमे में हड़कंप मचा दिया था। वर्ष 2017 में स्वाथी का भारतीय सेना में आधिकारिक तौर से शामिल किया गया था। वर्ष 2018 की गणतंत्र दिवस परेड में स्वाथी रडार का प्रदर्शन किया गया था।

अब आर्मेनिया को भारत के हथियारों से अजरबैजान को इतनी मिर्ची क्यों लग रही है. इसका कारण ये है कि सितंबर 2020 में आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच 45 दिन लंबा युद्ध चला था. दोनों देशों के बीच जो विवादित नागोर्नो काराबाख इलाका है उसके कब्जे को लेकर जंग लड़ी गई थी. रूस की कोशिशों से दोनों देशों में युद्ध-विराम जरूर हो गया था लेकिन तभी से जबरदस्त तनाव बरकरार है. उस जंग में अजरबैजान ने तुर्की और दूसरे इस्लामिक देशों से लिए गए हथियारों और ड्रोन के चलते आर्मेनिया पर अपनी बढ़त जरूर बना ली थी. यही वजह है आर्मेनिया भी अब अपनी सेना को मजबूत करने पर जोर दे रहा है. अजरबैजान क्योंकि एक इस्लामिक देश है तो तुर्की और पाकिस्तान जैसे मुस्लिम देश भी उसे मिलिट्री सपोर्ट करते हैं जबकि आर्मेनिया एक ईसाई बहुल देश है. रूस से करीबी संबंध होने के चलते आर्मेनिया भारत से भी दोस्ती का हाथ बढ़ा रहा है. यही वजह है कि आर्मेनिया अपनी सैन्य जरूरतों के लिए भारत से मदद ले रहा है. लेकिन ये मदद अजरबैजान को कतई पसंद नहीं आ रही है और अपना विरोध जता रहा है. अजरबैजान ने भारत स्थित दूतावास से भी आर्मेनिया को दी जा रही मदद को लेकर आपत्ति जताई है. लेकिन अजरबैजान ये भूल गया है कि वो भी टर्की और दूसरे देशों से सैन्य मदद लेता है।

क्योंकि भारत ने भी अपनी रक्षा नीति साफ कर दी है कि खुद तो हथियारों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनना है साथ ही मित्र-देशों को भी हथियार सप्लाई किए जाएंगे. वर्ष 2020 में रूस में हुई जैपेड एक्सरसाइज में भारत और आर्मेनिया की सेनाओं ने एक साथ युद्धाभ्यास में हिस्सा लिया था. इस स्ट्रेटेजिक-एक्सरसाइज के दौरान भारतीय सेना और अर्मेनिया की सेनाएं एक साथ दुश्मन पर धावा बोलती दिखाई पड़ी थीं। खुद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी एक्सरसाइज की समीक्षा करने के लिए मौजूद थे। रूस की थिएटर लेवल एक्सरसाइज में यूरेशिया और दक्षिण एशिया की करीब एक दर्जन सेनाओं ने हिस्सा लिया था।

(नीरज राजपूत देश के जाने-माने डिफेंस-जर्नलिस्ट हैं और हाल ही में रूस-यूक्रेन युद्ध पर उनकी पुस्तक ‘ऑपरेशन Z लाइव’ (प्रभात प्रकाशन) प्रकाशित हुई है.)

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