भारतीय नौसेना को कौन सा नया फाइटर जेट मिलने जा रहा है कौन सा होगा नौसेना का नया कैरियर बेस्ड एयरक्राफ्ट, रफाल या फिर ‘टॉप-गन’ वाला एफ/ए-18 सुपर होरनेट. रफाल इसलिए क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही फ्रांस के दौरे पर जान वाले हैं. आप जानते हैं ना कि पिछली बार जब पीएम मोदी फ्रांस गए थे तो एयरफोर्स के लिए 36 रफाल लड़ाकू विमान लेकर आए थे. तो क्या इस दौरे में नौसेना की बारी है।
पिछले हफ्ते फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने ट्वीट कर जानकारी दी कि जुलाई के महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेरिस आने का न्योता स्वीकार कर लिया है. मौका होगा फ्रांस की वार्षिक ‘बैस्टिल-डे’ परेड का जिसका बेहद ही भव्य आयोजन फ्रांस की राजधानी पेरिस की सड़कों पर किया जाता है. पीएम मोदी इस परेड में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होंगे. भारत और फ्रांस के मजबूत होते सामरिक संबंधों के लिए तो ये दौरा बेहद अहम रहेगा ही लेकिन इससे भारतीय नौसेना में भी एक खुशी की लहर दौड गई है।
दरअसल, भारतीय नौसेना को अपने स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर, आईएनएस विक्रांत के लिए एक फाइटर जेट की तलाश है. विमान-वाहक युद्धपोत पर हर कोई फाइटर जेट ऑपरेट नहीं कर सकता है. यानि वायुसेना जो लड़ाकू विमान ऑपरेट करती है वो एयरक्राफ्ट कैरियर पर अपने ऑपरेशन नहीं कर सकता है. ऐसे में नौसेना की जरूरतें अलग होती हैं।
वर्ष 2022 में भारत ने अपना खुद का स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर, आईएनएनस विक्रांत बनाकर तैयार कर लिया था. कोच्चि में इसकी कमीश्निंग तक भी नौसेना में हो चुकी है. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विक्रांत को नौसेना को सौंपा था. लेकिन इस पर तैनात करने के लिए फिलहाल भारत के पास कोई लड़ाकू विमान नहीं है. कोच्चि में कमीश्निंग के वक्त नौसेना ने रूस के ‘मिग-29 के’ को विक्रांत के डेक पर खड़ा किया था. भारत के पास रूस के 45 कैरियर बेस्ड मिग-29 के विमान तो हैं लेकिन वे दूसरे एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रमादित्य पर तैनात रहते हैं।
भारत के सरकारी उपक्रम, एचएएल ने भी कैरियर पर तैनात करने के लिए एलसीए-तेजस का एक नेवल वर्जन तैयार किया है. इसे एलसीए (नेवी) के नाम से जाना जाता है. लेकिन भारतीय नौसेना एलसीए (नेवी) को लेने में थोड़ा हिचक रही है. इसका कारण ये है कि ये सिंगल इंजन एयरक्राफ्ट है. समंदर में एयरक्राफ्ट पर तैनात करने के लिए टू-इन यानि दो इंजन वाले लड़ाकू विमान की जरूरत होती है. ऐसे में नौसेना इन एलसीए (नेवी) एयरक्राफ्ट को ट्रेनिंग के इरादे से ले सकती है लेकिन मेरीटाइम ऑपरेशन्स के लिए शायद ना ले।
एचएएल इनदिनों कैरियर पर तैनात करने के लिए एक टू-इन इंजन जेट पर भी काम कर रही है. इसका नाम है टेडबेफ (टीईडीबीएफ) यानी टू-इन इंजन डेक बेस्ड एयरक्राफ्ट. इसे पूरा होने में अभी 8-10 साल लग सकते हैं. कह सकते हैं कि 2030 से पहले इसका नौसेना में शामिल होना थोड़ा मुश्किल है. लेकिन इंडो-पैसिफिक रीजन में भारत के लिए चीन एक बड़ी चुनौती बना हुआ है. ऐसे में भारत को हर हालात में दो एयरक्राफ्ट पूरी तरह ऑपरेशनली चाहिए. ये तभी हो सकता है जब विक्रांत पर लड़ाकू विमान तैनात हों।
ऐसे में विक्रांत पर तैनात करने के लिए पिछले 2 साल से नौसेना खास फाइटर जेट की तलाश कर रही है. विक्रांत पर तैनात करने के लिए भारत को कुल 26 फाइटर जेट्स की जरूरत है. दुनियाभर में ढूंढने के बाद नौसेना को फ्रांस के रफाल (एम) और अमेरिका के एफ/ए-18 सुपर होरनेट पर नजर पड़ी. इन दोनों लड़ाकू विमानों में से एक ही नौसेना के जंगी बेड़े में शामिल हो सकता है. लेकिन ये तय कैसे किया जाए, ये थोड़ी टेढ़ी खीर है।
ऐसे में नौसेना ने पिछले साल इन लड़ाकू विमानों को बनाने वाली कंपनियों को अपने अपने फाइटर जेट के साथ भारत बुलाया. जैसा कि हम जानते हैं कि रफाल को बनाती है फ्रांस की दासो या दसॉल्ट कंपनी. इस कंपनी ने ही वर्ष 2016 में भारतीय वायुसेना को 36 रफाल लड़ाकू विमान दिए थे. पिछले साल यानि फरवरी 2022 में रफाल फाइटर जेट के मरीन वर्जन यानि रफाल (एम) को गोवा में नौसेना के आईएनएस हंस बेस बुलाया गया. इस बेस पर रफाल एम को नौसेना के सोर बेस्ड टेस्ट फैसिलिटी यानि एसबीटीएफ में परीक्षण से गुजरना पड़ा. एसबीटीएफ दरअसल एक मोक डेक जो किसी एयरक्राफ्ट कैरियर के रनवे की तरह ही होता है।
रफाल (एम) के बाद बारी आई एफ/ए-18 सुपर होरनेट की. ये वही सुपर होरनेट हैं जो हॉलीवुड की ब्लॉकबस्टर मूवी, टॉप-गन में टॉम क्रूज उड़ाते दिखे थे. इसे बनाती है अमेरिका की बड़ी एविएशन कंपनी, बोइंग. सुपर होरनेट ने जुलाई 22 में गोवा में अपना ट्रायल दिया।
इन दोनों फाइटर जेट के ट्रायल के आधार पर भारतीय नौसेना ने अपनी रिपोर्ट रक्षा मंत्रालय को सौंपी है. पिछले साल अक्टूबर से रिपोर्ट रक्षा मंत्रालय के पास है और अब सरकार यानि रक्षा मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय को निर्णय लेना है कि कौन सा फाइटर जेट आईएनएस विक्रांत के लिए खरीदना है।
नौसेना की इस रिपोर्ट के बारे में फाइनल असॉल्ट को एक्सक्लुजिव जानकारी हाथ लगी है. जानकारी के मुताबिक, रिपोर्ट में लिखा गया है कि दोनों ही फाइटर जेट उन्नत किस्म के हैं. लेकिन रफाल (एम) को थोड़ा सा एडवांटेज इसलिए है क्योंकि भारतीय वायुसेना पहले से ही 36 रफाल लड़ाकू विमान ओपरेट कर रही है. ऐसे में अगर नौसेना के पास भी इसका नेवल वर्जन आ जाता है तो इक्युपमेंट, सप्लाई चेन और ट्रेनिंग जैसी जरूरतें काफी कम हो जाएगी।
वायुसेना के 36 रफाल लड़ाकू विमानों की दो स्क्वॉड्रन पहले से ही चीन और पाकिस्तान सीमा के फॉरवर्ड लोकेशन बेस पर तैनात हैं. एक स्क्वाड्रन अंबाला में है तो दूसरी पश्चिम बंगाल के हासीमारा में विवादित डोकलाम के करीब. दोनों ही बेस पर रफाल के पायलट, इंजीनियर्स और दूसरे टेक्नीशियन की ट्रेनिंग के लिए सिम्युलेटर बने हुए हैं. ऐसे में नौसेना के फाइटर पायलट्स की ट्रेनिंग भी यहां हो सकती है. क्योंकि भारत ने फ्रांस से पहले ही 36 रफाल लड़ाकू विमान खरीद रखे हैं तो फ्रांस से एड-ऑन लड़ाकू विमानों की डील भी थोड़ी सस्ती हो सकती है. क्योंकि भारत ने फ्रांस से 36 रफाल लड़ाकू विमान 59 हजार करोड़ में खरीदे थे. तो नौसेना के लिए 26 एयरक्राफ्ट की डील भी काफी महंगी ही होगी।
इसके अलावा भारत और फ्रांस के बीच तो सामरिक संबंध है ही साथ ही प्रधानमंत्री मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों के बीच भी जबरदस्त केमिस्ट्री है. ऐसे में ज्यादा चांस रफाल (एम) के ही हैं.
लेकिन ऐसा नहीं है कि सुपर होरनेट पूरी तरह से डील से बाहर हो गया है. इसके तीन बड़े कारण हैं. पहला तो ये कि अभी तक कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी यानि सीसीएस ने अभी तक इस डील के लिए कोई निर्णय नहीं लिया है. सीसीएस के प्रमुख खुद प्रधानमंत्री होते हैं और रक्षा मंत्री इसके सदस्य होते हैं।
दूसरा कारण ये भी है कि पीएम मोदी पेरिस जाने से पहले अमेरिका भी जा सकते हैं. ऐसे में भारत के लिए ये भी बेहद महत्वपूर्ण है कि डील कहां बेहतर मिलेगी. ईकोनोमी यानि कम पैसों में खरा सौदा भी भारत के लिए बेहद जरुरी है. जैसे ही ये तय हो जाएगा कि डील कहां से अच्छी मिल रही है तो ये भी तय हो जाएगा कि विक्रांत पर कौन सा एयरक्राफ्ट तैनात होगा–रफाल या फिर सुपर होरनेट. क्योंकि परफोरमेंस में तो दोनों ही एयरक्राफ्ट टॉप-गन हैं और डॉग-फाइट में दुश्मन के छक्के छुड़ाने के लिए तैयार रहते हैं।
(नीरज राजपूत देश के जाने-माने डिफेंस-जर्नलिस्ट हैं और हाल ही में रूस-यूक्रेन युद्ध पर उनकी पुस्तक ‘ऑपरेशन Z लाइव’ (प्रभात प्रकाशन) प्रकाशित हुई है.)